सही रणनीति से सधेगा लक्ष्य      Publish Date : 15/10/2025

                      सही रणनीति से सधेगा लक्ष्य

                                                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

“अगर बात किसी मंजिल तक पहुँचने की हो तो सफर की शुरुआत सही रणनीति से करनी चाहिए। इस दौरान कई सारी चीजें इस रणनीति में शामिल होकर आपकी सारथी बनती हैं। आपने कुछ हासिल करने की सोची है तो उसी हिसाब से आपकी रणनीति भी होनी चाहिए।“

बेशक इस समय स्टू‌डेंट प्री-बोर्ड की परीक्षा में मशगूल होंगे लेकिन उनकी सबसे ज्यादा चिंता तो आगामी बोर्ड एग्जाम को लेकर होगी। अब तक आपने क्या पढ़ा अथवा क्या पढ़ना शेष हैं, यहसब अब अपने अंतिम दौर में पहुंचने वाला है। इन शेष दिनों में आपको जी भी लक्ष्य साधना है उसकी रणनीति कुछ ऐसी बनानी होगी कि उसे आप आसानी से पा सकें। प्री बोर्ड के नजीते कैसे आएँगे, यह सोचने से बेहतर होगा कि आप अपनी पूरी ऊर्जा तैयारी को फिनिशिंग टच देने में खर्च करें। इसी से आपकी दशा व दिशा दोनों ही तय होंगी। स्टूडेंट यह ध्यान रखें कि यह समय बहुत ही संवेदनशील होता है। इस समय जरा-सी चूक भी आप को असफलता की ओर धकेल सकती है।

न्यू स्टेट एकेडमी पीतमपुरा, नई दिल्ली की प्रिंसिपल डॉ. संगीता भाटिया का कहना है, 'हर साल बोर्ड की परीक्षा में लाखों स्टूडेंट सम्मिलित होते हैं। सबकी अलग-अलग इच्छाएँ, अलग-अलग लर्निंग स्टाइल तथा सोच होती है। लेकिन लक्ष्य सबका एक ही होता है तथा पहुंचना एक ही जगह होता है। जब भी स्टूडेंट अपने बाकी बचे दिनों की एक रणनीति के तहत प्रयोग में लाना चाहते हैं तो उस दौरान उनकी रणनीति हमेशा व्यक्तिगत रूप से तय है। रणनीति बनाते उनकी रणनीति हमेशा व्यक्तिगत रूप से तय है। रणनीति बनाते समय टॉप और चॉटम दोनों को छोड़कर मिडिल लेवल पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

                                                                       

यह तैयारी केवल बोर्ड परीक्षा के समय की न होकर हर दिन की होती है। स्टूडेंट हर सीढ़ी को अगली सीढ़ी समझकर अपना कदम बढ़ाते रहें। उनके लिए यह एग्जाम कोई नया नहीं है। यदि वे बारहवी की परीक्षा में बैठ रहे हैं तो इससे पूर्ण वह 11 बार परीक्षा में बैठ चुके हैं तथा दसवीं बोर्ड परीक्षा में बैठ रहे हैं तो भी वह 9 बार परीक्षा दे चुके हैं। कई सारी ऐसी चीजें अथवा महत्वपूर्ण विन्दु हैं जिन्हें ध्यान में रखकर वे अपनी रणनीति को सही तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं।

सिलेबस पर नजर दौड़ाएँ

सबसे पहले अपने सिलेबस का फिर से आकलन करें। यह देखें कि 2010 का सिलेबस पिछली बार से भिन्न है या नहीं। किस चैप्टर से कितने अधिक प्वाइंट्स निकल रहे हैं तथा परीक्षा के लिहाज से उनका कितना महत्व है यह सब पहले ही तय हो जाना चाहिए। आपकी सामग्री (स्टडी मटेरियल) भी सेलेबस के जरिए त्तय होती है। स्टूडेंट कोशिश यही करे कि वे प्रैक्टिस बुक अथवा एनसीईआरटी की किताबों पर ही खुद को फोकस करें। इसके अलावा स्वंग के नोट्स एवं टीचर्स द्वारा दिए गए टिप्स पर भरोसा जताएँ। बाजार में तो भ्रमित करने बाले कई स्टडी मटीरियल्स भरे पड़े हैं। इनसे बचने की कोशिश करें।

अपनी कमियों को पहचानें

आपकी तैयारी में तब तक गति अथवा निखार नहीं आ पाएगा जब तक आप अपनी कमियों को नहीं ढूंढ़ लेंगे। इन कमियों से आप जितना ही भागेंगे वे उतना ही आपका पोछा करेंगी। कमी तो हर इनसान के अंदर होती है। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई हो जी अपने आप में पूर्णता दर्शाता हो। दिक्कत यह नहीं है कि आपके अंदर कौन-कौन सी कमी है. बल्कि दिक्कत यह है कि किस तत्परता से आप उन्हें पहचान कर दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। प्री बोर्ड का रिजल्ट आने के बाद काफी कुछ क्लीयर हो जाता है कि किस सब्जेक्ट से आपको खतरा हो सकता है।

