लोगों की नहीं अपने दिल की सुनें      Publish Date : 29/08/2025

                  लोगों की नहीं अपने दिल की सुनें

                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

वॉरेन बफे के अनुसार, जीवन में दो तरह के लोग होते हैं, जो इसकी परवाह करते हैं कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं, और जो यह परवाह करते हैं कि वे वास्तव में कितने अच्छे हैं। बफे हमेशा अपने प्रति ईमानदार रहते हैं और कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं करते। 1999 में इंटरनेट कंपनियों के शेयरों में आई कृत्रिम उछाल के बीच बफे को उस समय के प्रमुख वित्तीय टिप्पणीकारों द्वारा अपमानित किया जा रहा था और बर्कशायर के शेयर गिरावट के दौर में थे।

लेकिन बफे हमेशा अपने पिता की सीख को याद रखते थे, जो कहा करते थे कि “आपका अपना स्व-मूल्यांकन” ही महत्वपूर्ण है। दिसंबर 1999 में, बफे जीवन में पहली बार नकारात्मक खबरों का सामना कर रहे थे, जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया था। बफे की शैली का अनुसरण करने वाले कई लंबी अवधि के निवेशकों ने तो अपनी फर्म बंद कर दीं। बफे ने ऐसा नहीं किया। इसे वह अपना मूल्यांकन कहते हैं। अपने फैसलों को लेकर दृढ़ता, जो उन्हें विचलित नहीं होने देती और वह अपने लंबे समय से चले आ रहे उसूलों पर अटल बने रहते हैं। दूसरों की रजामंदी से अपना जीवन नहीं जीएं।

प्रामाणिक बनें, जो आप हैं और जिसमें आप विश्वास करते हैं, उसके अनुसार ही कार्य करें। एक दिन आपके चेहरे से मुखौटा हट जाएगा। यदि बफे अन्य लोगों के मानकों के अनुसार जी रहे होते, तो वह पृढ़ता के साथ स्वतंत्रतापूर्वक नहीं सोच पाते। इसी स्वतंत्र सोच ने उन्हें कई वित्तीय समस्याओं और उसके बाद आने वाली निजी विपदा से बचने में मदद की है। अन्य निवेशकों के विचारों से हमेशा जान-बूझकर विपरीत जाने वाला निवेशक यास्तव में विरोधाभासी नहीं है। वह तो एक भिन्न प्रकार का व्यक्ति है।

सच्या विरोधाभासी वह है, जो जमीनी स्तर से, तथ्यात्मक डाटा के आधार पर स्वतंत्र रूप से तर्क करता है और अनुसरण करने के दबाव का विरोध करता है। यदि आप भीतर से जानते हैं कि आप वास्तव में कौन हैं और आपकी पसंद क्या है, आपने जो बनाया वह बिल्कुल सही था, तो दूसरों की आलोचना पर केवल इसलिए विचार और उसका विश्लेषण करना चाहिए कि क्या वास्तव में इस आलोचना में कोई दम है। लेकिन इसे उसे कमतर करने नहीं देना चाहिए, जिसे प्राप्त करने का आप प्रयास कर रहे हैं। अपने जीवन को बाहरी स्वीकृति से नहीं, बल्कि अपनी अंतरात्मा के सिद्धांतों के अनुसार चलने दें। हमें हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए।

अपने ज्ञान और अनुभव के साहस से काम लें। अगर आपने तथ्यों से कोई निष्कर्ष निकाला है और यदि आप जानते हैं कि निर्णय सही है, तो उस पर कार्य करें। भले हो अन्य लोग इससे संकोच करें या इससे मतभेद रखते हों। आप इसलिए सही या गलत नहीं हो जाते, क्योंकि भीड़ आपसे असहमत है। आप सही हैं, क्योंकि आपका डाटा और तर्क सही है। अपने आंतरिक मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करना और अपने सिद्धांत पर जीवन जीना बफे के लिए लाभकारी रहा है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।