वैज्ञानिक बनने को लगाएं पंख      Publish Date : 04/10/2025

                        वैज्ञानिक बनने को लगाएं पंख

                                                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

सरकार की ओर से वैज्ञानिक शोध कार्यों को प्रोत्साहन दिए जाने से युवाओं के लिए वैज्ञानिक के रूप में अवसर तेजी से बढ़ रहे है। इसे देखते हुए स्कूलों-कॉलेजों में बच्चों की साइंस और इनोवेशन में रुचि बढ़ाने की काफी जरूरत महसूस की जा रही है। लगातार इन्वेंशन और इनोवेशन से न सिर्फ हम और तरक्की करेंगे, बल्कि निश्चितरूप से इससे दुनिया में देश की अलग पहचान भी बनेगी-

                                                                 

जरा याद कीजिए, स्मार्टफोन के आने से पहले हमारी आपकी लाइफ कैसी थी?या फिर ओला-उचर या ऑनलाइन खरीदारी को ही ले लीजिए। इनकी बदौलत जीवन कितना आसान हो गया है। देखा जाए, तो विज्ञान और तकनीक ने पिछले पांच-छह सालों में दुनियाभर में इतना बदलाव ला दिया है कि कुछ साल पहले तक इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। विज्ञान के क्षेत्र में आज इंजीनियरिंग, मेडिसिन और आर्किटेक्चर के अलावा एयरोस्पेस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डाटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स, एग्रीकल्वर साइंस, एनॉयर्नमेंटल साइंस या फिर बायोइंजीनियरिंग के रूप में नए-नए इमर्जिंग फील्ड आ जाने से युवाओं के लिए इस क्षेत्र में करियर की और भी ज्यादा नई राहें खोल दी हैं।

सरकार द्वारा प्रोत्साहनः डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के अधीन कार्यरत विज्ञान प्रसार की ओर से इन दिनों बच्चों में विज्ञान के प्रति रुझान पैदा करने के लिए बहुत-सी योजनाएं चलाई जा रही है, जैसे कि 'इंस्पायर मानक'। इसके तहत जिला स्तर पर स्कूली बच्चों के यूनीक इनोवेशन को चुनकर उसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई नाती है, उसे सपोर्ट प्रदान किया जाता है। इसी तरह, 'चिल्दून साइंस कॉम्पिटिशन', 'किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना' और 'आइरिस' स्कीम के तहत ग्रासरूट लेवल पर बच्चों को साइंस के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है। स्टूडेंट इन स्कीम्स की जानकारी विज्ञान प्रसार की आधिकारिक वेबसाइट(https://vigyanprasar.gov.in) के अलावा अपने स्कूल से भी हासिल कर सकते हैं।

संभावनाओं भरा करियरः विज्ञान विषयों से पढ़ाई के बाद इन दिनों इस क्षेत्र में कई तरह के करियर अवसर उपलब्ध हैं। अगर आप पीसीएम विषयों से पढ़ाई कर रहे हैं, तो आगे चलकर अंतरिक्ष, परमाणु अनुसंधान और भौतिकी विज्ञान को प्रयोगशालाओं में अनुसंधान कार्य कर सकते हैं। अगर बॉयोलॉजी से है, तो जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा तथा सांख्यिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक बन सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आठवीं कक्षा के बाद से ही आप विज्ञान विषयों में रुचि लेना शुरू करें, उसके कॉन्सेप्ट की जीवन में व्यावहारिकता और उपयोगिता को समझकर उसकी पढ़ाई करें। जो भी नए-नए शोधकार्य हो रहे हैं, उनसे खुद को अपडेट रखें। कुल मिलाकर, स्कूल में किताबी पढ़ाई की बजाय प्रैक्टिकल पढ़ाई पर आपका ज्यादा नौर होना चाहिए।

सरकारी क्षेत्रों में करियरः विज्ञान में रुचि लेने वाले युवाओं के लिए इन प्रतिष्ठित संस्थानों में आकर्षक करियर के मौके हैं:

                                                            

