
गन्ने की फसलः कीटों के प्रति सावाधानी Publish Date : 25/08/2025
गन्ने की फसलः कीटों के प्रति सावाधानी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं आकांक्षा
आमतौर पर गन्ने की फसल में विभिन्न प्रकार के कीटों के लगने का खतरा बना रहता है और गन्ने के यह कीट गन्ने की फसल को बरबाद कर सकते हैं। किसानों को अपनी गन्ने की फसल को इन कीटों के प्रकोप से बचाने के लिए सबसे पहले तो गन्ने की बुवाई के समय ही कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जिससे कि फसल में कीट लगने ही न पाए, परन्तु यदि फिर भी गन्ने में कीट लग जाते हैं, तो इनसे बचाव के लिए किसानों को उचित कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए, जिससे कीटों से छुटकारा पाया जा सका है।
गन्ने की खेती करने वाले किसान भाईयों को वर्तमान समय के अनुसार विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि यह समय कीटों और रोगों के प्रति सर्वाधिक अनुकूल होता है। चालू समय के दौरान गन्ने की फसल में कीटों का प्रकोप हो सकता है, जिसकी पहचान और नुकसान के लक्षणों की पहचान करना जानकर ही इन कीटों का उचित प्रबन्धन कर पाना सम्भव हो सकेगा। गन्ने के कुछ प्रमुख कीट, उनकी पहचान और हानि का विवरण कुछ इस प्रकार हो सकता है-
दीमकः
गन्ने की फसल में यह कीट गन्ने की बुवाई से लेकर उसकी कटाई की अवस्था तक कभी लग सकता है। दीमक गन्ने की पेड़ी के कटे सिरों, पौधों की आँखों, कल्लों और जड़ से तने तक पौधे को काटकर खाता है, साथ ही कटे हुए स्थान को मिट्टी से भर देता है।
कीट का प्रबन्धन
दीमक की रोकथाम के लिए बावेरिया बैसियाना के 2 कि.ग्रा. पाउडर को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए। इसके अतिरिक्त यदि आपके खेत में दीमक का प्रकोप हो तो खेत की समुचित सिंचाई करने से भी दीमक के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
अंकुर बेधक कीट
अंकुर बंधक कीट गन्ने के कल्लों को प्रभावित करने वाला एक कीट है आमतौर पर गन्ने की फसल में इस कीट का प्रकोप गर्मी के महीनों (मार्च से जून तक) अधिक होता है। इस कीट से प्रभावित पौधों की पहचान मृतसार का पाया जाना होता है, पौधे के ऊपर से दूसरी पत्ती या तीसरी पत्ती के मध्य सिरे पर लालधारी का पाया जाना होता है।
कीट का प्रबन्धन
सबसे पहले किसानों को इस कीट के अंड़ों को एकत्र कर देना चाहिए, प्रभावित पौधों को पतली खुरपी से लार्वा/प्यूपा सहित काटकर निकालना और उनकों चारे में प्रयोग करना या नष्ट कर देना चाहिए।
पायरिला कीट
पायरिला कीट 10-12 मिमी लम्बा और हल्के से भूरे रंग का होता है। इस कीट के शिशु एवं वयस्क गन्ने के पौधों की पत्ती से रस चूसकर उन्हें हानि पहुँचाते हैं। इस कीटा प्रकोप अप्रैल के माह से अक्टूबर के माह तक अधिक देखा गया है।
शल्क कीटः
गन्ने की पोरियों का रस चूसने वाला यह एक हसनिकारक कीट है। इस कीट के श्ज्ञिशु ल्के पीले रंग के होते हैं, जो थोड़े समय में गन्ने की पोरियों पर चिपक जाते हैं। इस कीट के गतिहीन सदस्यों का रंग पहले राख की तरह भूरा होता है, जो धीरे-धीरे काला हो जाता है मछली के शल्क की तरह से यह कीट गन्ने की पोरियों पर चिपके हुए पाए जाते हैं।
कीट का प्रबन्धनः
इस कीट से प्रभावित क्षेत्रों के बीज का प्रयोग अप्रभावित क्षेत्रों में नहीं करना चाहिए और जहाँ तक सम्भव हो कीट से ग्रसित खेत में पेड़ी फसल नहीं ली जानी चाहिए।
ग्रासहौपर कीट
इस कीट के निम्फ एवं वयस्क गन्ने की पत्तियों को जून से सितम्बर माह तक काटकर गन्ने की फसल को हानि पहुँचाते है।
कीट का प्रबन्धन
इस कीट की प्रभावी रोकथाम करने के लिए मेंड़ों की छंटाई और घास-फूंस आदि की सफाई की उचित व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए।
विशेषः
- समस्त प्रकार के बेधक कीटों की रोकथाम के लिए चार लाइट फैरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से प्रयोग की जानी चाहिए।
- नीम ऑयल/अजाडिरैक्अिन 2.5 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करने से लाभ प्राप्त होता है।
- पीला/नीला स्टीकी ट्रैप 20 प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें और आवश्यकता होने पर ही रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए।
इसके साथ ही अपने जिले के जिला गन्ना अधिकारी/कृषि रक्षा अधिकारी और क्षेत्रीय गन्ना सहायक या कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों से भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।