
सीखें दुनियादारी Publish Date : 16/06/2025
सीखें दुनियादारी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
उद्यमिता का अर्थ केवल व्यवसाय करना ही नहीं है, इसका अर्थ किसी काम में पूरे प्रयास के साथ जुटना होता है। चूंकि व्यवसाय में बहुत मेहनत की जरूरत होती है, इसलिए ही इसे उद्यम कहते हैं। उद्यमशीलता के लिए हम यह याद रखें कि जो भी काम करें, उसमें, अपना सौ प्रतिशत दे, वह चाहे पढ़ाई हो, कोई सूजनात्मक कार्य हो या फिर घर के ही कार्य कयों न हो। लेकिन यह भी ध्यान रखें कि सिर्फ मेहनत करना या पढ़-लिखकर ज्ञान प्राप्त कर लेना ही पर्याप्त नहीं, हमें दुनियादारी की भी समझ होनी चाहिए। दुनियादारी का अर्थ व्यावहारिक ज्ञान होता है। ऐसा ज्ञान तभी होता है, जब हम दुनिया को, उसके लोगों के बारे में उनके बीच जाकर उनसे अपने अनुभव से कुछ सीखते है। उद्यमशीलता जानने-सीखने के लिए अग्रलिखित कुछ बातों का ध्यान रखमा उपयोगी सिद्व हो सकता है
- पढ़ाई करते समय यह ध्यान रखें कि हम विषय को रटने के स्थान पर इसे गहराई से समझे। इससे हमारी सचि विकसित होगी और हम ज्यादा से ज्यादा जानने का प्रयास करेंगे।
- दुनियादारी को समझ पाना व्यकता के ज्ञान को इसी बात से जांच सकते है कि जिन चीजों का हम नियमित इस्तेमाल करते है, उनके बारे में हम कितना जानते है। क्या हमें पता है कि हम जो सब्जियां खाते है, उनमें में कितनी जमीन के ऊपर उगती है और कितनी जमीन के नीचे? क्या हम जानते है कि अनाज व सब्जियों को खेतों में उगाने के लिए कितनी मेहनत की जरूरत होती है?
- दुनियादारी की समझ हमारे व्यवहार में भी दिखाई देनी चाहिए। छोटों से कैसा व्यवहार करें और बड़ों से कैसा, मित्रों से कैसा व्यवहार करें और अतिथि से कैसा? लोगों से बातचीत करने का आपका सलीका ही बता देता है कि आपमें दुनियादारी को कितनी समझ है। बातचीत और व्यवहार का सलीका एक उद्यमी के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।
- दुनियादारी की समझ ही हमें एक अच्छा उद्यमी बनाती है। महान अर्थशास्त्री एडम स्मिथ के अनुसार, जब श्रम का विभाजन बढ़ेगा तो आर्थिक विकास होगा। देश में उद्यमियों की संख्या बढ़ेगी, तो देश का आर्थिक विकास भी होगा। इस तरह उद्यमिता के बीज हमें अभी से अपने अंदर विकासित करने होगे।
अभिभावकों के लिए
बच्चों के लिए जितनी पढ़ाई जरूरी होती है, उससे कहीं अधिक दुनियादारी की समझा भी आवश्यक है। इसलिए बच्चों की अन्य सकारात्मक गतिविधियों को न रोके।
- बच्यों पर अधिक बंदिश न लगाएं। बच्चा जब समाज में लोगों के बीच जाता है, तभी वह दुनियादारी सीख पाता है।
- बच्यों को प्रेरित करें कि अपने दोस्तों या सहपाठियों के साग, घुमने जाए। अभिभावक भी उन्हें घुमाने ले जा सकते है।
- खरीदारी करते समय पैसों का हिसाब-किताब करते हुए बच्चों को साथ रखें, क्योंकि वह आपकी कार्यशैली से ही सीखते है और इसका उन पर अच्छा प्रभाव भी पड़ेगा।
- अगर बच्चा शहर में रहता है, तो उसे छुट्टियों में गांव लेकर जााएं और गांव की जीवनशैली कैसी है, खेतों में कैसे सब्जी और अनाज उगाया जाता है, इसे उन्हें खुद दिखाएं और इस बारे में बताएं भी।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।