ग्रामीण पर्यटन से बदलेगी गांव की सूरत और बढ़ेगा रोजगार      Publish Date : 22/08/2025

ग्रामीण पर्यटन से बदलेगी गांव की सूरत और बढ़ेगा रोजगार

                                                                                                                                                          प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

भारत नेपाल सीमा से सट्टा केरिकोट गांव ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक पहचान बना रहा है। यह गाँव दो ओर से जंगल से गिरा 27,000 की आबादी वाला और मनोरम दृश्य और दुर्लभ वन्यजीवों की मौजूदगियों के चलते खास बना गया है। पारंपरिक खानपान, होमस्टे ग्रामीण जीवन के साथ ही लोक नृत्य संस्कृति और हाथ हस्तशिल्प की विरासत भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। गाँव के पर्यटन के मानचित्र में आ जाने से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। इसर सिलसिले में बहराइच जिले के कालिकोट गांव को आईसीआरटी अवार्ड के लिए चुना गया है जो नई दिल्ली में 13 सितंबर को दिया जाएगा।

जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित कालिकोट गांव संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करते हुए स्थानीय समुदायों को आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान कर रहा है। यहां के ग्रामीण होम स्टे व फॉर्म स्टे की शुरुआत के साथ स्थानीय उत्पादों को बाजार मिल रहा है। ग्रामीण बच्चे लाल चौहान बताते हैं कि गांव में एक माह तक पारंपरिक मेला भी लगता है इसमें लगने वाली दुकानों में ग्रामीणों द्वारा बनाए गए उत्पादों को ही बाजार में उतर जाता है। अभिमन्यु प्रजाति ने बताया कि मिट्टी के उत्पाद बनाने के साथ ग्रामीण जंगल में मिलने वाली बैच से कुर्सी इमेज अलमारी सहित कई अन्य सामान बनाते हैं।

                                                    

इसके अलावा ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्होंने गांव में ही अपने मकान को हम हिस्ट्री के रूप में बदल दिया है। इसमें उचित दरों पर ठहरने का इंतजाम किया गया है जो की पर्यटनों के लिए भी सुविधाजनक है। पर्यटन विभाग के अधिकारी मनीष श्रीवास्तव का कहना है कि इससे लिए ग्रामीणों को मानसिक रूप से तैयार किया गया था। हमने हिस्ट्री की उपयोगिता उनको समझाई और इससे ग्रामीण आगे आए उन्होंने बताया गया कि वह अपने उत्पादों को अपने गांव में ही बेच सकते हैं। उसकी पूरी रूपरेखा भी तैयार करके इसको बना दिया गया, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सका और रोजगार के साधन भी आसानी से ग्रामीण और किसानों को उपलब्ध हो सके।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।