फिशरीज में फ्यूचर      Publish Date : 19/10/2025

                                  फिशरीज में फ्यूचर

                                                                                                                                                                               प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

“भारत में मत्स्य उत्पादन कई गुना बढ़ाया जा सकता है बस आवश्यकता है, युवाओं को प्रशिक्षित करने की। फिशरीज साइंस क्या है और इसमें कितनी संभावनाएं”

नदियों की प्रचुरता और दूर-दूर तक फैले समुद्री क्षेत्र के कारण भारत में जलीय जीव-जन्तुओं की कोई कमी नहीं है। समुद्र एवं नदियों के तट पर रहने वाली एक बड़ी आबादी की आजीविको इन जलीय जीव-जंतुओं खासकर मछलियों पर ही निर्भर है। अधिक संसाधनों के बाद भी देश में उतना सत्स्य उत्पादन नहीं हो रहा हैं। इसका कारण है कि मत्स्य उद्योग के प्रति लोगों में जागरुकता की कमी है। यदि युवा वर्ग फिशरीज साइंस का प्रशिक्षण लेकर इसे, कैरियर के रूप में चुने तो मत्स्य उत्पादन में देश नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।

प्रशिक्षण की जरूरत

देश में उपलब्ध समुद्र, नदियों, नहरों, तालाबों, झीलों आदि में पाई जाने वाली मछलियों का उपयोग केवल भोजन के रूप में ही नहीं बल्कि कई तरह की जीवनरक्षक दवाएं निर्मित करने में भी किया जाता है। इन कार्यों में विशेष प्रकार की मछलियों का प्रयोग होता है। इन मछलियों की मांग बाजार में बहुत अधिकहै जिस कारण से ये काफी अच्छे दाम पर बिकती हैं। मत्स्य पालन से जु जुड़ा एक बड़ा वर्ग इन बातों से अनजान है। मत्स्य उद्योग से संबंधित ये जानकारियां इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोगों को हो जाए तो उनकी आर्थिक स्थिति के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में भी देखने को मिलेगा।

 जानकारियां

फिशरीज साइंस का कोर्स करने वालों को मत्स्य उद्योग से संबंधित सभी जानकारियां हासिल हो जाती हैं। फिशरीज साइंस में मुख्यतः मौसम को ध्यान में रखते हुए मछलियों की पैदावार में वृद्धि करना, ठीक समय में उनका प्रजनन कराना, मछलियों को बीमारी से बचाना आदि तो सिखाया ही जाता है साथ ही साथ मछलियों की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी एवं बाजार में किस प्रजाति की मछलीकी मांग अधिक है और उसकी कीमत क्या है, इसकी भी जानकारी दी जाती है। जो लोग मत्स्य उद्योग से जुड़े हैं और ये आवश्यक जानकारियां रखते हैं वे इस फील्ड में काम कर रहे दूसरे लोगों की तुलना में कहीं अधिक कमा रहे हैं।

अवसर

                                                         

फिशरीज साइंस में प्रशिक्षित लोगों के लिए फिश फार्म, हैचरी, फिश कल्चर, फूड प्रोडक्शन आदि के क्षेत्र में रोजगारों की भरमार है। इस फील्ड में पगार भी अच्छी मिलती है। इस व्यवसाय में लगे लोग इस कोर्स को करने के बाद अपनी आय को कहीं अधिक बढ़ा सकते हैं।

कोर्स

फिशरीज साइंस में कई तरह के कोर्स किए जा सकते हैं। यूजी कोर्स के लिए 12वीं में जीवविज्ञान विषय के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। स्नातक स्तर के कोर्स की अवधि चार वर्ष निर्धारित है। स्नातक करने के बाद फिशरीज साइंस में पीजी भी किया जा सकता है। पीजी कोर्स दो वर्ष का है।

प्रवेश

देश में जो भी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन की संस्थाएं हैं उनमें प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा के जरिए होता है। इस परीक्षा का आयोजन 'इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, नई दिल्ली' द्वारा कराया जाता है।

प्रमुख संस्थान

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज एजुकेशन, मुंबई

कोच्ची यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंडटेक्नोलॉजी, कोच्ची

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुरपंजाब

एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना कर्नाटक यूनिवर्सिटी, धारवाड़

नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्स, लखनऊ

कॉलेज ऑफ फिशरीज, बिहार

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।