गन्ने में उकठा रोग एवं जड़ बेधक कीट के प्रबन्धन हेतु आवश्यक सुझाव      Publish Date : 02/09/2025

गन्ने में उकठा रोग एवं जड़ बेधक कीट के प्रबन्धन हेतु आवश्यक सुझाव

                                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा

1. गन्ने की खड़ी फसल में जड़ के पास सिस्टेमिक फफूंदनाशी थायोफेनेट मिथइल 70 डब्ल्यू. पी. का 1.3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से (520 ग्राम + 400 लीटर पानी प्रति एकड़) अथवा कार्बेन्डज्ञजिम 50 डब्ल्यू. पी. का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी (800 ग्राम + 400 लीटर पानी प्रति एकड़) की दर से घोल बनाकर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर दो बार ड्रेचिंग करें और ड्रेचिंग के बाद एक हल्की सिंचाई भी अवश्य करें।

2. जड़ों के पास मृदा में मौजूद लाभदायक सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता को सुनिश्चित् करने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग न करें।

3. जड़ बेधक के नियंत्रण के लिए पर्याप्त नमी की अवस्था में फिप्रोनिल 0.3 जी 10-12 किलोग्राम अथवा क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. 2 लीटर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. 200 मिली. अथवा बाइफेन्थ्रिन 10 ई. सी. का 400 मिली. प्रति एकड़ की दर से 750 लीटर पानी में घोलकर ड्रेचिंग करें।

आगामी फसल में रोग से बचाव के उपायः

                                                         

1. बुवाई के लिए अनिवार्य रूप से स्वस्थ बीज का उपयोग कर रोग के प्राथमिक संक्रमण से बचा जा सकता है।

2. उत्तर प्रदेश के लिए स्वीकृत की गई रोग-रोधी गन्ना प्रजातियों की बुवाई को प्राथमिता प्रदान करें।

3. रोग से प्रभावित खेतों में उचित फसल चक्र के अन्तर्गत अन्य फसलों की बुवाई भी अनिवार्य रूप से करें।

4. गन्ने के बीज के टुकड़ों को 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू. पी. अथवा थायोफेनेट मिथाईल 70 डब्ल्यू. पी. तथा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. (0.5 मिली. + 1 लीटर पानी) कीटनाशक के साथ पारम्परिक विधि के द्वारा 10-30 मिनट शोधन करने पश्चात ही बुवाई करें।

5. एक या दो आँखों वाले टुकड़ों को 0.1 प्रतिशत कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू. पी. अथवा थायोफेनेट मिथाईल 70 डब्ल्यू. पी. के साथ सेट ट्रीटमेंट डिवाइस से 30 तक उपचारित आवश्यक रूप से करें।

6. उकठा रोग से बचाव के लिए मृदा में बोरेक्स (बोरिक एसिड) की 6 कि.ग्रा मात्रा और जिंक सल्फेट की 10 कि.ग्रा. मात्रा का प्रयोग प्रति एकड़ की दर से करें।

7. मृदा के जैविक उपचार के लिए बुवाई के समय जैव-नियंत्रक ट्राइकोडर्मा हारजिएनम का प्रयोग 4 कि.ग्रा. प्रति एक की दर से कम्पोस्ट खाद के साथ मिलकार खेती की तैयारी करते समय या गन्ने की बुवाई के समय नालियों में तथा ब्यांत एवं ग्रोथ अवस्था में अवश्य करना चाहिए।

8. ट्राइकोडर्मा किसी अधिकृत स्रोत से क्रय करना चाहिए और इसकी वैद्यता तिथि का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

9. गन्ने के जड़ बेधक एवं अन्य कीटों का नियंत्रण करने के लिए बुवाई के समय गन्ने के टुकड़ों पर प्रति एकड़ की दर से फिप्रोनिल 0.3 जी की 8 कि.ग्रा. मात्रा अथवा क्लोरपाइरीफॉस 50 प्रतिशत ई. सी. मात्रा 2 लीटर अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस. एल. की मात्रा 200 मिली. अथवा बाइफेन्थ्र्रिन 10 ई. सी. की 400 मिली. मात्रा को 750 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से ड्रेचिंग करने से लाभ प्राप्त होता है।

10.  एक निश्चित् समय अन्तराल पर खेत की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।