गेंहूँ की बेहतर उपज देने वाली नई प्रजाति Publish Date : 13/09/2024
गेंहूँ की बेहतर उपज देने वाली नई प्रजाति
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु
क्या खास है गेंहूँ की किस्म एचडी-3385 में
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के द्वारा गेंहूँ की एक नई प्रजाति एचडी-3385 को विकसित किया गया है। गेंहूँ की इस नई किस्म को इसकी उच्च उत्पादक क्षमता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते देश के समस्त गेंहूँ उत्पादक क्षेत्रों के लिए अनुशंसित किया गया है। कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए परीक्षणों से ज्ञात होता है कि इस प्रजाति की औसत उत्पादक क्षमता 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। गेंहूँ की यह नई प्रजाति एचडी-3385, गेंहूँ की परम्परागत प्रजातियों से कई मामलों में बेहतर है।
गेंहूँ की यह प्रजाति जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों जैसे तापमान में होने वाली अचानक वृद्वि को सहन करने में सक्षम हैं, इससे किसानों को फसल के होने वाले नुकसान से बचने में मदद मिल सकेगी। इसके अतिरिक्त गेंहूँ की यह प्रजाति रतुआ और अन्य रोागें के लिए रोग प्रतिरोधी भी है, जिससे किसान कीटनाशकों पर होने वाले खर्च को कम करने में मदद मिलने के साथ ही पर्यावरण सुरक्षा भी हो सकेगी।
गेंहूँ के दानों के दानों को नुकसान पहुँचाने वाले रोग करनाल बंट के प्रति भी गेंहूँ की यह प्राति एचडी-3385 प्रतिरोधी है। करनाल बंट नामक रोग के चलते गेंहूँ के उत्पादन में भारी गिरावट आती है। देश में इस रोग के कारण होने वाले गेंहूँ की फसल के नुकसान को इस प्राति एचडी-3385 के माध्यम से कम किया जा सकता है। आईएआरआई ने इस प्रजाति के बीज का उत्पादन बढ़ाने के लिए 70 बीज उत्पादक संस्थाओं से करार किया है। इससे कम समय और आसानी से इस प्रजाति का बीज किसानों के लिए उपलब्ध हो सकेगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।