चुनौतिपूर्ण है अपनी आदतों को बदलना, स्वयं को पहचाने और आगे बढ़े      Publish Date : 21/03/2025

चुनौतिपूर्ण है अपनी आदतों को बदलना, स्वयं को पहचाने और आगे बढ़े

                                                                                                                         प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

पुरानी आदतों को बदलना और नई आदत डालना मुश्किल है और दोनों ही कठिन काम है। आदत बदलने के लिए बहुत इच्छाशक्ति चाहिए। सामान्य प्रयत्नों से न तो किसी आदत का निर्माण किया जा सकता है और ना पुरानी आदत को बदला जा सकता है। इसके लिए एक प्रक्रिया की जरूरत है जो बदलाव का पहला अंग है। आलोचना अपने आप को देखना जो अपनी आदत को देखता ही नहीं, तो उसे बदलने की बात ही कहां उठेगी। जिसने अपनी आदत को देखना सीख लिया, वह चाहे तो उसे बदलने के लिए पहला कदम उठा सकता है। आत्म आलोचना से व्यक्ति छोटी बड़ी सूक्ष्म और स्थूल सभी प्रवृत्तियों को देखना है जो किसी दूसरे का जजमेंट होता है, वह 80 प्रतिशत गलत होता है 20 प्रतिशत ही सही हो सकता है।

प्रत्येक व्यक्ति अपने भाव जगत में जीता है और दूसरा व्यक्ति केवल उसका व्यवहार ही देखता है। भाव जगत में जीने वाला व्यक्ति जैसा व्यवहार करता है वैसा दूसरा कैसे कर सकता है इस प्रकार व्यक्ति के व्यवहार के आधार पर सही निर्णय नहीं किया जा सकता है।

                                            

व्यवहार के आधार पर किसी भी व्यक्ति की व्याख्या नहीं की जा सकती। हमारी व्याख्या का मूल सूत्र है भाव जगत। कहा जा रहा है कि जो भाव में जी रहा है वह अपूर्ण दृष्टि वाला आदमी व्यवहार में जीता है और व्यवहार के आधार पर आदमी को अच्छा या बुरा बनाता है, किंतु आलोचना करने वाला व्यक्ति स्थूल बात को नहीं पकड़ेगा, वह सूक्ष्म बात तक जाएगा। इसलिए यह कहना उचित ही है कि कोई भी व्यक्ति जितना अपने आप को समझ सकता है, दूसरा व्यक्ति उसको 20 प्रतिशत से अधिक नहीं समझ सकता। जो आदमी अपनी आलोचना स्वयं ही करता है, अपने आप को देखता है, वह अपने आप को जिस तरह समझ सकता है कोई दूसरा कभी नहीं समझ सकता। किसी आदत को बदलने का सबसे पहला सूत्र है आत्मा आलोचना। अपने आप को देखना, अपने आपका निरीक्षण करना, अपनी आदतों प्रवृत्तियों और व्यवहार का निरीक्षण करना।

जब आलोचना होती है तब हमारे सारे भावों और व्यवहारों का सकारात्मक रूप होता है और इसके बाद परिवर्तन की बात आती है। दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार है अपनी आदतों को बदलना, सबसे बड़ा कोई दिख ही नहीं सकता और जो व्यक्ति अपनी आदत को बदल लेता है, वह दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कारी व्यक्ति होता है।

स्वयं को जाने

कोई किसी को नहीं बदल सकता, आपके भीतर परीक्षा का भाव नहीं है तो आप नहीं बदल सकते। परीक्षा ध्यान का मार्ग है। अपने आप को देखना जीवन में सफलता खुशी और प्रेम चाहिए तो यह सबसे अधिक जरूरी है स्वयं को जानना, इसके बाद ही आप एक बेहतर इंसान बन सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।