इसरोः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है, जिसका मुख्य कार्य देश को अंतरिक्ष संबंधी शोध और तकनीक उपलब्ध करवाना है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। इस संस्थान में आज की तारीख में हजारों की संख्या में उत्साही वैज्ञानिक और इंजीनियर काम करते हैं। अगर आप भी इसरो में जाना चाहते है, तो अंतरिक्ष विज्ञान, खगोल विज्ञान, एस्ट्रोफिजिक्स या एस्ट्रोनॉमी जैसे विषय पढ़कर वहां जा सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल और कंप्यूटर साईस आदि में बोई/बीटेक करके भी यहां एंट्री पाई जा सकती है। इसरो में करियर संबंधी जानकारी के लिए इसकी वेबसाइट www.isro.gov.in देख सकते हैं।

डीआरडीओः रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) रक्षा प्रणालियों के डिजाइन एवं विकास का कार्य करता है। यह रक्षा मंत्रालय के रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के अधीन काम करता है। देश की तीनों सेनाओं के लिएतमाम आधुनिकतम और विश्व स्तरीय हथियार प्रणाली और उपकरणों का उत्पादन यहीं पर होता है। डीआरडीओ में वैज्ञानिक बनने के लिए इंजीनियरिंग की किसी भी लोकप्रिय ब्रांच में बीई/बीटेक करने के बाद यहां पर करियर बना सकते हैं। यहां करियर संबंधी जानकारी के लिए इसकी वेबसाइट www.drdo.gov.in देखें।

कृषि अनुसंधानः अपनी सवा अरब की आबादी की खाद्यान्न जरूरतों को देखते हुए भारत का कृषि उत्पादकता बढ़ाए जाने पर काफी जोर है। इसके चलते नए-नए हाइब्रिड बीज, कीटनाशक और अत्याधुनिक कृषि यंत्रों की भारी मांग है। दरअसल, भारत में भौगोलिक स्थितियां हर जगह एक सी नहीं है। कहीं कृषि के लिए पानी नहीं है, तो कहीं जमीनें ज्यादा उपजाऊ नहीं हैं। ऐसे में जाहिर है एग्रीकल्चर, हार्टिकल्चर, फ्रूट कल्चर एवं शोध जैसे क्षेत्रों में कृषि वैज्ञानिक एवं इंजीनियर के रूप में ढेरों संभावनाएं है। जॉब संबंधी जानकारी के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्बर रिसर्च (आइसीएआर) http://icar.org.in देखें।

मौसम विज्ञानः पर्यावरण प्रदूषण और ग्लोबल बार्मिंग जैसी समस्याओं ने मौसम और पृथ्वीविज्ञान के क्षेत्र में करियर की नई राहें खोल दी हैं।भूकंप, चक्रवात, बाढ़, सूखा और हिमपात जैसी समस्याओं से जुड़े अनुसंधान में काफी संभावनाएं हैं। 12वीं के बाद एनवॉयर्नमेंटल साइंस या एनवायर्नमेंट स्टडीज की पढ़ाई करके युवा मौसम विज्ञानी वन सकते हैं। मौसम विभाग में वैकेंसी के बारे में जानकारी के लिए वेवसाइट https://mausam.ind.gov.in देखें।

उम्र सीमाः वैज्ञानिक बनने के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है। हालांकि इसरो, डीआरडीओ जैसी संस्थाओं में प्रवेश की अधिकतम आयु 35 वर्ष तक ही है। इसी तरह, वैज्ञानिक शोध कार्यों के लिए भी कम उम्र के लोगों को ही लिया जाता है। वैसे इस फील्ड में आने के लिए 20 से 35-40 साल की उम्र उपयुक्त मानी जाती है।

सैलरी पैकेजः भारत सरकार के अधीन विभिन्न संगठनों में कार्यरत वैज्ञानिक ग्रुप ए श्रेणी की सैलरी पाते हैं। इसलिए शुरुआत से किसी भी नए वैज्ञानिक को 40 से 60 हजार रुपये तक का वैतनमान मिलता है। जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है, तो ग्रेड के अनुसार सैलरी भी बढ़ती रहती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।