
फसलों में पोषक तत्वों की कमी और उसका उपचार Publish Date : 24/08/2025
फसलों में पोषक तत्वों की कमी और उसका उपचार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
नाइट्रोजनः
महत्वपूर्ण पोषक तत्व नाइट्रोजन नामक पोषक तत्व की कमी आमतार पर पौधों की पुरानी पत्तियों पर सबसे पहले दिखाई देती है और पत्तियों का रंग हरे से बदलकर पीले रंग में परिवर्तित हो जाता है। इस तत्व की अधिक कमी होने पर पौधे के पत्ते समय से पूर्व झड़ जाते हैं। पौधों की शाखाएं एवंत ने पतले रह जाते हैं और पौधों का विकास थम जाता है। इसके अतिरिक्त फलों का आकार छोटा होने के साथ ही उनकी संख्या भी कम हो जाती है।
फॉस्फोरसः
पोषक तत्व फॉस्फोरस की कमी भी सबसे पहले पौधों की पुरानी पत्तियों पर ही दिखाई देती है और इसकी कमी से प्रभावित पौधों के पत्ते हरे रंग या सामान्यतः लाल अथवा बैंगनी रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। फॉस्फोरस की गम्भीर कमी होने पर पत्तियों के सिरे नीचे की ओर मुड़ जाते हैं और उनकी वृद्वि कम हो जाती है। पौधा पतला होने के साथ ही उसकी शाखाएं भी कम हो जाती है। इस तत्व की कमी के चलते पौधों की पुरानी पत्तियों की वृद्वि रूक जाती है और उनके किनारे सूखने लगते हैं।
पोटेशियमः
पोटेशियम की मी भी सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर ही दिखाई देती है और इस तत्व की कमी के आरम्भि दौर में पत्तियों की नसों के बीच हल्का पीलापन आ जाता है और बाद में इनके किनारे भूरे रंग केे होगर सूख जाते हैं। पत्तियों का पीलापन इनके अग्रभाग से आरम्भ होकर नीचे की ओर जाता है, जिसके कारण पौधों की पत्तियाँ झुलसी/जली हुई सी प्रतीत होती हैं। पोटेशिष्म की कमी से वानस्पातिक अवस्था में ही पौधों का विकास थम जाता है और इसके कारण पौधा अल्प विकसित ही रह जाता है।
कैल्शियमः
कैल्शियम तत्व की कमी के संकेत सबसे पहले पौधों की नई पत्तियों पर दिखाई देती है। कैल्शियम तत्व की कमी के चलते फलों का अंतिम भाग भूरे रंग का और अंदर की ओर धंसा हुआ बनता है। इसके साथ ही पौधों के नए एवं कोमल पत्तों के अगले हिस्से सफेद रंग में परिवर्तित होकर सिकुड़ जाते हैं और उनकी वृद्वि भी रूक जाती है। इस तत्व की कमी के चलते कई बार पत्ते ऊपर की ओर मुड़कर कप जैसी आकृति ग्रहण कर लेते हैं। पोषक तत्व कैल्शियम की कमी से पौधों पर आने वाले नए फूल भी झड़ने लगते हैं।
मैग्नीशियमः
पोषक तत्व मैग्नीशियम की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की पुरानी पत्तियों पर ही दिखाई देते हैं। इस तत्व की कमी होने पर पत्तों की नसों के बीच पीलापन आ जाता है और अधिक कमी होने से पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। मैग्नीशियम तत्व की कमी होने पर पौधों के पुरान पत्ते मुरझा जाते हैं और वह समय से पहले ही गिर जाते हैं।
सल्फरः
