गà¥à¤® बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कहानी Publish Date : 07/02/2024
गà¥à¤® बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कहानी
डॉ0 रेशॠचौधरी à¤à¤µà¤‚ सरिता सेंगर
आसà¥à¤•à¤° पà¥à¤°à¥‚सà¥à¤•à¤¾à¤° के लिठचयन की गई डॉकà¥à¤¯à¥‚मेंटà¥à¤°à¥€ फिलà¥à¤® फॉर डाटरà¥à¤¸, वरà¥à¤· 2016 की कहानी है। टयूनीशियन अहैरत ओलà¥à¤«à¤¾ हैमराऊनी, जिसने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ मीडिया को संपरà¥à¤• किया और अपनी बेटियों को लीबिया से वापस लाने की गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¶ की। इनकी बेटियों को आतंकी गतिविधियों के संदेह में हिरासत में लिया गया था। इस मां को अपनी बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की परवरिश में खासी मशकà¥à¤•à¤¤ करनी पड़ी। टà¥à¤¯à¥‚नीशियन डायरेकà¥à¤Ÿà¤° कऊधर बेन हानिया ने इनके बारे पà¥à¤¾à¥¤ बेन की वरà¥à¤· 2020 में अरबी में ‘‘द मैन हू सोलà¥à¤¡ हिज सà¥à¤•à¤¿à¤¨’’ को बेसà¥à¤Ÿ इंटरनैशनल फीचर ऑसà¥à¤•à¤° के लिठनॉमिनेट à¤à¥€ किया गया था। हमराऊनी को बेन ने काफी मशकà¥à¤•à¤¤ के बाद तलाशा और उसके जीवन में आयीं इन खौफनाक बातों को सहजतापूरà¥à¤µà¤• जाना।
यह à¤à¤• जटिल चरितà¥à¤° है, बेटियों को लेकर à¤à¤¯à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ और खà¥à¤²à¤•à¤° बोलने वाली कटà¥à¤Ÿà¤°à¤µà¤¾à¤¦ पर संशयवादी। उसकी छोटी बेटियाठइपा और तापसिर उस समय 11 व 3 साल की थीं। जबकि बड़ी बेटियां पीफà¥à¤°à¥‡à¤® व रहमा घर से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ गये, यह तय नहीं है। वे खà¥à¤¦ गयीं या कोई जबरन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ले गया, यह à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं है। परिवार उनसे कà¤à¥€ मिला नहीं। हालांकि फिलà¥à¤® को लेकर ये उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ है। तीकà¥à¤·à¥à¤£ नजर रखने वाली निदेशक ने गà¥à¤® बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और उनकी मां के दरà¥à¤¦ को पà¥à¤¾ और उसकी गहराई में जाना चाहा, यह काबिल-à¤- तारीफ है। मगर चार बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाली तमाम मांओं की कहानियां, जो कà¤à¥€ किसी को सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥€ नहीं जातीं। उनमें से तमाम अनकही ही रह जाती हैं। सारी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में ढेरों लड़कियां गà¥à¤® हो जाती है।
अपने यहाठही होम मिनिसà¥à¤Ÿà¤°à¥€ का डाटा कहता है. वरà¥à¤· 2019 से 2021 के दरमà¥à¤¯à¤¾à¤¨ 13.3 लाख औरतें/लड़कियां देश à¤à¤° से गà¥à¤® हो गयीं। अकेले वरà¥à¤· 2021 में 18 साल की उमà¥à¤° से कम की नबà¥à¤¬à¥‡ हजार बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देश à¤à¤° में गà¥à¤®à¤¶à¥à¤¦à¤¾ हैं। इन बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ना तो कà¤à¥€ खोजा गया है और ना ही इसकी कहीं सà¥à¤—बà¥à¤—ाहट होती है। सरकारें विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ से मीडिया को पाट देती हैं। सà¥à¤²à¥‹à¤—नों में बेटी बचाओ कहना जितना आसान है, हकीकत में उतना ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बचाना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है।
