लीडर वह जो अपनी टीम को राह दिखाए      Publish Date : 14/09/2025

                लीडर वह जो अपनी टीम को राह दिखाए
 

                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर 
अच्छा लीडर वह है जो अपनी टीम को नए स्तर पर ले जाए। कर्मचारियों की मदद को आगे आए, जो खराब प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी भी और जो अच्छा कर रहे हैं उनकी भी, ताकि भविष्य में वे ज्यादा बेहतरकर सकें। आखिर एक नेता में सही गुण क्या होने चाहिए, कैसे हमें एक नेता की तरह सोचना चाहिए, बता रहे हैं हमारे कॅरियर एक्सपर्ट प्रोफेसर आर. एस. सेंगर-
हाल ही में मैंने एक वाट्सएप वीडियो देखा, जिसमें यह दर्शाया गया था कि लीडरशिप एक जिम्मेदारी की तरह होती है। इस वीडियो में एक तुर्की की कहानी दिखाई गई थी, जो रोड को ब्लॉक करके दर्जनभर साथी तुर्की लोगों को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचने में उनकी मदद करता है। लीडरशिप को लेकर उस वीडियो में जिस तरह से काम करते हुए दिखाया गया था, मैं बहुत अभीभूत हुआ। 

                                                             
दरअसल, वह एक लीडर था, जिसने आगे बढ़कर अपनी टीम की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली। हम लीडर्स को भी इसी तरह से दूसरों का मददगार बनना चाहिए। उसे अपने टीम मेंबर्स को सशक्त बनाने के लिए आगे आना चाहिए, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता के साथ अपना सर्वोत्तम योगदान प्रदान कर सकें। 
आखिरकार एक अच्छे लीडरशिप की क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए, इसे संक्षेप में 'स्टेप' (एसटीईपी) शब्द के जरिए परिभाषित किया जा सकता है। इससे स्पष्ट होगा कि अपने कर्मचारियों को कैसे रोजमर्रा के कार्यों के लिए अधिक प्रोडक्टिव और कार्यकुशल बनाया जा सकता है:
एस (सपोर्ट): सपोर्ट यानी मदद, यह बहुत ही. बुनियादी एक्सरसाइज है, जो एक लीडर को अपने वर्कप्लेस पर फॉलो करना चाहिए, ताकि टीम के सदस्य अच्छी तरह से समझ सकें कि उनसे क्या उम्मीदें हैं। इसके लिए केआरए (की रिजल्ट एरिया) और केपीआइ (की परफॉर्मेंस इंडीकेटर) एक बेहतर तरीका हो सकता है। एक लीडर की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह कर्मचारियों को संस्थान के आंतरिक एवं बाह्य गतिविधियों को समझाने में उनका सहयोग करे, उनके ऊपर पड़ने वाले अनुचित दबाव या तनाव के कारणों को यथाशीघ्र दूर करने का प्रयास करे।

                                                      
टी (ट्रेन): ट्रेनिंग लीडरशिप का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है। कोई भी व्यक्ति अपनी जॉब में सौ फीसदी फिट नहीं हो सकता। यह सिर्फ एक काल्पनिक बात है। एक लीडर के रूप में हमें यह करना चाहिए कि सम्बन्धित कर्मचारी की स्ट्रेंथ और उसकी कमियों को पता कर उसमें सुधार लाने के रास्ते सुझाएं। इससे टीम सदस्यों का भी आत्मविश्वास बढ़ता है।
ई (एंगेज): दुनिया भर के तमाम अध्ययनों से यह बात साबित हो चुकी है कि कर्मचारियों और संस्थान के बीच आपसी तालमेल और मेलजोल से कर्मचारी कहीं ज्यादा प्रोडक्टिव बनते हैं। लेकिन यह चीज रातोंरात नहीं हो सकती। इसके लिए एक लीडर को कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इसका परिणाम तब सामने आता है, जब कर्मचारी अपने हित के साथ-साथ संस्थान के लक्ष्यों, मूल्यों के प्रति खुद को समर्पित महसूस करता है।
पी (परफॉर्म): जब ऊपर की तीनों चीजें व्यस्थित क्रम में आ जाती हैं, तो परफॉर्मेंस खुद ब खुद सामने ही आने लगती है और कर्मचारी का विश्वास एवं झुकाव भी संस्थान की सफलता में तब ही अधिक दिखाई देता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।