जिद ऐसी जो सोने न दे      Publish Date : 07/10/2025

                            जिद ऐसी जो सोने न दे

                                                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

सबसे पहले देश भर में मशहूर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के सुरक्षाकर्मी रामजल मीणा के बारे में जानते हैं, जिनकी खबर पिछले दिनों आपने जरूर देखी-पढ़ी-सुनी होगी। रामजल राजस्थान के एक गांव के दिहाड़ी मजदूर के बेटे हैं और खुद तीन बेटियों के पिता हैं। वह जेएनयू में सुरक्षाकर्मी के तौर पर नौकरी कर रहे हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी से अंडरग्रेजुएट डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने पत्राचार माध्यम से राजनीति विज्ञान से एमए का पहला साल पूरा कर लिया है। ताजा खबर यह है कि नौकरी के साथ पढ़ाई करते हुए उन्होंने जेएनयू की प्रवेश परीक्षा पास कर ली है और वह अब इस साल से रशियन भाषा में बीए ऑनर्स की पढ़ाई भी कर सकेंगे।

दरअसल, यह कामयाबी उन्हें उनकी जीवटता और सपने को पूरा करने की जिद की वजह से ही मिली है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

                                                             

हरप्रीत सिंह ने वर्ष 2018 की सिविल सेवा परीक्षा में 19वां स्थान प्राप्त करके टॉप-20 में जगह बनाई, लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर इतना आसान नहीं रहा। यह सफर शुरू हुआ था वर्ष 2016 में, जब उन्होंने उस वर्ष की सिविल सेवा परीक्षा के जरिए बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट का पद हासिल किया था। परन्तु इतने से वह संतुष्ट होकर नहीं बैठ गए।

चूंकि उनका सपना आइएएस बनना था, इसलिए भारत-बांग्लादेश सीमा पर 24 घंटे की कठिन ड्यूटी के बीच समय निकाल कर पढ़ाई करते हुए उन्होंने अपने सपने को जीवित रखा। बीएसएफ में रहते हुए ही वर्ष 2017 की सिविल सेवा परीक्षा में 454वीं रैंक प्राप्त करते हुए वह इंडियन ट्रेड सर्विसेज के लिए चुन लिए गए। इसके बाद भी उन्होंने उम्मीद व जिद नहीं छोड़ी और आखिरकार वर्ष 2018 में अपनी मंजिल ह्यसिल कर ही ली।

ये सिर्फ चंद उदाहरण हैं। देश और दुनिया में ऐसे अनगिनत लोग हैं, जो विपरीत परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद सिर्फ अपनी जिद और लगन से अपने सपनों को येने-केन प्रकारेण हासिल कर ही लेते हैं।

बेशक इसमें देर होती है, लेकिन उम्मीद और कामयाबी पाने की जिद से भरे होने के कारण कारण हर असफलता उनके उत्साह को कम करने की बजाय और बढ़ा देती है। दिशा हो सहीः आज भी ऐसे तमाम लोग हैं, जो सपने तो देखते हैं पर साथ ही संसाधनों और सही माहौल न होने का रोना रोते हुए समुचित प्रयास नहीं कर पाते।

ऐसे लोगों को उपरोक्त लोगों के संघर्षों को ध्यान से देखते हुए सबक लेना चाहिए। कोई भी मंजिल या कामयाबी बैठे बिठाए कतई नहीं मिलती। उसके लिए सही दिशा में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आप यह भी नहीं कह सकते कि हमने मेहनत तो बहुत किया, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया या फिर भाग्य में लिखा होगा तो कम मेहनत में भी कामयाबी मिल जाएगी। जी नहीं। अगर आपको लगता है कि कुछ लोगों को बड़ी आसानी से कामयाबी मिल गई, तो शायद आपने उनकी तैयारी और रणनीति पर गौर नहीं किया।

बेशक आप कड़ी मेहनत करते हैं, पर क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया कि इसकी दिशा सही रही या नहीं?