डॉटरà¥à¤¸ यानी बेटियां चार हो या फिर दो अपने समाज में ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ तमाम à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ˆ देशों में बेटियों का होना मांओं के लिठबेढब ही होता है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परदों में रखो या फिर जंजीरें डाल दो। मेरे मोहलà¥à¤²à¥‡ में चार बेटियों वाला à¤à¤• परिवार रहता था। शादी के लायक हो चà¥à¤•à¥€ न लड़कियों की मां नहीं थी। पिता दारूबाज और दो बड़ी बहने अधेड़ हो चली थीं। वे बालों को ससà¥à¤¤à¥‡ खिजाब से रंग कर, उदास आंखों से छजà¥à¤œà¥‡ पर जब-तब आया-जया करती थीं।
पिछले कई महीने से जो फिर साल हो गठथे, उनकी तीसरी बेटी गà¥à¤® थी। इस पर आस पड़ोस में कà¥à¤› खà¥à¤¸à¤°-पà¥à¤¸à¤° à¤à¥€ हà¥à¤ˆ तो बड़ी बहनों ने कहा कि वह नाना के यहां गयी है। लेकिन दरअसल रोजाना की किचकिच से आजिज आकर वह तीसरी लड़की अपने आशिक के साथ निकल गयी थी। चालीस सालों तक परिवार में किसी ने नाम तक नहीं लिया। कà¥à¤¯à¤¾ उस लड़की को सपने
देखने कोई अधिकार नहीं था, वह गयी तो गयी। यहाठदिलà¥à¤²à¥€ में मेरे दफà¥à¤¤à¤° में काम करने वाली à¤à¤• यà¥à¤µà¤¤à¥€ चार बहनों में सबसे बड़ी थी। परिवार को गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‡ में मदद की लिहाज से उसने नौकरी की थी। वह गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि के दबंग पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से नैन-मटकà¥à¤•à¤¾ कर बैठी। जो उसे अपने साथ लेकर घूमता फिरता और फिर रातों-रात उन दोनों ने शादी à¤à¥€ कर ली तो यà¥à¤µà¤¤à¥€ का परिवार सà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥‡ करने लगा। काफी बवाला हà¥à¤† और बाद में वे लखनऊ चले गये। इसके कà¥à¤› समय बाद पोल खà¥à¤²à¥€ कि उन महाशय की पहले ही गांव में शादी हो चà¥à¤•à¥€ थी। गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि की सादा सी पतà¥à¤¨à¥€ को गांव में छोड़ कर वह यहाठपà¥à¤°à¥‡à¤® कर रहा थातà¥à¤° तो यà¥à¤µà¤¤à¥€ के परिवार ने à¤à¥€ उसे आवेश में छोड़ दिया था।
जबकि गांव में पहली पतà¥à¤¨à¥€ खेती-बाड़ी को संà¤à¤¾à¤² रही थी à¤à¤¸à¥‡ में जीवन दà¥à¤°à¥à¤¹ रहा उसका। चार बहनों में से तीन का मां-बाप ने बाद में वà¥à¤¯à¤¾à¤¹ किया, यह कह कर कि उनकी बस तीन ही बेटियां हैं। जो आज अपने परिवार में खà¥à¤¶ हैं, अपनी बड़ी बहन को à¤à¥à¤²à¤¾ कर। मेरे दो दूर के रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की चार बेटियां थीं। जाहिर है, यह बेटियां बेटों की चाह में पैदा की गयीं थीं। à¤à¤• ने तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ना ढंग की तालीम दिलायी, बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ के बारे में सोचा à¤à¥€ नहीं। यह मान कर की घर के किसी कोने में पड़ी रहेंगी। उनमें से à¤à¤• लंबे समय तक मानसिक तौर पर असà¥à¤¥à¤¿à¤° रही, जिसने बाद में खà¥à¤¦à¤•à¥à¤¶à¥€ कर ली।
दूसरी लंबी बीमारी के बाद मौत के मà¥à¤‚ह में जाती रही। दूसरे रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° ने अधेड़ होने के बाद दो को बà¥à¤¯à¤¾à¤¹ करा दिया तो दूसरी को ससà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने जिनà¥à¤¦à¤¾ जला कर मार डाला और पहली मायके वापिस आ गयी। मां की मौत के बाद से उनके घर मातम ही पसरा रहता है। à¤à¥€à¤¤à¤° की असल कहानियां कà¤à¥€ सामने ही नहीं आयीं। चार बहनों में पहली दो तो वà¥à¤¯à¤¾à¤¹ दी गयीं। जबकि तीसरी का रंग थोड़ा तांबई था और वह कद की à¤à¥€ काफी छोटी थी जिस कारण से उसका रिशà¥à¤¤à¤¾ नहीं मिलता था। दोनों बहनें आपस में लड़ी तो चौथी ने उसे अपने वà¥à¤¯à¤¾à¤¹ का रोड़ा कहकर उसपर तंज कर दिया और इस आवेश में वह फांसी लटक गयी।
