
मिट्टी की बनावट क्या होती है? Publish Date : 03/06/2025
मिट्टी की बनावट क्या होती है?
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
मिट्टी की बनावट का मतलब है मिट्टी में रेत (Sand), सिल्ट (Silt) और चिकनी मिट्टी (Clay) के कणों के अनुपात से होता है।
यह अनुपात यह तय करता है कि मिट्टी कितना पानी रोक सकती है और कितनी तेजी से पानी बाहर निकलता है (जल-निकासी क्षमता)।
मिट्टी के प्रकार-
मिट्टी के तीन मुख्य प्रकारः
रेतीली मिट्टी (Sandy Soil)
- यह मिट्टी पानी को जल्दी निकाल देती है।
- पानी और पोषक तत्व रोकने की क्षमता इसमें कम होती है।
- तरबूज, मूंगफली जैसी फसलों के लिए यह मिट्टी ठीक रहती है।
चिकनी मिट्टी (Clayey Soil)
- यह मिट्टी पानी को अधिक मात्रा में रोक सकती है।
- ज्यादा समय तक नमी को बनाए रखती है।
- धान, गन्ना आदि फसलों के लिए यह मिट्टी उपयुक्त रहती है।
दोमट मिट्टी (Loamy Soil)
- यह मिट्टी रेत, सिल्ट और चिकनी मिट्टी का संतुलन है जो सबसे अधिक उपजाऊ होती है।
- सब्ज़ियां, गेहूं, धान आदि सभी प्रकार की फसलों के लिए अच्छी रहती है।
किसान भाइयों के लिए सलाहः
- अपनी मिट्टी की बनावट जानने के लिए मिट्टी परीक्षण अवश्य कराएं।
- मिट्टी के अनुसार ही फसल का चयन करें।
- जरूरत के अनुसार सुधार करें, जैसे- रेतीली मिट्टी में गोबर खाद डालें, ताकि नमी बनी रहे।
मृदा उर्वरता (Soil Fertility) क्या है?
मृदा उर्वरता का अर्थ हैः
मिट्टी में पौधों की अच्छी वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्धता।
जब मिट्टी में भरपूर मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सूक्ष्म पोषक तत्व, और जैविक तत्व होते हैं, तो पौधे स्वस्थ होते हैं, अच्छी उपज देते हैं और रोगों का सामना भी कर पाते हैं।
मृदा उर्वरता बढ़ाने के उपायः
खेत की मिट्टी की जाँच करवाएं - यह पता लगाने के लिए कि किस पोषक तत्व की कमी है।
जैविक खाद (गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद) का अधिक प्रयोग करें।
उचित फसल चक्र अपनाएं - एक ही फसल को बार-बार न बोएं।
जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग करें।
मिट्टी का कटाव न होने दें - खेत में ढाल बनाए रखें और मेड़ों की मरम्मत करें।
लाभः
- अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।
- लागत में कमी आती है।
- मिट्टी की गुणवत्ता उत्तम बनी रहती है।
- पर्यावरण की रक्षा होती है।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।