                                                          

हो सकता है कि आप जिस मंजिल तक पहुंचना चाहते हैं, उसके बारे में अपनी क्षमता/सामर्थ्य के बारे में भरपूर आकलन किए बिना ही आगे बढ़ते रहे। जब काफी समय निकल जाता है, तव आपको हताशा होने लगती है कि मैंने इतना समय लगा दिया पर हासिल कुछ नहीं हुआ। जहां थे, आज भी वहीं हैं। समय और निकल गया। अब आगे क्या किया जाए?

समझ-बूझ कर करें शुरुआत हो सकता है कि आपने बिना सोचे-समझे या किसी से प्रभावित होकर किसी खास करियर की दिशा में कदम बढ़ा दिया हो। हां, ऐसा करने पर भी अगर आपकी रुचि उसमें बढ़ जाती है, तो ठीक है अन्यथा आगे बढ़ने के साथ मन न रमने की स्थिति में आप जो भी पढ़ेंगे, उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकलने वाला। ऐसे में हताशा/निराशा से बचने के लिए जरूरी है पहले ही अपनी रुचि अरुचि के अनुसार कि आप किसी भी दिशा में कदम बढ़ाने से अपनी पसंद का क्षेत्र चुनें।

फिर यह देखें कि उसके लिए किस तरह की योग्यता हासिल करने की जरूरत है? क्या आप ऐसा करने में खुद को सक्षम समझते हैं? अगर आपको अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है तो इस बारे में स्ट्रेटेजी बनाकर तैयारी आगे बढ़ाने की।

ऐसा फैसला ले सकते हैं। इसके बाद बारी आती है न करने की स्थिति में आप बहुत मेहनत से तो बहुत ज्यादा जाएंगे, पर यह आपकी मेहनत का अपव्यय ही होगा। क्योंकि आपको जिन क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस करना चाहिए, उनकी बजाय आप कहीं और भटकते रहे। इससे भ्रम से पढ़की स्थिति भी उत्पन्न होती है।

हताशा न हो हावी अगर आपने अच्छी तरह सोच-समझ कर कोई क्षेत्र चुना है, तो पूरे हौसले के साथ आगे बढ़ें। प्रतिकूल परिस्थितियों औरसीमित संसाधनों से घबराकर प्रयास रोक देने या उसमें कमी लाने की बजाय इन्हें दूर करने के उपाय तलाशें। हो सकता है कि शुरुआती प्रयासों में आपको कामयाबी न मिले, पर अगर आपको खुद पर पूरा विश्वास है और निश्चय पक्काहै, तो आरंभिक असफलताओं से घबराने और हताश होने की बजाय इन्हें कामयाबी की सीढ़ी बना लें। जिद को और दृढ़ कर लें। याद रखें, किसी भी असफलता के लिए आप परिस्थितियों या दूसरों को दोष नहीं दे सकते। अगर आपने कोई मंजिल तय की है, तो यह आपके ऊपर है कि आप उसे पाने के लिए दुर्गम रास्ते किस तरह तय करते हैं।

यदि हताशा आप पर हावी होने लगे, तो ऐसे में उन लोगों को याद करें, उनके जीवन की कहानियां पढ़ें, जिन्होंने शारीरिक, अपनी जिद से कामयाबी की इबारत लिखी। आर्थिक, पारिवारिक परेशानियों के बावजूद।

तय करें प्राथमिकताः यह भी हो सकता है कि आपका मन एक ही साथ कई क्षेत्रों में जाने को करता हो। ऐसे में भटकाव से बचने और एकाग्रता के साथ आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि आप अपनी प्राथमिकता तय करें। अपना पसंद प्राथमिकता में सबसे ऊपर हो। अगर आप ध्यान उस क्षेत्र पर केंद्रित करें, जो आपकी तो बेशक अपने पास प्लान-बी भी रख सकते करियर को लेकर और ज्यादा सुरक्षा चाहते हैं। हालांकि यह भी दूसरों की सोच के अनुसार नहीं, बल्कि आपकी खुद की पसंद के आधार पर होना चाहिए।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।