
फैरोमौन डिस्पेंसर से कम लागत में कीट नियंत्रण Publish Date : 06/08/2025
फैरोमौन डिस्पेंसर से कम लागत में कीट नियंत्रण
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
फैरोमौन डिस्पेंसर नियंत्रित रिलीज दर के साथ कीट नियंत्रण और प्रबंधन की लागत को कम कर सकता है कीट नियंत्रण कृषि का एक अनिवार्य हिस्सा है, क्योंकि कीट और अन्य परजीवी अनियंत्रित हो जाते हैं और अच्छी फसल को जल्द ही नष्ट कर सकते हैं।
हाल ही में एक सहयोगी अनुसंधान परियोजना में जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर), बैंगलुरु, (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान) और आईसीएआर-राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो (आईसीएआर-एनवीएआईआर) के वैज्ञानिकों ने नियंत्रित रिलीज दर के साथ एक स्थायी फैरोपौन डिस्पेंसर विकसित किया है, जो कीट नियंत्रण और प्रबंधन की लागत को बहुत हद तक कम करने के लिए एक अभिनव समाधान बन सकता है।
अब वे प्रयोगशाला में अपनी सफलता को औद्योगिक उत्पादन में परिवर्तित करने की योजना बना रहे हैं, जिस से इस के माध्यम से बड़े पैमाने पर किसानों को सीधा लाभ प्राप्त हो सके। इसके लिए जेएनसीएएसआर और आईसीएआर-एनबीएआईआर ने हाल ही में कृषि विकास सहकारी समिति लिमिटेड (केवीएसएसएल), हरियाणा के साथ एक तकनीकी लाइसैंस समझौता भी किया है।
इस आयोजन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए प्रो. एम. ईश्रमूर्ति ने कहा, ‘यह अभ्यास पूरे देश में और वैश्विक स्तर पर भी प्रौद्योगिकी के प्रसार को सक्षम बनाएगा। कीट प्रबंधन के लिए किसान समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए अनुसंधान का लाभ प्रयोगशाला से खेत तक पहुंचाया जाएगा।’
डा. केशवन सुबेहरन ने कहा, ‘वर्तमान में स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों के विकास पर बल दिया जा रहा है। इसी तर्ज पर अर्धरसायनों (फैरोमौन जैसे संकेत देने वाले पदार्थ) के नियंत्रित रिलीज पर विकसित तकनीक का हस्तांतरण फर्मों में करने से एक बड़े क्षेत्र को कवर करते हुए उत्पादन वृद्धि को सक्षम बनाया जाएगा।
स्थायी जैविक फैरोमौन डिस्पेंसर कोई नई अवधारणा नहीं है। वास्तव में फैरोमीन रिलीज करने वाले पीलिमर मेम्ब्रेन या पौलीप्रोपाइलीन द्वय डिस्पेंसर पहले से ही बाजार में हावी है रिलीज किए गए फैरोमौन लक्षित कीट प्रजातियों का व्यवहार बदल देते हैं और कीटों को चिपचिपे जाल की ओर आकर्षित करते हैं।
दूसरे शब्दों में, इन जालों को बारबार जांचने और बदलने की आवश्यकता होती है, जिस से लागत बढ़ जाती है और आवश्यक शारीरिक मेहनत भी बढ़ जाती है।
जेएनसीएएसआर और आईसीएआर एनबीएआईआर के वैज्ञानिकों ने अपने डिस्पैसा में मेसोपोरस सिलिका मैट्रिक्स का उपयोग कर के इस मुद्दे का समाधान किया है। इस सामग्री में कई छोटे छेदों के साथ एक क्रमबद्ध संरचना होती है, जो फैरोमौन अणुओं को आसानी से सोखने और समान रूप से बनाए रखने में मदद करती है। मेसोपोरस सिलिका न केवल अन्य वाणिज्यिक सामग्रियों की तुलना में अधिक धारण क्षमता प्रदान करता है, बल्कि यह संग्रहीत फैरोमौन को ज्यादा स्थिर तरीके से रिलीज करता है, जो बाहरी स्थितियों, जैसे कि क्षेत्र के तापमान से स्वतंत्र होता है।
प्रस्तावित फैरोमौन डिस्पेंसरयुक्त ल्यूर का उपयोग करने से कई फायदे होते हैं। सब से पहले लोड किए गए फैरोमौन की कम और ज्यादा स्थिर रिलीज दर के कारण प्रतिस्थापन के बीच का अंतराल लंबा होता है, जिससे किसानों का कार्यभार कम हो जाता है। इसके शीर्ष पर डिस्पेंसर को फैरोमौन की अधिक अपरिवर्तनवादी मात्रा के साथ लोड किया जा सकता है, क्योंकि स्थिति स्वतंत्र रिलीज दर यह सुनिश्चित करती है कि वे समय से पहले रिलीज न हो।
इस तरह प्रस्तावित डिजाइन प्रति डिस्पेंसर आवश्यक फैरोमौन की मात्रा को कम करता है, जिससे लागत में कमी आती है और सुलभ व स्थायी कृषि प्रथाओं में योगदान प्राप्त होता है।
डा. केशवन सुबेहरन ने कहा, ‘विकसित उत्पाद मौजूदा डिस्पेंसर पर बढ़त प्राप्त करेंगे, क्योंकि वे ल्यूर की विस्तारित क्षेत्र प्रभावकारिता और फैरोमौन उपयोग की मात्रा कम होने के कारण लागत को कम करने में मदद करते हैं।’
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।