सतत् कृषि विकास के पथ पर प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना      Publish Date : 16/10/2025

   सतत् कृषि विकास के पथ पर प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना

                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

भारत में धान्य फसलों का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि देश की लगभग 38 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। बदलते जलवायु परिदृश्य, पारंपरिक कृषि पद्धतियों की चुनौतियों, बाज़ार की अस्थिरता और आधुनिक तकनीकों की सीमित पहुँच जैसे कारण किसानों के लिए नई समस्याएँ उत्पन्न कर रहे हैं। इन समस्याओं से निपटने और किसानों की समृद्धि के लिए सरकार द्वारा ऐसे उपायों की आवश्यकता थी जो उन्हें न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं, बल्कि उन्हें तकनीकी और संरचनात्मक सहायता भी प्रदान करें।

इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (पीएमडीडीकेवाई) एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आई है। यह योजना किसानों की आय में वृद्धि, कृषि उत्पादकता में सुधार, संसाधनों के सतत उपयोग, और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई है। पीएमडीडी केवाई का उद्देश्य भारतीय कृषि को आधुनिक, टिकाऊ, और जलवायु अनुकूल बनाना है। यह योजना 100 जिलों में कम उपज वाली कृषि भूमि पर फसल उत्पादन को बढ़ाने, किसानों को ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने, और उन्हें उन्नत कृषि तकनीकों और उपकरणों से जोड़ने के लिए डिज़ाइन की गई है।

                                                                  

यह योजना लगभग 1.7 करोड़ किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार की गई है, जिसमें उन्नतः कृषि तकनीक फसल विविधीकरण, सिंचाई सुधार, और वित्तीय संसाधनों तक बेहतर पहुंच पर विशेष ध्यान दिया गया है। पीएमडीडीकंवाई केवल किसानों को वित्तीय सहायता देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन्हें तकनीकी नवाचारों, आधुनिक कृषि उपकरणों, और वैज्ञानिक तरीकों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रही है। इसके अतिरिक्त यह योजना ग्रामीण कृषि अवसंरचना को विकसित करने, किसानों को बाज़ार से सीधे जोड़ने, और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में भी सहायक सिद्ध होगी।

योजना के उद्देश्य:

योजना के उद्देश्य पीएमडीडीकेवाई के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:-

  • कृषि उत्पादकता में वृद्धि-नवीनतम तकनीकों, उच्च गुणवत्ता वाले बीजों और यंत्रीकरण को बढ़ावा देना।
  • कृषि अवसंरचना का सुदुद्दीकरण कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और सिंचाई सुविधाओं का विकास।
  • सतत कृषि को प्रोत्साहन जैविक खेती, फसल विविधीकरण और पर्यावरण-अनुकृत कृषि पद्धतियों का समर्थन।
  • बाजार तक पहुंच आसान बनाना ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओएस) के माध्यम से किसानों को उचित मूल्य दिलाना।
  • वित्तीय एवं तकनीकी सहायता- किसानों को ऋण, बीमा और डिजिटल परामर्श सेवाएं प्रदान करना।

मुख्य विशेषताएँ

1. कृषि अवसंरचना में निवेशः

यह योजना भंडारण सुविधाओं, सिंचाई परियोजनाओं और परिवहन नेटवर्क के विस्तार पर बल देती है। इससे किसानों की उपज की गुणवत्ता बनी रहेगी और विपणन में आसानी होगी।

2. वित्तीय सहायता और ऋण सुविधाएँ:

बैंकों द्वारा किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को इस योजना में शामिल किया गया है। बीज, उर्वरक एवं कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

3. आधुनिक तकनीक का उपयोगः

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली अपनाई जाएगी।
  • ड्रोन तकनीक का उपयोग फसल निगरानी और कीटनाशक छिड़काव के लिए किया जाएगा।
  • स्मार्ट सेंसर एवं 107 तकनीक से सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन किया जाएगा।

4. बाजार सुधार और किसान सशक्तिकरणः

  • ई-नाम को सशक्त बनाया जाएगा।
  • एफपीओ को मजबूत किया जाएगा ताकि किसान सामूहिक सौदेबाजी कर सकें।
  • कृषि स्टार्टअप्स एवं सहकारी समितियों के माध्यम से सीधा खरीद तंत्र विकसित किया जाएगा।

5. जलवायु अनुकूल कृषिः

  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • जल संरक्षण एवं वनीकरण को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • सूखा-सहिष्णु फसलों के अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा।

क्रियान्वयन रणनीतिः

                                                                   

पीएमडीडीमाई की 100 चयनित जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया आ रहा है। इन जिलों का ययन निम्नलिखित मानकों के आधार पर किया गया है

वित्तीय एवं तकनीकी सहायता- किसानों को ऋण, बीमा और डिजिटल परामर्श सेवाएं प्रदान करना।

