वेतन पर बात हो, तो रखें ध्यान      Publish Date : 12/10/2025

                      वेतन पर बात हो, तो रखें ध्यान

                                                                                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

जॉब और वेतन की शर्तों पर बात करना आसान नहीं होता। यहां पेश हैं कुछ सलाहें, जो इस प्रक्रिया के दौरान आपकी मदद करेंगी।

जॉब और वेतन की शर्तों पर बात करना आसान नहीं होता। फ्रेशर्स के लिए अधिकतर कंपनियां कुछ इस तरह से ऑफर पेश करती हैं कि ऑफर्स को आपस में तुलना करना तक आसान नहीं होता। क्योंकि बहुत सी कंपनियों में वेतन पैकेज भत्तों, रिइंबर्समेंट, स्टॉक, बोनस आदि के रूप में पेश किया जाता है। उस पर एक ही जॉब के लिए अलग-अलग सेक्टर के एग्जीक्यूटिव अपने स्किल्स की बदौलत बराबर की दावेदारी रखते हैं।

ऐसे में सबके लिए एक समान वेतन पैकेज बनाना भी संभव नहीं और सही भी नहीं है। इसलिए वेतन पर बातचीत करनी ही पड़ती है। लेकिन, इसके लिए कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें:

                                                                      

बातचीत के तनाव, को मैनेज करना सीखें: वेतन पर बातचीत में अयथार्थपूर्ण तर्क से बचें। लालच या अति-महत्वाकांक्षी दिखने से भी बचें। आप ये कह सकते हैं कि आपकी योग्यताओं के अनुसार आप थोड़ा ज्यादा के हकदार हैं। आपको दयनीय नहीं दिखना है, ना ही आक्रामक या दबंग। बल्कि इसके बारे में दोस्तों के साथ मिलकर अभ्यास करें और अपने तर्क और तरीके पर उनकी राय लें।

अपनी मांग के बारे में समझाएं: आप क्या-क्या चाहते हैं, सिर्फ इतना ही अपने सीवी में दर्ज करने से काम नहीं चलता। ज्यादा वेतन या वर्क फ्रॉम होम जैसी जो भी मांग है, उसके सही होने के बारे में अपने तर्क और वजह को भी बताएं। स्वाभिमान और घमंड के बीच के अंतर को समझते हुए बात कहें। क्योंकि कोई कंपनी आपको पसंदकर रही है, इसका मतलब यह नहीं कि आपकी तर्कहीन बात भी स्वीकार की जाएगी। अगर डिमांड रखने की कोई खास वजह आपको नहीं मिल रही, तो खुद का आकलन करना जरूरी है।

एक-एक करके नहीं बताएं शर्तें: बार-बार एक-एक करके अपनी स्थिति और शर्तों के बारे में बताना आपका प्रभाव खराब कर सकता है। ना ही सारी जरूरतों को क्रम में रखते हुए बताएं। ऐसे में कोई दो-तीन कम महत्व की चीजें स्वीकार्य कर ली जाती हैं और फिर कहा जा सकता है कि हमने तो आपकी 50 फीसदी शर्तें मान ली हैं। इसके बजाय सभी बातों का उल्लेख करते हुए सबकी संबंधित अहमियत को भी बताएं।

'वर्ना' शब्द पर ध्यान कितना दें?: ऑफर ले लीजिए, वर्ना... या जी नहीं, ये तो बिल्कुल नहीं हो सकता। ऐसे वाक्य सुनकर निराश ना हों, ना ही तैश में आएं। चेतावनी जैसा कुछ कहा जाए, तो उस पर ध्यान ना देना ही उचित है। अगर वह आधारहीन चेतावनी है, तो बातचीत के दौर में समय के साथ साबित हो जाएगा। नम्रता से असहमति जताते हुए इस पर कुछ रास्ता निकालने की बात करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।