फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए कारगर है जिप्सम खाद      Publish Date : 24/10/2024

        फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए कारगर है जिप्सम खाद

                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एव डॉ0 वर्षा रानी

भूमि सुधार और फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक है जिप्सम खाद, जिप्सम खाद पर सरकार भी देती है इस पर सब्सिडी।

सोयाबीन सहित अन्य तमाम खरीफ फसलों की कटाई का कार्य अब लगभग समाप्त ही होने वाला है। इसके बाद सभी किसान रबी फसलों की बुवाई के कर्यों में लग जायेंगे। अब कई किसान गेंहू सहित अन्य सभी रबी फसलों का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए डीएपी, एनपीके सहित अन्य प्रकार की खाद का भी भरपूर उपयोग करते है। इन्हीं खाद एवं उर्वरकों में से है जिप्सम की खाद भी है।

                                                                        

भूमि में पोषक तत्व जिप्सम की कमी के चलते ही इस खाद का उपयोग किया जाता है। जिप्सम खाद का प्रयोग करने से भूमि के स्वास्थ्य में सुधार होता है और फसलों का उत्पादन भी बढ़ जाता है। जिप्सम खाद का प्रयोग करने से न केवल क्षारीय भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है, बल्कि इसका उपयोग करके फसलों की पैदावार और क्वालिटी दोनों को ही बढ़ाया जा सकता है।

आमतौर पर जिप्सम खाद की कीमत डीएपी आदि खादों की अपेक्षा कही अधिक होती है। जिसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान अपनी फसलों के लिए जिप्सम खाद खरीद ही नही पाते है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार अब जिप्सम खाद पर सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। हमारे कृषि विशेषज्ञ बता रहे है जिप्सम खाद के उपयोग एवं सब्सिडी के बारे में विस्तार से।

क्या है जिप्सम खाद?

                                                                      

जिप्सम एक प्राकृतिक द्वितीयक खनिज है। रासायनिक रूप में यह कैल्शियम सल्फेट (CaSO42H2O) के रूप में भी जाना जाता है। इसमें सामान्यतः 16 से 19 प्रतिशत कैल्शियम और 13 से 16 प्रतिशत सल्फर होता है। कृषि में यह क्षारीय भूमि के सुधार व पोषक तत्व के रूप में उपयोगी माना जाता है।

जिप्सम खाद प्रयोग करने के लाभ

क्षारीय भूमि को उपजाऊ बनाने और इस प्रकार की भूमि से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए जिप्सम का उपयोग करना काफी लाभदायक सिद्व होता है। एक पोषक तत्व के रूप में जिप्सम का उपयोग तिलहन, दलहन और गेहूं आदि की फसलों में किया जाए तो इससे इन फसलों की क्वालिटी और उत्पादन में संतोषजनक बढ़ोतरी की जा सकती है।

कब एवं कितनी मात्रा में डालें जिप्सम खाद

                                                             

जिप्सम को मिट्टी में फसलों की बुवाई करने से पहले डाला जाता है। जिप्सम डालने से पहले खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करके खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए। इसके बाद पाटा लगाकर जिप्सम का भुरकाव करना चाहिए।

इसके पश्चात, एक हल्की जुताई करके जिप्सम को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहएि। सामान्यतः धान की फसल में 10-20 किग्रा कैल्शियम प्रति हैक्टेयर एवं दलहनी फसलों में 15 किग्रा कैल्शियम प्रति हैक्टेयर भूमि से ग्रहण कर लेती है।

जिप्सम खाद डालते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • जिप्सम को अधिक नमी वाले स्थान पर न रखें तथा जमीन से कुछ ऊपर रखें।
  • मृदा परिक्षण के उपरान्त जिप्सम की संस्तुत की गई मात्रा अपने खेत में डालें।
  • तेज हवा के बहते समय जिप्सम का बुरकाव न करें।
  • जिप्सम डालने से पहले अगर इसमें ढेले हैं तो इन्हे चूर कर बारीक पाउडर बना लेना चाहिए।
  • जिप्सम का बुरकाव करते समय किसान के हाथ सूखे होने चाहिए।
  • जिप्सम को बच्चों की पहुँच से दूर रखना चाहिए।
  • जिप्सम का बुरकाव पूरे खेत में एकसमान रूप से करना चाहिए।
  • जिप्सम डालने के पश्चात इसे मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिला देना चाहिए।

20 हजार रूपये तक सब्सिडी मिलती है जिप्सम की खाद पर

राज्य सरकार की योजना के तहत वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 20,000 किसानों को क्षारीय भूमि सुधार एवं पोषक तत्व के रूप में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन एवं गेहूं के तहत दलहनी और गेहूं की फसलों में उपयोग के लिए जिप्सम का वितरित किया जाएगा, जिस पर सब्सिडी भी दी जाएगी।

जिप्सम खाद पर किन किसानों को मिलेगी सब्सिडी एवं कितनी मिलेगी?

                                                                      

यहां आपको बता दें की, जिप्सम खाद पर सब्सिडी अभी केवल राजस्थान के किसानों को ही दी जा रही है। कृषि विभाग दौसा के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्थान सरकार की ओर से किसानों को क्षारीय भूमि सुधार करने के लिए जिप्सम पर शत-प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है जो अधिकतम 0.5 हैक्टेयर क्षेत्र के लिए दिया जाएगा। किसानों को जिप्सम की मांग के अनुसार अधिकतम 1.50 मैट्रिक टन जिप्सम उपलब्ध कराया जाएगा।

राष्ट्रीय कृषि विकास के अंतर्गत संचालित सॉयल हैल्थ फर्टिलिटी कम्पोनेंट के तहत भूमि के लिए 50 प्रतिशत अनुदान पर एक किसान को अधिकतम दो हैक्टेयर क्षेत्र के लिए भूमि की जिप्सम मांग रिपोर्ट के अनुसार प्रति हैक्टेयर अधिकतम 5 मैट्रिक टन जिप्सम उपलब्ध कराया जा सकेगा। राष्ट्रीय खाद्य मिशन के तहत दलहन फसलों में जिप्सम 250 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर 50 प्रतिशत अनुदान या अधिकतम 750 रुपए प्रति हैक्टेयर प्रति किसान को अधिकतम 2 हैक्टेयर तक अनुदान दिया जाएगा।

जिप्सम पर सब्सिडी के लिए कहां करें आवेदन

सरकार की ओर से राज्य के किसानों को जिप्सम की मांग के लिए राज किसान साथी- सुविधा पोर्टल या एप के माध्यम से अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा। इसके लिए किसान आधार नंबर से लॉगिन कर एप पर अपनी जिप्सम की मांग को प्रेषित कर सकते हैं।

भूमि सुधार कार्यक्रम के लिए जिप्सम की मांग के साथ ही मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला से प्राप्त जिप्सम मांग रिपोर्ट जो कि छह माह से अधिक पुरानी नहीं हो, को भी अपलोड करना होगा। जिप्सम पर सब्सिडी की अधिक जानकारी के लिए किसान अपने क्षेत्र के निकटतम कृषि विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।