बाल विवाह के दंश से बचीं, अब देख रहीं सुनहरे भविष्य का सपना      Publish Date : 13/06/2025

बाल विवाह के दंश से बचीं, अब देख रहीं सुनहरे भविष्य का सपना

                                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता

अभिभावकों को भी दी जाती थी सीख

गंगासागर में जहां से भी बाल विवाह की खबर मिलती है, प्रियंका टीम के साथ वहां पहुंचती हैं। उन माता-पिता व अभिभावकों को समझाती है। अभिभावाकों के नहीं मानने पर पुलिस व ग्राम पंचायत की मदद भी लेती हैं। स्नातक कर रही प्रियंका के पिता सत्यनारायण मंडल ई-रिक्शा चालक व मां कृष्णा देवी एक आशा कर्मी हैं। सत्यनारायण ने कहा-‘मेरी बेटी शुरू से ही प्रगतिशील सोच वाली रही है और हमें उस पर नाज है।’

                                                        

‘लड़की जात है, पढ़-लिखकर क्या करेगी? आगे चूल्हा-चौका ही तो संभालना है। जल्दी से शादी करा दो।’ बंगाल में प्रसिद्ध तीर्थस्थल गंगासागर के गांवों में कुछ समय पहले तक यही सुनने को मिलता था, लेकिन अब इस सोच पर विराम लगने लगा है। कारण है 18 साल की प्रियंका मंडल जो गंगा व सागर के पवित्र मिलन स्थल को बाल विवाह जैसे सामाजिक अभिशाप से मुक्ति दिलाने में जुटी हैं। इसी का असर है कि बाल विवाह से बची लड़कियां अब स्कूल लौटकर और अब सुनहरे भविष्य के सपने बुन रही हैं।

गंगासागर के गांवों में लड़कियों की बहुत छोटी उम्र में शादी करा दी जाती है। प्रियंका घर-घर जाकर इसके विरुद्ध जागरूकता फैला रही है। उसकी बातें सुन-समझकर कई अभिभावकों ने अपना निर्णय बदला भी है। इस तरह प्रियंका ने कई लड़कियों को बाल विवाह के दंश से बचाया है। किशोरियों को बाल विवाह से बचाने का प्रयास प्रियंका ने अपने पड़ोस से ही शुरू किया।

अपनी सहेली शंपा मंडल को बाल विवाह से बचाया। घरवाले 17 वर्ष की उम्र में उसका ब्याह रचाने जा रहे थे। शंपा कहती है कि प्रियंका ने देवदूत की तरह आकर उसे बचा लिया। मैं अभी शादी नहीं करना चाहती थी। मैं तो खूब पढ़ना-लिखना चाहती हूं। एक अन्य लड़की ने नाम प्रकाशित नहीं करने का अनुरोध करते हुए कहा कि यह मेरे लिए नए जीवन जैसा है, जो प्रियंका की बदौलत मिला है।

प्रियंका और उनकी टीम गांव गांव जाकर लोगों को समझाती है। साथ ही उनके यहां की बेटियों को शिक्षा का महत्व बता स्कूल जाने के लिए प्रेरित करती है। यह भी हिदायत देती हैं कि बाल विवाह कानूनन अपराध है।

गंगासागर के मूड़ीगंगा-1 ग्राम पंचायत के अंतर्गत पाखिराला गांव की निवासी प्रियंका के लिए यह इतना आसान नहीं रहा। शुरू में भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। मौजूदा दौर में भी यहां पर लोग दशकों से चली आ रही बालविवाह की इस कुरीति को मानते थे, लेकिन प्रियंका ने लोगों को समझाना शुरू किया और अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहीं। इसमें माता-पिता ने उसका पूरा समर्थन किया।

बाल कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था ‘सेव द चिल्ड्रेन’ ने भी प्रियंका को सहयोग का हाथ बढ़ाया। आज प्रियंका की 15 लड़कियों की अपनी समर्पित टीम है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।