अपने आप पर संदेह न करें      Publish Date : 27/08/2025

                      अपने आप पर संदेह न करें

                                                                                                                                                      प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

एक लीडर को किसी भी परिस्थिति में आत्म-संदेह से बचकर रहना चाहिए। प्रभावी नेतृत्वकर्ता वह होते हैं, जो अपने भीतर के शोर को आंतरिक मार्गदर्शन के रूप में बदल लेते हैं-

हमेशा प्रेरित रहने और अच्छा प्रदर्शन करने वाले पेशेवर भी कभी-कभार आत्म-संदेह से जूझते हुए दिखाई देते हैं। यह आत्म-संदेह ही है जो महसूस करवाता है कि कोई इन्सान खुद में पर्याप्त नहीं है और न ही वह किसी चीज के लायक है। दरअसल सबसे प्रभावी नेतृत्वकर्ता वे होते हैं, जो अपने भीतर के शोर को आंतरिक मार्गदर्शन के रूप में बदलना जानते हैं।

समय के साथ लगातार अभ्यास करके व्यक्ति अपने भीतर के आलोचक को एक बुद्धिमान मार्गदर्शक के रूप में परिवर्तित कर सकता है। यदि आप भी एक ऐसे ही पेशेवर हैं, जो अपने भीतर के आलोचक का सामना कर रहे हैं, तो हमारे आज के इस लेख में कुछ प्रभावी उपाय बताए जा रहे हैं, जो आपकी इस समस्या को सुलझाने में मदद कर सकती हैं।

मूल कहानी का पता लगाएं

सबसे पहले यह पहचानें कि आपके भीतर के आलोचक का इतिहास क्या रहा है। आमतौर पर यह प्रारंभिक संबंधों और सांस्कृतिक संदेशों द्वारा संचालित होता है। क्या यह कोई माता-पिता, शिक्षक या प्रबंधक थे? क्या आपकी प्रशंसा केवल तभी की गई, जब आपने कुछ हासिल किया था? इन प्रश्नों से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आलोचना सिर्फ एक सोच मात्र है।

इसका पता लगाने के लिए एक अभ्यास करें। जैसे अपने भीतर के आलोचक के बारे में एक संक्षिप्त कहानी लिखें। अपने आप से पूछें कि जब मैंने पहली बार अपने आको इतना नकारात्मक कब महसूस किया था? और उस समय मेरे जीवन में क्या घटित हो रहा था?

डर को समझें

जब आप आलोचना के पीछे छिपे डर को पहचान लेंगे, तो आप इस डर को आसानी दूर कर सकते हैं। अपने अंदर के आलोचक को कार्रवाई करते हुए देखें, तो उन्हें इस तरह जवाब दें कि आप मुझे गलती करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए धन्यवाद, लेकिन हम इसे और भी बेहत्तर तरीके से देख सकते हैं। इसके बाद पूछे कि अगर आपने मुझे इस तरह के सुझाव देना बंद किया, तो आपको क्या डर है? यह सरल वाक्य भीतर आपके भीतर छिपे हुए डर को खत्म कर सकता है।

दूरी बनाएं और संवाद शुरू करें

एक बार जब आप आलोचक के इरादे को समझ जाते हैं, तो एक चरित्र के रूप में उनकी कल्पना करें और आप उनके लहजे को अपनाएं। उनसे पूछें कि आप मुझसे इस तरह क्यों बात कर रहे हैं? क्या आप मुझे रोकने की कोशिश कर रहे हैं? इस तरह आपके आलोचक मानते हैं कि उनकी कठोरता ही आपको बड़ी गलतियां करने से रोक रही है। समय के साथ यह अभ्यास एक सम्मानजनक आंतरिक बातचीत में बदल सकता है।

आत्म-करुणा के साथ नेतृत्व करें

आत्म-करुणा आलोचक की एक आधारशिला होती है। ऐसे में, नेतृत्वकर्ता के रूप में इसका भरपूर अभ्यास करें, जैसे कि मैं अपेन आपको चिंतित महसूस कर रहा हूं, क्योंकि मैंने गलती की है। मैं अच्छा काम करने के बारे में गहराई से सोचता हूं, लेकिन एक गलती मुझे परिभाषित नहीं कर सकती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।