जहां भी रहें, सर्वश्रेष्ठ बने रहने की कोशिश करें      Publish Date : 07/09/2025

            जहां भी रहें, सर्वश्रेष्ठ बने रहने की कोशिश करें

                                                                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

एक पेशेवर की बात-

मैं दो शिफ्ट करता था। पहली में सीखने के लिए वेतन पाता था और दूसरी में फ्री में सीखने जाता था। सात साल पहले जब मैं न्यूयॉर्क टाइम्स में एक इंटर्न के तौर पर आया, तब मेरी यह योजना बिल्कुल नहीं थी कि मुझे कंपनी का वफादार कर्मचारी बनकर रहना है। मैं सीखता गया और चीजें अपने आप ही होती गई। युवा अक्सर अपने कॅरियर को लेकर मुझसे सलाह मांगते हैं, तो मैं कुछ बातें हमेशा उनसे कहता हूं कि-

पैसा अपनी चिंता खुद करेगा

आप जो भी करें, उसमें सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश करें। पैसे की चिंता आप कतई न करें, वह तो अपनी चिंता खुद ही करेगा। आप किसी भी क्षेत्र में हों, अपना काम मिशन भाव से काम करें। महत्वाकांक्षाओं के बोझ से खुद को दबने न दें। काम को काम की तरह नहीं, बल्कि किसी जिम्मेदारी की तरह से करें। पैसा अपनी जगह जरूरी होता है, लेकिन काम करने का अपना सुख होता है, जो कहीं कहीं अधिक स्थायी होता है।

हिम्मत न हारने का फल

1990 के दशक की शुरुआत में जब मैं न्यूयॉर्क टाइम्स के दफ्तर एक इंटर्नशिप के लिए पहुंचा, तो मुझे बताया गया कि मेरा इंटरव्यू नहीं हो सकता, क्योंकि अभ्यर्थियों को इसके लिए पहले से साइनअप करना होता है, जो मैंने नहीं किया था। लेकिन मैं छह घंटे तक वहां बैठा रहा और आखिरकार मुझे इंटरव्यू देने का मौका मिला। मुझे खुद की काबिलियत पर भरोसा था। इंटरव्यू बोर्ड भी मेरे जवाबों से काफी प्रभावित हुआ और मुझे चुन लिया गया।

दिन सभी के लिए 24 घंटे का होता है

विभिन्न लोग मुमकिन है कि आपसे बेहतर स्थिति में हों। लेकिन, दिन तो सभी के लिए ही 24 घंटे का ही होता है और, इन घंटों में कोई आपको हरा नहीं सकता, बशर्ते आप खुद ऐसा न होने दें। अपनी इंटर्नशिप के दौरान मैं अपने बॉस से पहले ऑफिस आता था और उनके जाने के बाद तक काम करता रहता था।

अपना काम सीखना ही पर्याप्त नहीं

डेट्रॉयट न्यूज में मुझे अपनी पहली नौकरी मिली, तो मैंने निश्चय किया कि आगे बढ़ने के लिए केवल अपना काम सीखना पर्याप्त नहीं, मुझे अपने काम से जुड़े हर दूसरे काम को सीखना होगा। मैं तब दिन में दो शिफ्ट करता था। एक जिसके लिए मुझे वेतन मिलता था और दूसरी शिफ्ट में मुझे फ्री में सीखने का मौका मिलता था।

वर्कहॉलिक नहीं, काम से प्यार कीजिए

मैं खुद को वर्कहॉलिक नहीं मानता था क्योंकि मुझे अपने काम से प्यार था। मैं तब युवा था और युवाओं को जितना संभव हो, उतनी कड़ी मेहनत करनी चाहिए। मुझे किसी को प्रभावित नहीं करना था। मैं जानता था कि मेरा काम बोल रहा है।

अपने मित्र खुद चुनें

जहां लोग मिलकर काम करते हैं, वहां थोड़ी राजनीति तो होती ही है। आपको अपने जैसे ईमानदार और जुझारू लोग ढूंढने चाहिए, जो आपकी हरदम सहायता करें। मैंने कभी कोई लड़ाई नहीं लड़ी, लेकिन मैं कभी लड़ाई से भागा भी नहीं।

अपने बॉस को समझें

आपके बॉस ने जो काम आपको दिया है, मात्र उन्हें निपटा देना ही पर्याप्त नहीं होता है। आपके बॉस ने खुद अपने लिए, अपने डिपार्टमेंट के लिए जो लक्ष्य व अपेक्षाएं निर्धारित की हैं, उन्हें अगर आप समझते हैं, तो इसका मतलब है कि चीजों को व्यापकता में देख रहे हैं, जो एक पेशेवर के रूप में आपको परिपक्व बनाएगी, यह निश्चित है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।