सारा खेल सोच और दृष्टिकोण का है      Publish Date : 20/09/2025

                        सारा खेल सोच और दृष्टिकोण का है

                                                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

व्यक्ति की सोच का स्तर ही उसके व्यक्तित्व का निर्माण करता है। व्यक्ति की सोच का दायरा ही उसकी दृष्टि को प्रभावित करता है इसे थोडा ध्यान से समझने की जरुरत है। व्यक्ति जब कमरे मे देखता है जब बाहर आंगन मे देखता है जब छत पर खडे होकर देखता है और जब हवाई जहाज मे बैठकर ऊपर से देखता है तो नजरया अलग-अलग हो जाता है इससे ये प्रमाणित होता है कि बड़ी सोच और बड़ा नजरया व्यक्ति के स्तर को ऊपर उठाता है।

                                                           

संकीर्ण सोच विचार व नजरया व्यक्ति को कुएं का मेंढक बना देता है इसलिए संकीर्ण सोच विचार वाले व्यक्ति से उचित दूरी बनाकर रखना ही हितकर है।

व्यक्ति को कम से कम इतना ऊपर उठकर तो सोचना विचारना ही चाहिए कि  जहाँ से मानवता व प्रकृती मे समानता दिखाई दे तालमेल दिखाई दे।

समझ ही समाधान है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।