
भारत में रक्षाबंधन का महत्व Publish Date : 07/08/2025
भारत में रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन की कथा का वर्णन हिंदू पौराणिक ग्रन्थों में भी प्राप्त होता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षा के विधान का आरंभ त्रेता युग में भगवान विष्णु के पांचवें अवतार ‘‘वामन अवतार’’ और महाराज बलि के द्वारा हुआ। श्रीमद् भागवत पुराण के अष्टम स्कंध के 19 में अध्याय में महाराज बलि की कथा प्राप्त होती है। इस कथा के अनुसार महाराज बलि ने अपने दिए हुए वचनों के आधार पर संपूर्ण पृथ्वी वामन अवतार भगवान विष्णु को दान कर दिया था।
राजा बलि ने विश्वजीत और शत अश्वमेध यज्ञ का संपादन कर तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था। कालांतर में जब वह अंतिम अश्वमेध यज्ञ का समापन कर रहा था तब दान के लिए वामन रूप में ब्राह्मण वेशधारी भगवान विष्णु वहाँ उपस्थित हुए। गुरू शुक्राचार्य के सावधान करने पर भी राजा बलि दान करने के अपने वचन से विमुख न हुए।
भगवान वामन ने अपने लिए तीन पग भूमि दान में मांगी और संकल्प पूरा होते ही विशाल रूप धारण कर प्रथम दो पगों में पृथ्वी और स्वर्ग को नाप लिया। शेष दान को पूरा करने के लिए राजा बाली ने अपना मस्तक ही नपवा दिया। इसलिए हम रक्षाबंधन करते हुए ‘‘येन बद्वो बति राजा दानवेंद्रो महाबलः। तेन त्वाम प्रतिबद्वनामि रक्षे मा चल मा चल’’। मंत्र का उच्चाण करते हैं।
पुनः एक कथा महाभारत में प्राप्त होती है, जहां से भाई बहन के प्यार के प्रतीक और रक्षा के लिए रक्षाबंधन का महत्व ज्ञात होता है। द्वापर युग में भगवान कृष्ण द्वारा अपनी बहन सुभद्रा को दिए गए प्यार और सुरक्षा को मनाने के लिए की गई थी।
सुभद्रा एक युवा लड़की थी, जो युद्ध के लिए जा रहे अपने भाई भगवान कृष्ण के बारे में बहुत अधिक चिंतित थी। वह उनकी रक्षा करना चाहती थी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती थी। इसलिए उसने अपनी कलाई पर एक पवित्र धागा बांध दिया, जिसे अब राखी के रूप में जाना जाता है। यह एक बहन का अपने भाई के प्रति प्यार उसकी सुरक्षा की प्रार्थना का प्रतीक है। भगवान श्री कृष्णा भी अपनी बहन के प्यार से प्रभावित हुए और हमेशा उनकी रक्षा करने का वचन दिया।
रक्षाबंधन की कहानी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना की राखी का हिंदी में अर्थ। इसे भाइयों और बहनों के बीच प्यार और सुरक्षा के बंधन की याद दिलाने के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है, जो उनके भाई के प्रति प्यार और सुरक्षा का प्रतीक है और भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं और उन्हें उपहार और प्यार देते हैं।
यही कारण है कि रक्षाबंधन का त्योहार हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है और वह इसे बहुत खुशी के साथ मनाते है। यह त्यौहार परिवारों को एक साथ आने, सांस्कृतिक मूल्यों को सुदृढ़ करने तथा भाइयों और बहनों के बीच प्यार और सुरक्षा के बंधन का जश्न बनाने का अवसर प्रदान करता है। रक्षा बंधन की कहानी पारिवारिक रिश्तों में प्यार सुरक्षा और देखभाल के महत्व और मजबूती देने और पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने के महत्व को भी याद दिलाती है।
रक्षाबंधन का महत्व आखिर क्यों बड़ा है
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि श्रावण मास का महीना शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस महीने में पूरा संसार खुशी और उत्साह से भर जाता है और इसी माह की अन्तिम तिथि पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 9 अगस्त को प्रातः काल से दिनभर मनाया जाएगा। पौराणिक और सर्व सुलभ मंत्र रक्षाबंधन के लिए ‘‘येन बद्वो बलि राजा दानवेंद्रो महाबलः। तेन त्वाम् प्रतिबद्वनामि रक्षे मां चल चलः है, जिसका उच्चारण भाई को राखी बांधते समय करना चाहिए।