खेती में गुड़ का प्रयोग      Publish Date : 06/10/2025

                            खेती में गुड़ का प्रयोग

                                                                                                                                                        प्रोफेसर आर. एस. संगर एवं गरिमा शर्मा

खेती में गुड़ का प्रयोग एक प्राकृतिक एवं प्रभावी जैविक दशा सुधारक के रूप में किया जा सकता है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही कृषि कार्यों में गुड़ का प्रयोग पौधों की वृद्वि और कीटों के नियंत्रण हेतु किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त गुड़ मृदा में उपस्थित लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या को भी बढ़ाता है।

खेती में गुड़ प्रयोग करने से प्राप्त लाभः

                                                        

  • गुड़ में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और पोटेशियम के जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं।
  • गुड़ मृदा में सूक्ष्मजीवों की संख्या एवं उनकी सक्रियता को बढ़ाता है।
  • गुड़ पौधों में पोषक तत्वों का अवशोषण करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी करता है।
  • यह पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं वृद्वि, दोनों को ही सुधारकर उनकी रक्षा एवं वृद्वि को बढ़ाता है।
  • गुड़ खाद के रूप में भी काम करता है।

गुड़ में प्राकृतिक शर्करा होती है, जो लाभकारी बैक्टीरिया और फफूंद के लिए एक ऊर्जा के स्रोत के रूप में कार्य करती है। गुड़ जैविक खाद एवं कम्पोस्ट के साथ मिलकर नाइट्रोजन को सक्रियता प्रदान करता है। गुड़ मृदा के माइक्रोबियल बैलेन्स में सुधार करता है और मृदा की उर्वरकता में वृद्वि करता है।

खेती में गुड़ उपयोग करने के तरीके

एक जैविक खाद के रूप में:

सामग्रीः 200 ग्राम गुड़ + 10 लीटर पानी + एक किलोग्राम गोबर की खाद।

विधिः

  • सबसे पहले गुड़ को पानी में अच्छी तरह से घोलें और इस घोल को 24 घंटे तक किसी छायादार स्थान पर सुरक्षित रखें।
  • इसके बाद गोबर को मिलाकर इसमें पौधों की जड़ों को डाल दें।

प्राप्त होने वाले लाभः

  • इसका प्रयोग करने से मृदा की जैविक सक्रियता में वृद्वि होती है।
  • इससे पौधों की जड़ों को अधिक पोषध प्राप्त होता है।

गुड़ + छाछ का प्रयोगः

                                                              

आवश्यक सामग्रीः 200 ग्राम गुड़ + 2 लीटर छाछ + 10 

विधिः

  • गुड़ एवं छाछ को पानी के साथ मिलाएं।
  • इसके बाद तीन से चार दिन तक इस मिश्रण को ऐसे ही रखा रहने दें जिससे कि इसके अन्दर के बैक्टीरिया सक्रिय अवस्था में आ जाएं।
  • चार दिन के बाद इस मिश्रण को पौधों की जड़ों में डाल दें।

प्रयोग करने के लाभः

  • हानिकारक फफूंद एवं कीटों को दूर करता है।
  • लाभकारी बैक्टीरिया की संख्या बढ़ती है।
  • फसल की वृद्वि तेज होती है।

गुड़ + जैविक खाद का श्रेष्ठ मिश्रण-

सामग्रीः 200 ग्राम गुड़ + 500 मिली. पानी + 10 किलोग्राम गोबर की खाद।

बनाने की विधिः घोल बनाकर उसे खाद में मिलाएं और इसे मृदा में मिलाएं।

लाभः

  • मृदा की उर्वर शक्ति को बढ़ाकर उपज की क्षमता को बढ़ाता है।
  • पौधों की ग्रोथ बढ़ाता है।

विधिः

एक लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ को घोलकर मिट्टी में डालें।

लाभः

इसका प्रयोग करने से पौधों की ग्रोथ तेजी के साथ होती है।  

जैविक कीटनाशकः

तैयार करने की विधिः

एक लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ को घोलकर तैयार मिश्रण को पौधों की जड़ों में प्रयोग करना चाहिए।

प्रयोग करने की विधिः एक लीटर पानी + 100 ग्राम गुड़ + 10 मिली. नीम के तेले में मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें।

लाभः यह मिश्रण कीटों को दूर रखता है और पौधों को रोगों से भी बचाता है। इस प्रकार से गुड़ का प्रयोग करने से फसल को बहुत से लाभ प्राप्त होते हैं। 

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।