बायो-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रोजगार की असीम सम्भावनाएं      Publish Date : 12/04/2025

बायो-टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रोजगार की असीम सम्भावनाएं

                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

विज्ञान की अलग-अलग विधाओं जैसे भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान आदि के नामों से लगभग हम सभी परिचित है। आगे चलकर विज्ञान की इन विधाओं का उप विभाजन हो जाता है और इनकी शाखाओं के अंतर्गत हम संबंधित विषयों का विस्तारपूर्वक और बारीकी से अध्ययन करते हैं। मोटेतौर पर बायो टेक्नोलॉजी जीव विज्ञान अर्थात बायलोजी की एक शाखा है, लेकिन जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि विज्ञान की इस शाखा में प्रौद्योगिकी के तत्वों का भी समावेश होता है। बायो टेक्नोलॉजी में जीवित प्राणियों के शरीर से जुड़ी प्रौद्योगिकी का अधययन किया जाता है।

हमारी पृथ्वी पर वृक्षों व वनस्पतियों की लगभग 3,50,000 से अधिक किस्में है। इसी प्रकार पृथ्वी पर एक करोड़ से अधिक प्रकार के जन्तु निवास करते हैं। इन सभी की प्रजनन या पुनरुत्पादन के चलते एक के बाद दूसरी पीढ़ियां चलती चली आ रही है। पीढ़ियों व इनके गुणों में निरन्तरता का कारण जीन माना जाता है। एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में गुणों के बने रहने को लेकर वैज्ञानिक ग्रेगरी मेंडल ने अपने प्रयोगों के माध्यम से सिद्व किया कि ऐसा अनुवांशिकता के कारण होता है। आगे चलकर डेनमार्क के जैव वैज्ञानिक जानसन ने अनुवांशिकता के कारकों को जीन का नाम प्रदान किया।

                                                

बायो टेक्नालाजी के अंतर्गत जीन की संरचना व इसकी विशेषताओं का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पिछले दिनों पूरी दुनिया में क्लोनिंग के जरिए एक भेड़ का प्रतिरुप जिसे डॉली नाम दिया गया था, बनाए जाने की काफी चर्चा रही। इसे वर्तमान शताब्दी की एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धि बताया गया। बायो-टेक्नोलाजी की यह एक महत्वपूर्ण सफलता थी।

जाने माने अमेरिकी लेखक अल्विन टाफ्लर की बहुचर्चित पुस्तक फ्यूचर शॉक में भविष्यवाणी की गई है कि आने वाले दिनों में विज्ञान इतना उन्नत हो जाएगा कि माता-पिता अपने संतान की शारीरिक बनावट का चुनाव सकने में भी समर्थ होंगे- अर्थात संतान की आंख, नाक आदि का आकार, रंग आदि कैसा हो, यह तय करना माता-पिता के हाथ में होगा। यदि यह वैज्ञानिक भविष्यवाणी सच होती है तो इसमें भी बायो-टेक्नोलाजी का एक बहुत ही बड़ा योगदान होगा। छोटे शहरों व कस्बों में विज्ञान के कई विद्यार्थी एक विषय के रुप में बायो-टेक्नोलाजी से अभी भी अनभिज्ञ हो सकते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि विगत 15-20 वर्षों में बायो-टेक्नोलाजी महत्व काफी तेजी से बढ़ा है और इसे उच्च अध्ययन का एक महत्वपूर्ण विषय माना जाने लगा है।

इसके साथ ही वर्तमान विज्ञान के इस विषय का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी दिन प्रति दिन वृद्धि हो रही है और अनेक संस्थानों में इस विषय के नए पाठ्यक्रम शुरु किए गए है। बायो-टेक्नोलाजी विज्ञान का उपयोग मुख्य रुप से औषधि उद्योग, रसायन उद्योग तथा कृषि के क्षेत्र में बहुलता से किया जाता है। इस विज्ञान का यह उपयोग कई रुपों में किया जाता है जिसके अन्तर्गत फसल के बीजों की नयी किस्में विकसित करना, जानवरों की नस्लों में सुधार करना आदि शामिल हैं।

