नवरात्रि उपवास के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सुझाव      Publish Date : 22/09/2025

           नवरात्रि उपवास के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सुझाव

                                                                                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य

नवरात्रि में उपवास के दौरान ऐसा कौन सा तरीका अपनाया जाए, जो कि हमारे शरीर और मन दोनों के लिए ही अनुकूल हो, इसके सम्बन्ध में हमारी टीम की ओर से प्रस्तुत हैं कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जो कि नवरात्रि उपवास के बाद भी आपको तरोताजा और स्वस्थ बनाए रखने में आपकी मदद करते हैं-

नवरात्रि में नौ दिन के उपवास की योजना किस प्रकार से बनाई जाए?

पहले नवरात्र से तीसरे नवरात्र तक

                                                              

इस दौरान फलाहार को ही अपनाएं। इस दौरान आप विभिन्न मीठे फल जैसे कि सेब, केला, चीकू, पपीता, तरबूज और अंगूर इत्यादि का सेवन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप आंवले का जूस, लौकी का जूस और नारियल का पानी भी ले सकते हैं।

नवरात्रि उपवास के लिए पारंपरिक आहार ऐसा होता है जो हमारी जठराग्नि को शांत करने वाला हो। नीचे दी गई सामग्रियों में से कोई भी एक मिश्रण हो सकता है जैसेः

  • कुट्टु के आटे की रोटी, सामक के चावल, सामक का डोसा, साबूदाने से बने विभिन्न व्यंजन, सिंघाड़ें का आटा, रामदाना (राजगीरा या चौलाई के बीज), रतालू (जिमिकन्द), अरबी और उबली हूई शकरकन्द आदि सामग्री।
  • घी, दूध और छाछ, यह सब हमारे शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं।
  • लौकी और कद्दू का दही के साथ सेवन करना।
  • प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करना जिसमें नारियल का पानी, फलों का जूस और सब्जियों के सूप आदि को शामिल किया जा सकता है। यह तमाम सामग्रियाँ हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के अतिरक्त व्रत के दौरान होने वाली पानी की कमी से भी बचाव करती हैं। उपवास के दौरान शरीर से बाहर निकलने वाले विषैले तत्वों शरीर से बाहर निकालने में सहायता प्रदान करती हैं।
  • पपीता, नाशपाती सेब आदि से बनाया गया सलाद।

जब आप पारंपरिक नवरात्रि भोज्य पदार्थों का सेवन कर रहे हों तो इसके साथ ही यह भी अपनाएं-

  • साधारण नमक के स्थान पर सेंधा नमक का उपयोग करें।
  • उपवास के भोजन को पकाने और भूनने, उबालने, भाप से पकाने एवं ग्रिल करने जैसी स्वास्थ्यवर्धक विधियों को अपनाएं।
  • शाकाहार भोजन का दृढ़ता से पालन करें।
  • नवरात्रि के पहले कुछ दिनों तक किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन करने से बचें।
  • तले और भारी भोजन से भी परहेज करें।
  • प्याज एवं लहसुन जैसी तामसिक सामग्री का सेवन बिलकुल भी न करें।
  • भूख से अधिक खाने से बचें।

उपवास का परायण कैसे करें-

सांयकाल अथवा रात्रि काल में जब आप व्रत का परायण करते हैं तो उस समय आप कुछ विशेष भोजन करते हैं। इस समय आप भारी भोजन करने से बचें क्योंकि ऐसा भोजन न केवल हमारे पाचन तंत्र को पचाने में कठिनाई होती है, अपितु इससे व्रत के माध्यम से होने वाली शरीर की शुद्विकरण की प्रक्रिया और व्रत के होने वाले सकारात्मक लाभ पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इस प्रकार व्रत के दौरान हमें कम मात्रा वाला और आसानी से पच जाने वाला भोजन ग्रहण करने को प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए।

उपवास के साथ ही योग एवं ध्यान भी करते रहें

उपवास के दौरान हमें हल्के योगासन, खिंचाव, मुड़ने तथा झुकने वाले व्यायाम उपवास की प्रक्रिया को परिष्कृत कर देते हैं। इसके साथ ही यह हमारे शरीर की शुद्विकरण की प्रक्रिया को भी बढ़ावा देते हैं। जिससे हम अपने आपको उन्नत एवं ऊर्जावान होने का अनुभव करते हैं।

नवरात्रि में उपवास करने से प्राप्त लाभ

आखिर नवरात्रि में उपवास क्यों करना चाहिए? 

रंगों, रीति रिवाजों, गान बजाने तथा नृत्य के जैसी पारंपरिक कृत्यों से भरपूर, नवरात्रि का पर्व हमारे लिए विश्राम करने, अन्तर्मुखी होने तथा स्वयं को एक बार फिर से ऊर्जावान बनाने का समय भी होता है। नवरात्रि में उपवास करने से परम आनंद तथा आनंदोल्लास की दिशा में हमारी अंतर्यात्रा भी सुगम हो जाती है। इससे हमारे मन की बैचेनी कम होती है, सजगता और प्रसन्नता बढ़ती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।