गलती होने पर माफी कब मांगनी है इसका भी ध्यान रखें      Publish Date : 12/08/2025

    गलती होने पर माफी कब मांगनी है इसका भी ध्यान रखें

                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर एस सेंगर

किसी से भी माफी मांगना केवल औपचारिकताभर ही नहीं होता बल्कि यह एक जिम्मेदार और संवेदनशील इंसान होने का संकेत भी होता है। इसलिए माफी कब और कैसे मांगी जाए, यह जानना उतना ही जरूरी है, जितना कि माफी मांगना।

अगर आपको एहसास हो कि आपकी किसी बात या व्यवहार से जानबूझकर या अनजाने में किसी को दुख पहुंचा है तो माफी मांग कर उन हालात को स्पष्ट करना, उसकी पारदर्शिता को दर्शाता है। इससे आप अपनी गलती स्वीकार तो करते ही हैं और साथ ही यह भी साबित करते हैं कि आपकी सोच सकारात्मक और संजीदा है।

हालांकि यदि आपको लगता है कि सामने वाला व्यक्ति अनुचित व्यवहार कर रहा है तो पहले उससे बातचीत करें और उसके बाद तय करें कि माफी मांगना जरूरी है या नहीं। ऐसे में किसी से माफी मांगने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी होता है।

जिम्मेदारी लेना भी सीखें

गलतियों की जिम्मेदारी लेना भी सीखें। उदाहरण के लिए आप जिस व्यक्ति से माफी मांगना चाहते हैं उससे कह सकते हैं कि आपका वक्त पर यह सही ढंग से काम नहीं करने के कारण मैंने आप पर गुस्सा किया, आपके साथ मुझे ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। इसके लिए मुझे खेद है।

बहुत से लोग यह भी सलाह देते हैं कि गलती ना स्वीकार करें ताकि कोई उसका अनुचित लाभ न उठा सके। हालांकि सच यह है कि जब आप सीमित स्पष्ट एवं सटीक शब्दों से माफी मांगते हैं तो आप एक मजबूत और ईमानदार व्यक्तित्व का परिचय देते हैं।

माफी मांगते समय दूसरे की भावनाओं को भी समझें

                                                         

माफी मांगते समय यह दिखाएं की आपको एहसास है कि आपका व्यवहार का उन पर क्या असर पड़ा। उनसे कहें कि मुझे लगता है कि मेरे इस रुख ने आपको चिंता में डाल दिया होगा, इसके लिए मुझे अफसोस है। यह अनुमान लगाने की कोशिश कतई ना करें कि वह क्या सोच रहे हैं बल्कि खुद को उनकी स्थिति में रखकर सोचें। यह आपसी सहानुभूति की बुनियाद है।

विश्वास दिलाने की कोशिश करें

स्पष्ट करें कि आप अपनी गलती दोहराएंगे नहीं उन्हें बताएं कि यदि अगली बार ऐसी कोई स्थिति आएगी तो आप पहले खुद से विचार करेंगे और शांती पूर्वक तरीके से पेश आएंगे। इससे सामने वाले के मन में भरोसा पैदा हो जाता है कि आप वास्तव में अपनी गलतियां सुधारना चाहते हैं और हर बार माफी मांगने तक सीमित नहीं रहना चाहते हैं।

अंत में किसी दरार को पूरी तरह से पाटने के लिए अनकही बात को भी खुलकर कहना जरूरी होता है। इसलिए अगर आप वाकई किसी रिश्ते को सुधारना चाहते हैं तो यह बहुत जरूरी है कि समान शब्द नहीं बल्कि अनकही बातों को भी ईमानदारी और खुलेपन से साझा करें। इससे आपके संबंध मजबूत और सकारात्मक तो होंगे ही रिश्तो के प्रति आपकी जिम्मेदारी भी झलकती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।