à¤à¥‚मि के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ में सà¥à¤§à¤¾à¤° का सबसे ससà¥à¤¤à¤¾ तरीका है हरित खाद Publish Date : 16/04/2024
à¤à¥‚मि के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ में सà¥à¤§à¤¾à¤° का सबसे ससà¥à¤¤à¤¾ तरीका है हरित खाद
डॉ0 आर. à¤à¤¸. सेंगर, डॉ0 कृषाणॠà¤à¤µà¤‚ डॉ0 वरà¥à¤·à¤¾ रानी
“उपयोग करने से मृदा में जीवांश और नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ बà¥à¤¨à¥‡ से फसल उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में à¤à¥€ होता है सà¥à¤§à¤¾à¤°”
रासायनिक उरà¥à¤µà¤°à¤•à¥‹à¤‚ के अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ असंतà¥à¤²à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करने से मृदा में पोषक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ की कमी हो रही है और इसका सीधा असर फसल उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ और मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ पर पड़ रहा है। कृषि वैाानिक डॉ. आर. à¤à¤¸. सेंगर का कहना कि मृदा सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ उरà¥à¤µà¤°à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¥‡ का सबसे अचà¥à¤›à¤¾ व ससà¥à¤¤à¤¾ उपाय ‘‘हरी खाद’’ है। हरी खाद मृदा के लिठà¤à¤• वरदान है। यह à¤à¥‚मि की सरंचना में सà¥à¤§à¤¾à¤° तो करती ही है इसके साथ ही à¤à¥‚मि को परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में पोषक ततà¥à¤µ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ कराती है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि ढैंचा की बिजाई करने के 20 से 25 दिन बाद पौधों में गांठे बननी शà¥à¤°à¥‚ हो जाती हैं। जिनके माधà¥à¤¯à¤® से नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ का सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¥€à¤•à¤°à¤£ होता है। 45 दिन की फसल में जड़ों में बनी गांठों की संखà¥à¤¯à¤¾ अधिकतम होती हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यह समय ढैंचा की फसल को मिटà¥à¤Ÿà¥€ में मिलाने का सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® समय होता है।
à¤à¥‚मि के पोषक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ की वृदà¥à¤µà¤¿ करती है हरित खाद
हरित खाद उस सहायक फसल को कहते हैं, जिसकी खेती à¤à¥‚मि में पोषक ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ को बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ और उसमें कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ की पूरà¥à¤¤à¤¿ करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से की जाती है। इन फसलों को काटकर सीधे जमीन खाद के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता हैं। इससे रासायनिक उरà¥à¤µà¤°à¤•à¥‹à¤‚ के उपयोग को कम कर सकते हैं। खेती की लागत काफी हद तक कम कर सकते हैं।
- बीज की मातà¥à¤°à¤¾à¤ƒ ढेंचा की फसल के लिठà¤à¤• à¤à¤•à¥œ के लिठ12 किलोगà¥à¤°à¤¾à¤® बीज परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। उपयà¥à¤•à¥à¤¤ बीज दर से कम या अधिक बीज पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से हरी खाद का परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ लाठनहीं मिल पाता है।
- बिजाई का समयः रबी फसल की कटाई और खरीफ फसल की बिजाई के बीच का समय ढैंचा की बीजायी करने के लिठसरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® समय होता है। इस दौरान खेत अमूनन खाली ही रहते हैं।
- हरी खाद से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ लाà¤à¤ƒ हरी खाद कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ की मातà¥à¤°à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। जिससे फसलों के उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में à¤à¥€ लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। मृदा में जीवांश पदारà¥à¤¥ à¤à¤µà¤‚ उपलबà¥à¤§ नाइटà¥à¤°à¥‹à¤œà¤¨ की मातà¥à¤°à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है और à¤à¥‚मि की जलधारण कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ में à¤à¥€ अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ सà¥à¤§à¤¾à¤° होता है। मिटà¥à¤Ÿà¥€ के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में सà¥à¤§à¤¾à¤° होता है।
लेखकः पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° आर. à¤à¤¸. सेंगर, निदेशक पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£, सेवायोजन à¤à¤µà¤‚ विà¤à¤¾à¤—ाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· पà¥à¤²à¤¾à¤‚ट बायोटेकà¥à¤¨à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¥€ संà¤à¤¾à¤—, सरदार वलà¥à¤²à¤à¤à¤¾à¤ˆ पटेल कृषि à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¥Œà¤¦à¥à¤¯à¥‹à¤—िकी विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ मेरठ।