
शक्ति की पूजा Publish Date : 24/09/2025
शक्ति की पूजा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
कोई भी युग रहा हो शक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती थी सदैव शक्ति महत्वपूर्ण रही है। नौ दिन के नवरात्र में देवी की उपासना शक्ति के विभिन्न रूपों की उपासना है। हम शक्तिशाली बने और उस शक्ति का समय समय पर आवश्यक प्रकटीकरण भी करें यह स्पष्ट संदेश हमारे देवी देवताओं ने सदैव दिए हैं, हमारी शक्ति का प्रकार देवत्व की शक्ति हो बस यह सुनिश्चित करना होता है।
हमे ऐसी ज्ञान की शक्ति चाहिए, जो सर्वत्र अज्ञानता के अंधकार को मिटा सके, ऐसी धन की शक्ति चाहिए, जो सभी की निर्धनता दूर कर सके, ऐसी बल की शक्ति चाहिए जो सभी को निर्भयता प्रदान कर सके और इन सब प्रकार की शक्तियों को प्राप्त करने के लिए हमें एक कठोर व्रत करना होता वह कठोर व्रत स्वयं के लिए ही होता है। उस व्रत की कठोरता में भी आनंद होता है।
शक्ति प्राप्त करने के लिए एक व्रत और दूसरा शक्ति का अहंकार न होने पाए। इसके लिए भी मानव सेवा की एक कठोर साधना करनी होती है। शक्ति लोक कल्याण के लिए है यह केवल कहने की बात नहीं बल्कि सर्वे भवन्तु सुखिन: को चरितार्थ करने के लिए है। सामान्य मनुष्य जिसे शक्ति का स्रोत समझते हैं। नवरात्र में देवी के उपासक उन्हीं स्रोतों से स्वयं को दूर कर शक्ति की साधना करते हैं। भौतिक बल के साथ साथ नैतिक और आध्यात्मिक बल भी हम प्राप्त कर सकें ऐसी प्रार्थना हम आज से प्रारंभ हो रहे साधना के पर्व में करते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।