
कॅरियर समुद्र की गहराई से Publish Date : 16/10/2025
कॅरियर समुद्र की गहराई से
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
महासागर की तलहटी में होने वाली छोटी से छोटी हलचल से लेकर खनिजों और चट्टानों के बारे में अध्ययन करने का काम ओशनोग्राफर का होता है। आज के दौर की बात करें तो युवा ओशनोग्राफी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि इस क्षेत्र में पैसा भी है और रोचकता भी।
महासागरों की गहराई की तरह ही गहरे अध्ययन की जरूरत होती है “ओशनोग्राफी” के कोर्स में। असल में ओशनोग्राफी महासागरों के बारे में वैज्ञानिक दृष्टि और व्यापकता से जानने का विज्ञान है। ओशनोग्राफी समुद्र, तटीय क्षेत्र, एस्ट्यूरीज, तटीय जल, शेलव्स और ओशन बेड के बारे में जानने की एक विधा है। सही मायने में यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें बायोलॉजी, केमिस्ट्री, जियोलॉजी, मेट्रोलॉजी, फिजिक्स आदि के सिद्धांत लागू होते हैं।
ओशनोग्राफी में कॅरियर की बात करें तो विकासशील देशों में इसकी काफी माँग बढ़ी है। यह प्रोफेशन काफी चौलेंजिंग है और खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो महासागर की गहराईयों में जाकर कुछ सीखने की जिज्ञासा रखते हैं। उनके प्रमुख कार्य महासागर में जाकर नमूने चुनना, सर्वे तैयार करना, उपकरणों से डाटा आकलन करना आदि होते हैं। ओशनोग्राफर के काम में पानी में होने वाले घुमाव और उसके बहाव की दिशा, पानी के फिजिकल और कैमिकल सामग्री के आकलन का काम भी शामिल होता है।
इन सब से तटीय इलाकों, वहाँ के मौसम में होने वाले बदलावों और आबोहवा पर क्या असर पड़ेगा इसकी भी जानकारी मिलती है। ज्यादातर देखा जाता है कि इस क्षेत्र से फिजिसिस्ट, बायोलॉजिस्ट, कैमिस्ट और जियोलॉजिस्ट जुड़े रहते हैं जो अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल ओशन स्टडीज में करते हैं।
असल में ओशनोग्राफी पूरी तरह से अध्ययन से जुड़ा क्षेत्र है जिसके लिए लम्बे वक्त के लिए आपको समुद्र में समय बीताना होता है। ऐसे में जरूरी है कि आपका मानसिक मनोबल मजबूत बना रहे तभी इस क्षेत्र में आप किसी ऊँचाई तक पहुँचने में सफल हो सकते हैं।
थोड़ा अनुभव प्राप्त करने के बाद लोगों को उनकी विशेषज्ञता के अनुरूप अलग अलग तरह के कार्य सौंपे जाते हैं। जिसमें मरीन बायोलॉजी, जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी, फिजिकल ओशनोग्राफी और कैमिकल ओशनोग्राफी शामिल है।
योग्यता
विज्ञान विषय से जिन लोगों ने स्नातक किया है वो ओशनोग्राफी का कोर्स कर सकते हैं। इस विषय में अगर महारत हासिल करनी है तो गणित अच्छी होना बेहद जरूरी है। वहीं मरीन रिसर्च के लिए डॉक्टरेट या फिर पीजी की उपाधि होना जरूरी है। ओशनोग्राफी के ज्यादातर कोर्स तीन वर्ष के होते हैं। महासागरों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की उत्सुकता, ओशन सिकनेस न होना, अकेलेपन और बोरियत के बीच भी मानसिक सिंबल बनाए रखना, सहनशीलता और टीम के साथ अच्छा व्यवहार रखना बेहद जरूरी है। इसके अलावा तैराकी और डाइविंग की जानकारी इस कोर्स की प्राथमिक जानकारियों में शामिल है।
रोजगार के अवसर
ओशनोग्राफर निजी, सार्वजनिक व सरकारी संस्थानों में बतीर इंजीनियर, वैज्ञानिक या फिर तकनीशियन का काम कर सकते हैं। सरकारी संस्थाएँ जैसे कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, मैटीरियलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और डिपार्टमेंट ऑफ ओशनोग्राफी में नौकरी की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं।
कार्यक्षेत्र
केमिकल ओशनोग्राफी इस क्षेत्र में पानीकी क्वालटी का आकलन एवं संयोजन होता है। इस क्षेत्र से जुड़े लोग महासागर की तलहटी में होने वाले केमिकल रिएक्शन पर नजर रखते हैं। इसके अलावा नई तकनीक की खोज करना जिससे सागर में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम आदि का जिम्मा भी इन लोगों का होता है।
जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी
जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी सी-फ्लोर की वास्तविक स्थिति का पता लगाते हैं। महासागर की तलहटी में मिलने वाले खनिजों और चट्टानों की जानकारियाँ भी इन्हीं लोगों से हम तक पहुँचती है। फिजिकल ओशनोग्राफी फिजिकल ओशनोग्राफी समुद्र और महासागर के अध्ययन की विधा है। इस क्षेत्र से जुड़े लोग तापमान, लहरों की गति, घनत्व व करंट का पता लगाते हैं।
मरीन बायोलॉजी
इस क्षेत्र में मरीन एनवायरमेंट का अध्ययन किया जाता है। साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े लोग समुद्र में मिलने वाले जहाजों के टुकड़े, टूल्स, विल्डिंगों के हिस्से और पुराने समय के बर्तनों का भी अध्ययन करते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।