आजकल सब्जियों व फलों की ऐसी नयी किस्में विकसित कर ली गई है जो प्रति एकड़ पुरानी किस्मों की अपेक्षा दुगनी-तिगनी या इससे भी अधिक पैदावार देने में सक्षम है। ऐसे रसायनिक तत्व हैं जो उत्पादन की प्रक्रिया तेज करते हैं। अनेक एन्जाइम्स निर्मित किए गए हैं जिनका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों, टेक्सटाइल कम्पनियों में तथा अनेक अन्य कार्यों में किया जाता है। विज्ञान में रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए बायो-टेक्नोलाजी के क्षेत्र में उच्च अध्ययन के अनेक अवसर विभिन्न कालेजों/विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं।

                                         

बायो-टेक्नोलाजी का अध्ययन करने के इच्छुक विद्यार्थी, बारहवीं कक्षा में जीव विज्ञान विषय के साथ परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात इसके पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन यह आवश्यक है कि बारहवी का पाठ्यक्रम आपने विज्ञान विषयों-भौत्तिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, गणित के साथ उत्तीर्ण किया हो। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी) दिल्ली में बायोकेमिकल इंजीनयरिंग व बायो-टेक्नोलाजी में पोस्टग्रेजुएट स्तर का एम. टेक, समन्वित पाठ्यक्रम भी उपलब्ध है।

आई. आई. टी. टेक्नोलाजी में एम.टेक पाठ्यक्रम की अवधि साढ़े पांच वर्ष की है। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश सभी आई आई टी. के द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता है। यह परीक्षा आमतौर पर मई के महीने में आयोजित की जाती है।

हालांकि इसकी घोषणा भारत के प्रमुख समाचार पत्रों व रोजगार समाचार में काफी महले से कर दी जाती है। आई. आई .टी. के अतिरिक्त अनेक बायोटेक्नोलाजी की पढ़ाई के अवसर उपलब्ध है। आमतौर पर यह पाठ्यक्रम पोस्टग्रेजुएट स्तर के होते हैं और इसमें विज्ञान, कृषि, पशु-चिकित्सा आदि विषयों के स्नातकों को प्रवेश दिया जाता है। पोस्टग्रेजुएशन के इस पाठ्यक्रम की अवधि 1 से दो वर्ष तक की होती है तथा सफल अभ्यर्थियों को एस.एस.सी. (बायो-टेक्नोलाजी) की डिग्री प्रदान की जाती है।

बी.एस.सी. में प्रवेश हेतु अपेक्षित अन्य योग्यता प्रदायी परीक्षा में 55 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों के लिए एम.एम.सी. (बायो-टेक्नोलाजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलने की संभावना नहीं के बराबर होती है। इस पाठ्यक्रम में प्रतिभाशाली एवं उच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को ही प्रवेश मिलता है। अनेक कालेंजों/विश्वविद्यालयों ने प्रवेश हेतु स्नातक परीक्षा में 60 या अधिक प्रतिशत अंक पाना अनिवार्य कर दिया गया है।

कुछ विश्वविद्यालय एम.एम.सी (बायो-टेक्नोलाजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए लिखित परीक्षा भी आयोजित करते हैं। नयी दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय, जो एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है अपने व निम्न विश्वविद्यालयों के एम.एम.सी. (बायो टेक्नोलाजी) या एम.एम.सी. (कृषि बायो-टेक्नोलाजी) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन करता है-

  • गोविन्द बल्लभ पन्त विश्वविद्यालय, पन्तनगर।

  • महाराज समाजी राव विश्वविद्यालय, बड़ौदा।

  • पुणे विश्वविद्यालय, पुणे पुडुचेरी विश्वविद्यालय।

  • देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर।

  • गोवा विश्वविद्यालय, गोवा।

  • गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर।

  • कामराज विश्वविद्यालय, मदुरै तमिलनाडु।

  • कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर।

  • केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद।

  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

  • पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़।

  • जादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता।

  • अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई।

अंतिम दो विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम का नाम एम. टेक (बायो-टेक्नोलाजी) है।

जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय द्वारा संयुक्त प्रवेश परीक्षा प्रति वर्ष सामान्यतः मई महीने में आयोजित की जाती है और इस परीक्षा के केंद्र देश भर में विभिन्न स्थानों पर होते है।

इसके अतिरिक्त बायो टेक्नोलागीके पाठ्यक्रम निम्न संस्थानों में भी उपलब्ध है-

1- आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज, नयी दिल्ली।

2- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़।

3- वनस्थली विद्यापीठ, टोंक, राजस्थान।

4- भरथियार विश्व- विद्यालय, कोयम्बटूर।

5- कोच्चीन सांइस एंड टेक्नोलाजी, विश्वविद्यालय, कोच्ची।

6- डा. बी. आर. अम्बेडकर मराठवाडा विश्वव्द्यिालय, औरांगाबाद।

7- मैसूर विश्वविद्यालय मैसूर।

8- रुडकी विश्वविद्यालय रूड़की। और

9- कानपुर विश्वविद्यालय आदि।

बायो-टेक्नोलाजी में पोस्टग्रेजुएट स्तर का पाठ्यक्रम पूरा करने के पश्चात् उच्चतर अध्ययन व शोध की सुविधाएं भी देश में विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध है।

इन दिनों बायो-टेक्नोलाजी के विशेषज्ञों की काफी मांग है। जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय तथा ऐसे अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से बायो-टेक्नोलाजी में शिक्षा प्राप्त अभ्यर्थियों के लिए नियोजन के अवसरों की कोई कमी नहीं है। आधुनिक संगठन अनुसंधान व विकास को काफी महत्व दे रहे है और इसे मजबूत बनाने के लिए उनके यहां बायो-टेक्नोलाजी के विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है।

                                           

दवा, रसायन और उर्वरक आदि की निर्माता कंपनियों में भी बायो-टेक्नोलाजी में शिक्षा प्राप्त छात्रों को कार्य करने के अनेक अवसर समय समय पर विज्ञापित होते रहते हैं।

कृषि अनुसंधान कार्य में भी उनकी सहायता ली जाती है। बड़े अस्पतालों, प्रयोगशालाओं में भी बायो-टेक्नोलाजी के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। भारत में काफी बायो-टेक्नोलाजिस्ट स्वास्थ्य व औषधि से जुड़े पेशों में कार्य कर रहे है। भारत में औषधि उद्योग काफी तेजी से फल-फूल रहा है, जिसमें घरेलू कम्पनियों के साथ-साथ अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भी कार्यरत है।

इनमें कार्यरत बायो-टेक्नोलॉजिस्ट को अच्छा वेतन व सुविधाएं मिलती है। विदेशों में भी बायोटेक्नोलाजी के विशेषज्ञों की काफी मांग है और अनेक भारतीय बायो-टेक्नोलाजिस्ट अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन आदि देशों में भी कार्यरत हैं।

बायो टेक्नोलाजी के क्षेत्र में कार्य करने हेतु आपको परिश्रमी होने के साथ-साथ जिज्ञासु प्रकृति का होना चाहिए। कई बार वांछित परिणाम हासिल करने हेतु आपको लगातार देर तक कार्य करना पड़ सकता है।

इसलिए आपको अध्यवसायी व धैर्यशील भी होना चाहिए। इन गुणों के साथ आप बायो-टेक्नोलाजी में शानदार कैरियर बना सकते हैं। विज्ञान के सभी विषयों में बायो- टेक्नोलाजी का महत्व निरन्तर बढ़ रहा है और भविष्य की दृष्टि से भी यह उज्जवल संभावनाओं वाला क्षेत्र हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।