आपस में सर फà¥à¤Ÿà¤µà¥à¤µà¤² करने वाली चार अनà¥à¤¯ बहनों में से à¤à¤• ने तो सबक सिखाने के लिठअपने ऊपर किरोसिन उढेल कर आग ही लगा ली। उसे à¤à¤¾à¤°à¥€ मशकà¥à¤•à¤¤ करने के बाद पालकों ने बचा तो लिया परनà¥à¤¤à¥ उसकी शकà¥à¤²à¥‹-सूरत बिगड़ गयी और उसके लिठवर ढूà¤à¥à¤¨à¥‡ में उसके बाप की ढेरों जूतियां घिस गयीं।
दोष तो औरतों को ही दिया जाता है। बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सही ढंग से शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤µà¤²à¤‚बी बनाने की जरूरत सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। उनके मन में शादी/बचà¥à¤šà¥‡ जनने का शऊर डालने की बजाठआतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° होने और विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जूà¤à¤¨à¥‡ का जजà¥à¤¬à¤¾ रोपा जाना चाहिà¤à¥¤
कहने-सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में तो फोर डॉटरà¥à¤¸ à¤à¤• सादा सा शबà¥à¤¦ है। मगर इनके à¤à¥€à¤¤à¤° चवालिसों कहानियां दबी-छà¥à¤ªà¥€ रह जाती हैं। बेचारी लड़कियां खà¥à¤¦ ही यह नहीं जान पाती कि उन चारों पांचों या छठों को कà¥à¤¯à¤¾ करना है? कैसे जीना है? कहाठजाना है? वह अपनी इचà¥à¤›à¤¾ से तीसरी चौथी या पांचवी नहीं पैदा होतीं। मसला उनकी शिकà¥à¤·à¤¾ का होना चाहिà¤, शादी में दहेज का या ससà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से न निà¤à¤¾ पाने का दोष à¤à¥€ औरतों को ही दिया जाता है।
à¤à¤¸à¥‡ में बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सही ढंग से शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¤¾à¤µà¤²à¤‚बी बनाने की जरूरत तो सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है। उनके मन में शादी/ बचà¥à¤šà¥‡ जनने का शकर डालने की बजाà¤, आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤à¤° होने और विपरीत परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से जूà¤à¤¨à¥‡ का जजà¥à¤¬à¤¾ रोपा जाना चाहिà¤à¥¤ इसके लिठसरकारों और वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर दबाव बनें कि वे बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की गà¥à¤®à¤¶à¥à¤¦à¤—ी को लेकर सतरà¥à¤• हो। बचà¥à¤šà¥‡ कहीं काफूर नहीं होते, उनकी खरीद-फरोखà¥à¤¤ की जाती है। उनके साथ गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ की तरह सेकà¥à¤¸ किया जाता है। उनके अंगों की तसà¥à¤•à¤°à¥€ के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मार दिया जाता है। खबरें तो यह à¤à¥€ है कि लड़कियों को आतंकवादी गतिविधियों में à¤à¥€ संलिपà¥à¤¤ किया जाता है। मासूम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के मारà¥à¤«à¤¤ डà¥à¤°à¤®à¥à¤¸ की तसà¥à¤•à¤°à¥€ à¤à¥€ की जाती है। इन पर कितनी ही मारà¥à¤®à¤¿à¤• फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ बन जाà¤à¤‚, उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लिखे जाà¤à¤‚ या कविताà¤à¤‚ रची जाà¤à¤‚, परनà¥à¤¤à¥ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की गà¥à¤®à¤¶à¥à¤¦à¤—ी रà¥à¤•à¤¨à¥‡ वाली नही है।
लेखिका: सà¥à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, मेरठमें सहायक पà¥à¤°à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤•à¤¾ (असिसटेनà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤°) हैं।