नया टॉपिक टच करने से बचें

स्टूडेंट सबसे बड़ी गलती यही करते हैं कि अक्सर वे सुनी-सुनाई बातों पर यकीन कर लेते हैं। जबकि इस दौरान समय सिर्फ रिवीजन का होता है। नया टॉपिक छूने का मतलब खुद को उलझाना होता है। नतीजा यह निकलता है कि नए टॉपिक के चक्कर में पिछला सारा भूल जाता है। इसलिए अब तक जो भी पढ़ा है उसी पर भरोसा करके रिवीजन तथा टेस्ट प्रैक्टिस पर ध्यान दें। इसके अंतर्गत यह कोशिश कर सकते हैं कि फार्मूलों एवं महत्वपूर्ण बिन्दुओं की एक सूची बनाकर ऐसी जगह जहाँ आपकी निगाह बराबर जाती हो।

टाइम मैनेजमेंट हो बेहतर

रणनीति तैयार करने का सबसे अहम भाग होता है टाइम मैनेजमेंट करना। टाइम मैनेजमेंट स्टू‌डेंट को सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। यह विभाजन कुछ इस प्रकार का हो कि हर विषय की उनकी जरूरत के हिसाब से भरपूर समय मिले। यह प्रयास करें कि एक-डेढ़ घंटे पढ़ाई के बाद ब्रेक मिले तथा दो कठिन विषयों के बीच में एक आसान विषय शामिल हो। जब भी पढ़ने बैठें एक प्लान के तहत ही पढ़ने बैठें।

आप दिन में अधिक समय दे पाते वा रात में, यह सब आपकी दिनचर्या एवं सहूलियत पर निर्भर करता है। वैसे सुबह का समय पढ़ने के लिए अधिक उपयुक्त रहता है।

मार्क्स के हिसाब से हों शब्द

एग्जाम में कई तरह के प्रश्न आते हैं। कुछ के मार्क्स अधिक होते हैं तथा कुछ के कम। अधिक मार्क्स वाले प्रश्नों का उत्तर अधिक शब्दों में दिया जा सकता है, लेकिन एक या दो मार्क्स वाले प्रश्नों का जवाब कम शब्दों में होता है। इसलिए उनकी तैयारी भी उसी हिसाब से हो तो फायदेमंद होता है। जिन पर कम मार्क्स मिलने हैं उन पर समय खर्च न कर बड़े प्रश्नों को पूरा समय दें।

इससे समय की बचत तो होगी ही साथ ही अन्य टॉपिक भी आपके दायरे में आ सकेंगे। यह तभी कारगर हो सकता है जब पूरे सैलेबस की आपको गहन जानकारी हो तथा प्रश्नों का नेचर मालूम हो।

हर विषय है महत्वपूर्ण

स्टूडेंट के बारे यह बात कही जाती है कि जो विषय उन्हें प्रिय होती है, उन पर वह खूब समव खर्च करते हैं तथा कठिन विषयों के संपर्क में आने से वे बचते हैं। कुछ हद तक यह बात सही भी है। कठिन विषयों पर कम ध्यान फोकस करने तथा उन पर लंबा गैप देने से चे धीरे-धीरे भूलने लग जाते हैं तथा वे कमजोरी बनकर सामने आते हैं। हर विषय को प्राथमिकता देते हुए अपनी रणनीति में शामिल करें।

मॉडल पेपर का सहारा लें

सीबीएसई सहित यूपी बोर्ड ने भी अपना मांडलपेपर जारी कर दिया है। मॉडल अथवा सैंपल पेपर हल करने की रणनीति भी कई तरह से हो सकती है। जैसे कि यदि आपने प्री बोर्ड तक अपने सेलेबस को समाप्त कर दिया है तो अपना मॉक टेस्ट हफ्ते भर में दे सकते हैं। यदि दो-तीन चैप्टर का देना है तो उसे एक या दो दिन में प्लान कर सकते हैं। इसमें देखें कि पूछे जाने वाले प्रश्नों का नेचर एवं लैग्वेज कैसा है। उसी हिसाब से उनकी तैयारी करें तथा उनका उत्तर भी दें।

ग्रुप डिस्कशन के लिए समय निकालें

कुछ स्टूडेंट खुद के द्वारा की गई तैयारी को सही मानते हैं तो कुछ ग्रुप डिस्कशन के जरिए खुद में निखार लाते हैं। यदि आप ग्रुप डिस्कशन (जीडी) का सहारा ले रहे हैं तो किसी विषय के पैष्टरों की आपस में बॉट लें तथा फिर सप्ताह के हिसाब से उन पर अपना नजरिया स्पष्ट करें। स्टूडेंट इसमें जरा भी लापरवाही न बरतें। क्योंकि इससे पूरे ग्रुप को नुकसान होने का खतरा रहता है।

बाकी चीजों से भी जुड़े रहें

एग्जाम नजदीक आते ही छात्र अपने फ्रेंड्स सर्किल से कटने लग जाते हैं तथा अन्य गतिविधियों से दूर रहने लगते हैं। इसे सही नहीं कहा जा सकता है। इन दिनों में कैसे भी स्टूडेंट्स पर स्ट्रेस बढ़ जाता है तथा वे एग्जाम फोचिया से ग्रसित हो जाते हैं। जबकि एक्स्ट्रा एक्टिबिटी जैसे टहलना, TV देखना, क्रिकेट खेलना आदि उनके तनाव को काफी हद तक कम करते हैं। हॉ, फर्क सिर्फ यही होता है कि यह कम समय के लिए करें। कहा भी जाता है कि पढ़ाई यदि खुशनुमा माहौल में हो तो अधिक आत्मसात होती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।