कृषि क्षेत्र में भी बढ़ रही है कुशल कामगारों की डिमांड      Publish Date : 12/09/2025

         कृषि क्षेत्र में भी बढ़ रही है कुशल कामगारों की डिमांड

                                                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

बीते कुछ दशकों में भले ही युवाओं ने कृषि क्षेत्र की ओर से मुंह मोड़कर दूसरे क्षत्रों की ओर पलायन किया हो, लेकिन वर्तमान में रोजगार एवं स्वरोजगार की असीम सम्भावनाएं इसी क्षेत्र में दिखाई दे रही हैं। कौशल विकास एवं उद्वमिता मंत्रालय के द्वारा देशभर में स्थानीय स्तर पर राज्य कोशल विकास समिति और जिला कौशल समितियों के द्वारा जो योजनाएं बनाई गई हैं, उनके आधार पर विशेषज्ञों ने स्किल गैप और कौशल की माँग का आकलन किया है।

इस अध्ययन के परिणामों के माध्यम से सामने आया है कि वर्तमान समय में सबसे अधिक कुशल कामगारों की माँग कृषि और इससे सम्बन्धित क्षेत्रों में ही उभरकर सामने आई है।

                                                       

इस सम्बन्ध में कौशल विकास मंत्रालय के द्वारा कुल दस समूहों में अधिक माँग रखने वाले क्षेत्रों को न्हित किया है। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि पारम्परिक रूप से सबसे अधिक कुशल श्रमिकों की आवष्यकता आज भी मैन्युफैचरिंग एंड इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी के सेक्टर में ही है, परन्तु इसके बाद कुशल कामगारों की माँग सबसे अधिक कृशि एवं सम्बन्धित क्षेत्रों से ही सामने आ रही है। इस प्रकार से वर्तमान डिजिटल युग में भी कृषि सेक्टर का प्रभाव मजबूत बना हुआ है।

आईटी-आईटीईएस सेक्टर का स्किल गैप 127 जिलों में पाया गया है। कुशल कामगारों की सबसे अधिक माँग वाले अन्य सेक्टरों में हेल्थ केयर, इन्फ्रास्ट्रचर एंड कंस्ट्रक्शन, रिन्युएबल एनर्जी एंड ग्रीन टैक्नोलॉजी, पर्सनल एंड सोशल सर्विसेज, सेल्स एंड फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, सर्विस एंड ट्रैवल, टूरिज्म, हॉस्पिैलिटी एवं सम्बन्धित क्षेत्र भी शामिल हैं। इस परिप्रेक्ष्य में यदि उभरते हुए कृषि क्षेत्र की राज्यवार बात करें तो आन्ध्र प्रदेश के 19 जिलों में कंस्ट्रक्शन तो 16 जिलों में कृषि एवं सम्बन्धित क्षेत्र में कुशल कामगारों की माँग हैं।

इसी प्रकार से कृषि के मामले में उत्तर प्रदेश के 54 जिले, मध्य प्रदेश के 36, महाराष्ट्र के 24, असोम के 22, बिहार के 17, पश्चिम बंगाल के 11 और हिमाचल प्रदेश के 09 जिलों में कुश्ल कामगारों की माँग अधिक है। ऐसे में अब सरकार की तैयारी है कि स्थानीय आवश्यकता या स्किल गैप के आधार पर ही केन्द्र से लेकर राज्य और जिला स्तर पर ही कौशल विकास योजनाएं बनाई जाएं। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर भी विभिन्न योजनाओं को धरातल पर उतारने और उनकी निगरानी करने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

कृषि क्षेत्र में उभरते हुए जॉब मॉडल

डेयरी किसान, एग्रीकल्चर टेक्नीशियन्स, मशरूम उत्पादक, बाँस उत्पादक, फूड प्रोसेसिंग वर्कर, लघु सिंचाई टेक्नीशियन, सोलर पम्प टेक्नीशीयन, किसान ड्रोन ऑपरेटर, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादक, फूड पैकेजिंग वर्कर और ट्रैक्टर सर्विस मैकेनिक आदि की माँग इस समय बनी हुई है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।