धरती माता को बचाओ अभियान चलाना होगा      Publish Date : 30/09/2024

                 धरती माता को बचाओ अभियान चलाना होगा

                                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

जैविक खेती:- देशी नुस्खों द्वारा कीटों से फसल सुरक्षा के देशी तरीके

आधुनिक युग में कीटनाशकों का नाम मात्र भी इस्तेमाल न करते हुए, खेती-बाड़ी करना थोड़ा कठिन है, लेकिन इसके लिए कुछ देशी तरीकों को अपनाने से खेती-बाड़ी में खर्च भी बहुत कम आता है।

                                                                      

ऐसी कई देशी चीजें आपको अपने इर्द-गिर्द ही आसानी से मिल जाती हैं, और बगैर किसी भाग दौड़ के, बिना किसी रसायन के तैयार की जा सकती है फिर चाहे आपकी फसल सब्जी की हो या फिर अनाज की फसल हो। इनका उपयोग करने से मानव जीवन पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता है, तथा इन जैविक फसलों की कीमत भी रासायनिक उत्पादों से उत्पादित फसलों से अधिक ही मिलती है।

देशी नुस्खा:- सफ़ेद फिटकरी-

                                                              

जब भी कोई फसल ऊपर से लेकर नीचे तक सूखने लगती है, तो समझा जाना चाहिए कि फसल की जड़ों पर फफूंद का हमला हो चुका है। इससे बचने के लिए खेत में पानी लगाते समय ट्यूबवेल के गड्ढे में 1 किलो ग्राम सफ़ेद फिटकरी का टुकड़ा रख दें और फिटकरी मिश्रित पानी देने से फसल का फंफूद रोग से बचाव होता है।

मिट्टी की उत्पादकता बढ़ाने और फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए कौन से पोषक तत्व की आवश्यकता होती हैं।

इस दौरान सबसे पहले देखते हैं कि आज हम फसल को क्या दे रहे हैं- 

1- 10 : 26 : 26   -  N : P : K

2- DAP            - NP        

3- 12 : 32 : 16  - N : P : K

4- 0 : 52 : 34    - P : K

5. यूरिया          - N

इसका मतलब है कि हम अपनी फसल को केवल 3 मुख्य पोषक तत्व ही दे रहे हैं।

हालांकि, फसल को कुल 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है-

1. वायू से 3 तत्व प्राप्त होते है  - कार्बन , हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।

2. मुख्य पोषक तत्व  (3) - नाइट्रोजन, पोटाश और फॉस्फोरस।

3. माध्यमिक पोषक तत्व 3 - कैलशियम, मैगनेशियम और सल्फर।

4. माइक्रोन्यूट्रिएंट 7 - फेरस, जिंक, बोरोन, क्लोरीन, कॉपर, मोलिब्डेनम, निकिल और मैंगनीज।

उत्पादन में गिरावट आने का मुख्य कारण है कि फसल को आवश्यक पोषक तत्व पूरे नहीं मिल पा रहे है।

मिट्टी की उर्वरता के लिए आवश्यक तत्व-

1. जीवाणु

2. केंचुए

3. 16 पोषक तत्व

4. पानी

5. वायु

6. जैविक अंकुश (Organic Carbon) (ह्यूमस)

7. मिट्टी का स्तर (पीएच)

8. सीः एन अनुपात

9- EC  स्तर

10- CEC स्तर

लेकिन आज हम मिट्टी को क्या दे रहे हैं? केवल 3 मुख्य पोषक तत्व। वह भी रासायनिक उर्वरकों के माध्यम से। नतीजतन, मिट्टी के बैक्टीरिया और केंचुए खत्म होते जा रहे हैं। इन्हीं जीवाणुओं के उन्मूलन के कारण, मिट्टी को हवा नहीं मिलती है, पानी स्थिर नहीं होता है, इसलिए मिट्टी में जैविक अंकुश कम हो जाता है। जिसके परिणामस्वरूप, मिट्टी की उर्वरता कम हो गई है और उपज कम हो गई है।

यदि मिट्टी की उर्वरता और उपज को .बढ़ाना है, तो हमें सही रूप से बने जैविक उत्पादों का उपयोग करना होगा। जैविक उर्वरक और कीटनाशक मनुष्यों, फसलों या मिट्टी के लिए हानिकारक नहीं होते हैं। इनमें वे सभी तत्व उपलब्ध होते हैं जो आपकी भूमि/मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद करते हैं और आपकी फसल की उत्पादकता को बढ़ाते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।