
तितलियों का सिमटता संसार, वर्तमान में मात्र 150 प्रजातियाँ की बची प्रदेश में Publish Date : 13/10/2025
तितलियों का सिमटता संसार, वर्तमान में मात्र 150 प्रजातियाँ की बची प्रदेश में
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं अन्य
प्रकृति की इंद्रधनुषी तस्वीर को सबसे अधिक सुन्दरता प्रदान करने वाली मनोहारी तितलियों की दुनिया सिमटती जा रही है। वन्य जीव विशेषज्ञों को 11 वर्ष का लम्बा अध्ययन करने के बाद उत्तर प्रदेश में तितलियों की केवल 150 प्रजातियाँ ही मिल पाई हैं। जबकि हमारे पड़ोसी राज्य उत्तराखण्ड़ में 500 और सिक्किम राज्य में 600 तितलियों की प्रजातियों को पाया गया है। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश की नई पीढ़ियां तितलियों को केवल किताबों में ही देख पाएंगी।
कीटों का ब्रांड एंबेसडर है तितलीः कीटों का ब्रांड एंबेसडर कही जाने वाली तितलियाँ, रासायनिक उर्वरकों और खानपान में रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते तितलियों की सैंकड़ों प्रजातियाँ प्रदेश से लुप्त हो चुकी हैं। वर्ष 1902 से 1995 के बीच अंगेज सैन्य अधिकारी डी रेह फिलिप ने केवल लखनऊ में ही प्रवास करने वाली 93 प्रजातियों को रिकार्ड किया था। वर्ष 2013 में प्रदेश पर्यटन निगम के प्रबन्धक रतीन्द्र पाण्डेय के द्वारा नवाबगंज पक्षी विहार में तितलियों को न केवल अपने कैमरे में कैद किया बल्कि प्रदेश में पायी जाने वाली तितलियों की प्रजातियों का विवरण भी जुटाया है।
सेवा निवृत्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक रूपक डे के द्वारा दुधवा नेशनल पार्क से इस मुहीम की शुरूआत की गई। उनके साथ ही जुड़कर कीट विज्ञानी डॉव तस्लीमा शेख और अबु अरशद खान ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश में तितलियों का गम्भीरता पूर्वक सर्वे कर 150 प्रजातियों को रिकार्ड किया है। वन्य जीव विशेषज्ञ रूपक डे के अनुसार, तितलियों की इन प्रजातियों में 15 नई प्रजातियों को भी रिकार्ड किया गया है, जो कि पहले रिकार्ड में दर्ज नहीं थी। एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जनरल स्पिंरगर नेचर की टीम के द्वारा खोजी गई लाइकेनिडाई प्रजाति की नीले, ऑरेंज रंग की पांच नई का लेख प्रकाशित किया गया है।
लेख में बताया गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर क्षेत्र और उसके आसपास का प्रारम्भिक सर्वे पूर्ण हो चुका है। सहारनपुर की शिवालिक रेंज में गणना करने का कार्य अभी चल रहा है, इससे आने वाले समय में प्रदेश के अंदर तितलियों की प्रजातियों की संख्या बढ़ भी सकती है।
तथ्यः
- लगभग 15,000 से 17,000 प्रजातियाँ उपलब्ध है वर्तमान में पूरी दुनिया में।
- लगभग 1,430 तितली की प्रजातियाँ पाई जाती हैं हमारे देश भारत में।
- 550 से 600 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं पश्चिमी घाट (महाराष्ट्र से लेकर तमिलनाडु तक) के क्षेत्र में।
- 500 प्रजाति की तितलियाँ मंडरा रही हैं उत्तराखण्ड़ में।
पारिस्थितिकी तंत्र का संकेतक है तितलीः
यदि बाग बागीचों में तितलियाँ मंड़राती हुई नजर आती हैं तो इसका अर्थ यह है कि उस स्थान का पर्यावरण सेहतमंद है। तितलियों पर पिछले 11 वर्षों से अध्ययन कर रहे रतीन्द्र पाण्डेय कहते हैं कि परागकणों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाली तितली अनाज, फल, उपज और खाद्य-श्रंखला की एक अभिन्न कड़ी है।
एक पूर्ण तितली बनने की तीन स्टेज होती हैं, पहले तितली अंडा देती है, जिससे लार्वा बनता है। लार्वा से प्यूपा स्टेज का समय 6 सप्ताह से लेकर एक वर्ष तक का समय होता है और यह प्यूपा ही तितली का रूप ग्रहण करता है। तितली की आयु लगभग एक सप्ताह से तीन सप्ताह तक की होती है। प्रदेश में कृषि और बागों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग करने से लार्वा नष्ट हो जाता है जिसके कारण तितलियों की प्रजातियों में कमी आई है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।