सल्फर पोषक तत्व की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की छोटी पत्तियों पर दिखाई देते हैं, यह पत्तियाँ हल्के हरे रंग की हो जाती हैं जो बाद में पीले रंग की हो जाी हैं, धीमी वृद्वि गति के साथ, पत्तियाँ अपनी रंगत को खो देती हैं, हालांकि पत्तियों की नसे हरे रंग की ही रहती है। सल्फर की कमी से पौधे छोटे और पतले-पतले डंठल और कम वृद्वि वाले होते हैं। पौधों की नई कोपले बहुत अधिक नरम होती हैं और वह आसानी से फट जाती हैं।
जिंकः
पोषक तत्व जिंक की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधों की नई पत्तियों पर ही दिखाई देते हैं और नसों के बीच हल्के पीले रंग की पट्ठियाँ दिखाई देने ल्रती हैं। पत्तों के बीच का अंतर भी कम हो जाता है जिसके चलते पौधों की वृद्वि रूक जाती है। इस तत्व की अधिक कमी होने पर पौधों के पत्तों पर लाल ईंट के जैसे रंग के ध्ब्बे दिखाई देने लगते हैं।
आयरनः
आयरन तत्व की कमी के लक्षण भी सबसे पहले पौधों की नई पत्तियों में दिखाई देते हैं, शुरूआत में पौधों की नई पत्तियाँ पीली नजर आती है और पत्तियों की छोटी नसों का रंग हीरा होता है। आयरन की अधिक कमी के चलते पौधों की पत्तियाँ पुर्ण रूप से पीली पड़ जाती है और आमतौर पर पौधों की पुरानी पत्तियाँ इसकी कमी से अप्रभावित बनी रहती हैं। आयरन की कमी से प्रभावित पौधों की पत्तियाँ सामान्य से छोटी और अपरिपक्व पत्तियों पर अंतःस्रावी क्लोरोटिक ध्ब्बे होते हैं।
मैंगनीजः
जिन भूमियों में मैंगनीज की कमी होती है उनमें उपजने वाले पौधों की नई पत्तियों के किनारे पीले रंग के दिखाई देते हैं, जो कि बाद में भूरे रंग में बदलकर नीचे गिर जाते हैं और कई ार धूसर भूरे धब्बे, पत्तियों के निचले किनारों पर भी दिखाई देते हैं। पत्तियों का रंग अक्सर हल्के हरे रंग से सफेद रंग में बदल जाता है परन्तु पत्तियों की नसें हरी ही बनी रहती है।
ताम्बा (कॉपर):
ताम्बा (कॉपर) की कमी के चलते पौधे के शीर्ष पत्तियाँ मुरझा जाती है और वह गहरे हरे रंग में बदल जाती है। पौधों की नई पत्तियाँ अक्सर अंदर की ओर मुड़ जाती हैं और इसके पश्चात् यह भूरे रंग में बदलकर पूरी तरह से सूख जाती हैं। पत्तों के छोर झुलस कर सुंई के जैसे दिखाई देने लगते हैं।
बोरॉनः
बोरॉन तत्व की कमी होने पर पौधों की नई पत्तियों में पीलापन, बौनापन और कोपल विकृत होता है। इससे पौधों की वृद्वि एवं विकास अरूद्व हो जाता है। पौधों पर फूल एवं फल का निर्माण कम और इनके समय से पहले झड़ने की शिकायत रहती है तथा फलों का आकार, वजन और उनक गुणवत्ता में भी कमी आती है। इस तत्व की अधिक कमी होने से फलों का फटना या फलों में दरार का बनना भी देखा गया है।
मॉलिब्ड़ेनमः
पौधों में मॉलिब्ड़ेनम तत्व की कमी के लक्षण, नाइट्रोजन तत्व की कमी से मिलते जुलते ही होते हैं, क्योंकि मॉलिब्ड़ेनम का मुख्य कार्य नाइट्रोजन का उपापचय होता है। पुरानी और मध्य पत्तियाँ पीली पड़नी आरम्भ हो जाती है और पत्तियाँ किनारों की ओर मुड़ने लगती हैं। इस तत्व की कमी से पौधे का विकास अवरूद्व हो जाता है फूलों का बनना बंद हो जाता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।