मुख्य विशेषताएँ:

1. कृषि अवसंरचना में निवेश:

यह योजना भंडारण सुविधाओं, सिंचाई परियोजनाओं और परिवहन नेटवर्क के विस्तार पर बल देती है। इससे किसानों की उपज की गुणवत्ता बनी रहेगी और विपणन में आसानी होगी।

2. वित्तीय सहायता और ऋण सुविधाएँ:

  • बैंकों द्वारा किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को इस योजना में शामिल किया गया है।
  • बीज, उर्वरक एवं कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्रदान की जाएगी।

3. आधुनिक तकनीक का उपयोगः

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली अपनाई जाएगी।
  • ड्रोन तकनीक का उपयोग फसल निगरानी और कीटनाशक छिड़काव के लिए किया जाएगा।
  • स्मार्ट सेंसर एवं आईओटी तकनीक से सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन किया जाएगा।

4. बाजार सुधार और किसान सशक्तिकरणः

  • ई-नाम को सशक्त बनाया जाएगा।
  • एफपीओ को मजबूत किया जाएगा ताकि किसान सामूहिक सौदेबाजी कर सकें।
  • कृषि स्टार्टअप्स एवं सहकारी समितियों के माध्यम से सीधा खरीद तंत्र विकसित किया जाएगा।

5. जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियाँ:

  • जीरो बजट प्राकृतिक खेती (जैडबीएनएफ) को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • जल संरक्षण एवं वनीकरण परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • सूखा-सहिष्णु फसलों के अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा।

क्रियान्वयन रणनीतिः

पीएमडीडीवाई को 100 चयनित जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है। इन जिलों का चयन निम्नलिखित मानकों के आधार पर किया गया हैः

  • मृदा उर्वरता एवं कृषि जलवायु परिस्थितियों।
  • सिंचाई एवं बाजार से जुड़ाव की स्थिति।
  • कृषकों की आय एवं फसल विविधता।

इस योजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से लागू किया जाएगा, जिसमें सरकारी एजेंसियां, कृषि व्यवसाय और गैर-सरकारी संगठन सम्मिलित होंगे।

अपेक्षित लाभः

किसानों की आय में वृद्धि

पीएमडीडीकेवाई का लक्ष्य किसानों की आय को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है।

ग्रामीण रोजगार के अवसर

यह योजना खाद्य प्रसंस्करण, लॉजिस्टिक्स, और कृषि स्टार्टअप्स के माध्यम से रोजगार सृजन करेगी।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्थित करना

  • उत्पादकता और भंडारण सुविधाओं में सुधार से खाद्य आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी।
  • किसान कल्याण योजनाओं का समावेश

पीएमडीडीकेवाई को पीएम-किसान, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) जैसी योजनाओं के साथ जोड़ा गया है।

चुनौतियों एवं समाधानः

हालोंकि यह योजना बहुत प्रभावशाली है, लेकिन कुछ चुनौतियों बनी हुई हैं डिजिटल साक्षरता की कमी के कारण तकनीक अपनाने में कठिनाई आना। ग्रामीण इलाकों में संपर्क मागों की कमी।

अवसंरचना विकास हेतु वित्तीय सीमाएँ। इन चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य सरकारों, अनुसंधान संस्थानों, निजी उद्यमों एवं किसान संगठनों के सहयोग की आवश्यकता होगी।

निष्कर्षः

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (पीएमडीडीकंवाई) भारतीय कृषि क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने की क्षमता सखती है।

यह योजना आधुनिक तकनीक, विलीय सहायता और नीतिगत हस्तक्षेपों को समाहित कर किसानों को सशक्त बना रही है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो यह भारत के कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

पीएमडीडीकंवाई योजना यह किसानों की नई संभावनाएँ और अवसर प्रदान करने का एक समग्र दृष्टिकोण है। यदि नीति निर्माताओं, वैज्ञानिकों, किसान संगठनों, और निजी क्षेत्र की सहभागिता प्रभावी रहती है, तो यह योजना आने वाले वर्षों में भारत के कृषि परिदृश्य को नया स्वरूप दे सकती है। यह एक दूरदर्शी दृष्टिकोण है, जिसमें कृषि क्षेत्र को नवीनतम तकनीकी और वित्तीय समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि वह न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो, बल्कि पर्यावरणीय   दृष्टि से भी टिकाऊ हो।

अगर इसे सही दिशा में लागू किया जाता है, तो पीएमडीडीकेवाई भारतीय किसानों को उनके उत्पादन क्षमता के अधिकतम स्तर तक पहुँचाने में मदद कर सकती है, जिससे देश में कृषि क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास में नया आयाम जुड़ सकता है। यह दृष्टिकोण भारतीय कृषि को आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने के लिए महत्वपूर्ण है

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।