जल संचयन का अमृत प्रयास, बुझ रही धरा की प्यास      Publish Date : 30/06/2025

     जल संचयन का अमृत प्रयास, बुझ रही धरा की प्यास

                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

"प्रयागराज में वर्षा जल संचयन की बड़ी पहल, अमृत सरोवरों से ढाई लाख किसानों को मिल रहा लाभ"

घागरा जल संकट के दौर में की एक-एक बूंद आवश्यक है, संगम नगरी ने इस दिशा में मिसाल कायम की है। जल संरक्षण को बढ़ावा देने वाली अमृत सरोवर योजना का बेहतर उपयोग कर जल संकट की समस्या का हल निकाला जा रहा है। जिले में 583 अमृत सरोवर बनवाए गए हैं। लगभग 7750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बने इन सरोवरों में 2.5 अरब लीटर (2500 एमएलडी) वर्षा जल का संचय होगा। इससे 583 गांवों के लगभग ढाई लाख किसानों को सिंचाई के लिए जल मिलेगा।

अमृत सरोवरों का सबसे अधिक निर्माण यमुनापार क्षेत्र में हुआ है, जहां बड़ी मात्रा में वर्षा जल को संचित करने की व्यवस्था की गई है। इस परियोजना पर अब तक लगभग 135 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसके साथ ही 310 नए अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य जारी है। इनके तैयार होने के बाद लगभग चार अरब लीटर जल का संचय हो सकेगा। बता दें कि प्रयागराज में वर्तमान समय में 402 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। अभी अमृत सरोवरों जितना पानी संचय हो रहा है उससे जिले में कई दिनों तक जलापूर्ति की जा सकती है।

                                                    

प्रदेश में प्रथम स्थानः सरोवरों की खोदाई तीन से साढ़े तीन मीटर गहराई में कराई गई है। अमृत सरोवरों के निर्माण से लेकर सौंदर्याकरण का कार्य मनरेगा के तहत हो रहा है। उपायुक्त मनरेगा गुलाब चंद्र ने बताया कि अमृत सरोवरों के निर्माण में प्रयागराज प्रदेश में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। सभी सरोवरों के निर्माण के बाद सात अरब लीटर से अधिक वर्षा का जल संचय हो सकेगा, जिससे भूगर्भ जल का स्तर भी सुधरेगा। तीर्थराज प्रयागराज की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर साबित होगी।

सरोवरों के सौंदर्गीकरण की भी समीक्षाः मुख्य विकास अधिकारी हर्षिका के अनुसार, अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए जिला और तहसील स्तर पर अधिकारियों की कमेटी बनाई है जो सरोवरों के लिए जमीन से लेकर खोदाई व सौंदर्याकरण के कार्यों की निगरानी तथा समीक्षा करती है। जल संकट के समाधान में प्रयागराज की यह पहल अनुकरणीय है

डार्क जोन से आए येलो जोन में

विशेष तौर पर भूमिगत जल स्तर के मामले में डार्क जोन में आने वाले ब्लाक चाका और सहसों में भी अमृत सरोवरों के कारण सुधार दिखने लगा है। पहले डार्क जोन में शामिल बहादुरपुर, सैदाबाद, धनूपुर, प्रतापपुर ब्लाक क्षेत्र सेमी क्रिटिकल जोन (येलो जोन) में आ गए हैं। यहां भूमिगत जल स्तर में सुधार आया है। अमृत सरोवरों के रख-रखाव से लेकर इनके जल के प्रयोग के लिए ग्राम पंचायत की जल प्रबंधन समिति को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये अमृत सरोवर जल संचयन के साथ ही सिचाई, पशु व मत्स्य पालन में उपयोग किए जा रहे हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।