इंटरव्यू में जरूर पूछे जाएंगे ये सवाल      Publish Date : 24/04/2025

               इंटरव्यू में जरूर पूछे जाएंगे ये सवाल

                                                                                                                  प्रासेफेसर आर. एस. सेंगर

लगभग हर इंटरव्यू में कुछ ऐसे सामान्य सवाल जरूर पूछे जाते हैं, जिनका आसानी से जवाब देकर आप कठिन सवालों के लिए अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं।

किसी भीं नियुक्ति प्रक्रिया में साक्षात्कार सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। यह एक दो-तरफा प्रक्रिया होती है, जिसमें उम्मीदवार और कंपनी, दोनों एक-दूसरे का मूल्यांकन करते हैं। अगर आप आए दिन इंटरव्यू देते रहते हैं, तो ध्यान रखें कि भले ही आप किसी भूमिका के लिए आदर्श उम्मीदवार हों, लेकिन बगैर ठोस तैयारी के इंटरव्यू में शामिल होने से आपको फायदा कम नुकसान ज्यादा झेलना पड़ सकता है। ऐसे में, आपका प्रदर्शन पूर्व में की गई आपकी तैयारी पर निर्भर करता है।

                                      

इंटरव्यू में किसी भी जोखिम से बचने के लिए आपको पहले से ही उसकी एक ऐसी सुनियोजित योजना बनानी चाहिए, जो भूमिका, जिम्मेदारियों और कंपनी से आपकी अपेक्षाओं पर आधारित हो।

जॉब डिस्क्रिप्शन की तैयारी

इंटरव्यू में जाने से पहले जॉब डिस्क्रिप्शन (जेडी) के बारे में अच्छे से जान लें। इससे आपको उस पद से जुड़ी, जिसके लिए आप आवेदन कर रहे हैं, जिम्मेदारियों और उन्हें अच्छी तरह से निभाने के लिए जरूरी कौशल की जानकारी मिलती है। एक उम्मीदवार के पास भूमिका से जुड़ी जो जानकारियां होनी चाहिए, उन्हें लिख लेना एक बेहतर तरीका है।

वार्मअप प्रश्नों का अभ्यास

इंटरव्यू लेने वाले सीधे आपसे कठिन सवाल नहीं पूछेंगे। आपसे सबसे पहले आपके व्यक्तित्व, अनुभव, पृष्ठभूमि या अनुभव से जुड़े वार्मअप सवाल पूछे जाते हैं, जिनका जवाब आप सहजता से और अच्छी तरह से दे सकते हैं। ऐसे प्रश्नों की एक सूची बना लें और उन पर काम करें।

क्या, कैसे और क्यों

इंटरव्यू चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, एक संरचित प्रारूप का पालन करके ही आप उसमें सफल हो सकते हैं। इसके लिए आपको प्रत्येक साक्षात्कारकर्ता के सवालों को ध्यान से सुनने और उनका आकलन करके उत्तर देने का अभ्यास करना चाहिए। ऐसा आप तभी कर सकते हैं, जब आप प्रश्न में में छिपे क्या, कैसे और क्यों जैसे कारकों की पहचान कर पाएंगे। पिछले इंटरव्यू के सवालों या किसी पेशेवर की मदद लेकर आप ऐसा कर सकते हैं।

योग्यता और डिग्री से जुड़े सवाल

योग्यता से जुड़े सवाल आपको यह पता लगाने का मौका देते हैं कि आप किन क्षेत्रों में अच्छे हैं और किन में सुधार करने की आवश्यकता है। इससे जुड़े सवालों का अभ्यास करके आप आकलन कर पाएंगे कि नौकरी में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कौन-से कौशल होने जरूरी हैं।

जोखिम और उच्च दबाव

                                   

