स्वयं का विकास करें, कामयाबी खुद पीछे आएगी      Publish Date : 13/10/2025

           स्वयं का विकास करें, कामयाबी खुद पीछे आएगी

                                                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

“अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने में जो सीमाएं आड़े आती हैं, वे आपकी ही बनाई हुई हैं”

अगर क्षमता होने के बावजूद आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो आपको निराश होने की कतई जरूरत नहीं है। सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं। उसी प्रकार अगर आप में काबिलियत है, तो एक न एक दिन दुनिया के सामने जरूर आएगी। डॉ ग्रांट ने अपनी पुस्तक “हिडन पोटेंशियल: द साइंस ऑफ अचीविंग ग्रेटर थिंग्स” के जरिये उन तकनीकों के बारे में चर्चा की है, जो उन लोगों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं, जो काबिल होने के बावजूद निराशा का सामना कर रहे हैं।

असहजता से सीखें

ज्यादातर लोगों से अगर आप यह सवाल पूछेंगे कि जीवन में सफल होना ज्यादा जरूरी है या खुद का विकास करना, तो यकीनन आपको सफल होने के पक्ष में कई तर्क मिल जाएंगे। दरअसल, जो लोग समय के साथ खुद का विकास करना जानते हैं, वह जीवन के हर पड़ाव से कुछ न कुछ नया जरूर सीखते हैं। इसलिए किसी भी काम को करते वक्त सिर्फ अपनी सहजता को न देखें। आप जिस भी कार्य को करने में फंस रहें हैं या कार्य को करने के दौरान असहज महसूस कर रहे हैं, तो यह मान कर चलिए कि आप कुछ नया सीखने वाले है।

इसलिए जब भी ऐसा हो, तो घबराएं नहीं क्योंकि हरदम कुछ नया सीख कर ही आप अपने पेशेवर व निजी जीवन में आगे बढ़ सकेंगे।

बर्नआउट से बचें

                                                   

अपनी काबिलियत को दुनिया के सामने लाने के लिए बर्नआउट सिंड्रोम से बचें। बर्नआउट तब महसूस होता है, जब आप मानसिक रूप से अत्यधिक थकावट महसूस करते हैं। इसकी वजह से लोगों में उत्साह की कमी हो जाती है, साथ ही साथ मानसिक तनाव भी बढ़ता है। आप अपनी दैनिक दिनचर्या में खेल और नई गतिविधियों को शामिल कर बर्नआउट सिंड्रोम से छुटकारा पा सकते हैं।

इसके अलावा जब भी आप खुद को थका हुआ महसूस करें, तो एक छोटा ब्रेक लें। जीवन का यह ब्रेक आपको अधिक आत्मविश्वासी बनाने के साथ नए कौशल को सीखने में भी मदद करेगा।

फीडबैक नहीं, सलाह मांगे

अक्सर आपने देखा होगा कि लोग अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए अपने से अनुभवी लोगों से फीडबैक मांगते हैं। लेकिन फीडबैक मांगना एक हद तक आपके लिए सही नहीं है, क्योंकि फीडबैक हमेशा आपके अतीत के प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है। इसलिए फीडबैक आपके भविष्य के लिए मददगार साबित नहीं हो सकता है।

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की एक रिसर्च के अनुसार, सलाह मांगना ज्यादा प्रभावी तरीका है, क्योंकि सकारात्मक रूप से दी गई सलाह से यह निर्धारित होगा कि आप अपने भविष्य में और कैसे अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।