साक्षात्कार में आपसे ऐसे अनुभवों के बारे में भी पूछा जा सकता है, जिनमें कुछ नया करने के लिए आपने जोखिम उठाया हो या जब आपको उच्च दबाव वाली स्थिति में कठिन निर्णय लेने पड़े हों। ऐसे प्रश्नों के लिए भी तैयार रहें।

असफलता को स्वीकार करें

सफलता स्थायी लक्ष्य न होकर एक सफर है। इसमें आने वाली असफलताओं से सीखें और आगे बढ़ते रहें। ज्यादातर लोग बातचीत में केवल अपनी सफलताओं को ही याद रखते हैं, लेकिन यकीन मानिए असफलताएं मानस पर एक गहरी छाप छोड़ती हैं। असफल होना तो सीखने का एक माध्यम है, खासकर जब यह बातचीत से जुड़ा हो। बातचीत का यह तरीका इंटरव्यू, किसी सार्थक मुद्दे पर बहस या ग्रुप-डिस्कशन करना जैसा कुछ भी हो सकता है।

कभी-कभार अच्छे वार्ताकार भी अपनी बात को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं। ऐसे में, स्वयं को कसूरवार ठहराने के बजाय यह जानने कि कोशिश करनी चाहिए कि इन असफलताओं या गलतियों से कैसे और क्या सीखा जाए? इन्हें आगे बढ़ने के अवसर के रूप में देखें। इसके लिए, यह समझना जरूरी है कि वे क्यों और कैसे हुई? कुछ कदम उठाकर आप ऐसा कर सकते हैं।

असफलता को नकारें नहीं

असफलता से सीखने का पहला कदम उसे नकारने के बजाय स्वीकार करना है। बहुत से लोग यह स्वीकार करने से कतराते हैं कि बातचीत वास्तव में विफल रही। इससे उनके लक्ष्य अप्राप्त रह जाते हैं। जरूरी नहीं कि हर बातचीत सफल हो ही जाए। ऐसे में, आगे बढ़ने के लिए वास्तविकता का सामना करना जरूरी हो जाता है। विफलता को स्वीकार करने से आप सीख सकते हैं और आगे की बातचीत को बेहतर बना सकते हैं।

आकलन करें

                                            

असफल बातचीत से सीखने का अगला चरण यह है कि क्या गलत हुआ और क्यों? इसका मुख्य कारण जानने के लिए समग्र स्थिति को देखना जरूरी है। स्थिति का विश्लेषण करके आप उस सटीक क्षण की पहचान कर सकते हैं, जहां बातचीत में कोई गलती हुई हो। आप वार्ता को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके तथा प्रगति में बाधा डालने वाले विशिष्ट कार्यों और निर्णयों का आकलन करके इसकी पहचान कर सकते हैं।

सबक सीखें

तीसरा चरण इन गलतियों से सबक सीखना और भविष्य में उन्हें लागू करना है। हालांकि, सभी बातचीत एक जैसी नहीं होती है। किसी स्थिति में जो कामयाब या नाकाम रही, वह दूसरी स्थिति में भी लागू, ऐसा जरूरी नहीं है। जब कोई नई बातचीत शुरू करें, तो यह समझने के लिए एक गहन तुलनात्मक विश्लेषण करें कि यह पिछले अनुभव से कैसे मेल खाती है या उससे कैसे अलग है? साथ ही, चुनौतियों के आधार पर अपने दृष्टिकोण में बदलाव करें। कहने का आशय है कि अपने अनुभवों से सीखें।

आत्म-सुधार की ओर

■ उन कमजोरियों को पहचानें, जिन्होंने विफल वार्ता में भूमिका निभाई और उन्हें सुधारने के लिए अपना पूरा जोर लगा दें। इसके लिए बातचीत का पूरी ईमानदारी से विश्लेषण करें और नए तथा अधिक प्रभावी कौशल सीखने पर जोर दें। आखिर में, यदि आपके पास बातचीत करने का दूसरा मौका है, तो पूरे आत्मविश्वास के साथ उसके लिए खुद ही पहल करें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।