क्या है मिट्टी का pH और उसके प्रभाव      Publish Date : 05/10/2025

                     क्या है मिट्टी का pH और उसके प्रभाव

                                                                                                                                                     प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता

मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.5 के बीच होने पर पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व उन्हें आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन, जब यह pH मान इस सीमा से कम या अधिक होता है, तो फसलों और मिट्टी पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं’ और खाद पानी पर्याप्त मात्रा देने के बाद भी अच्छे परिणाम नहीं मिल पाते हैं।

मृदा का pH मान कम होने पर मिट्टी का तासीर अम्लीय हो जाता हैं:

जब मिट्टी का pH 6.0 से कम होता है, तो इस प्रकार की मिट्टी अम्लीय मिट्टी कहा जाता है। अम्लीय मिट्टी के मुख्य प्रभाव कुछ इस प्रकार के होते हैं:

पोषक तत्वों की कमीः अम्लीय मिट्टी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और मोलिब्डेनम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पौधों के लिए कम मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है और वे कमजोर रह जाते हैं।

विषैले तत्वों की अधिकताः अम्लीय वातावरण में एल्यूमीनियम, मैंगनीज और आयरन जैसे तत्व अधिक घुलनशील हो जाते हैं, जिससे इनकी अधिकता पौधों के लिए विषाक्त (Toxic) हो सकती है। यह पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को भी बाधित करता है।

सूक्ष्मजीवों की गतिविधि में कमीः मिट्टी में विद्यमान रहने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीव (Microorganisms) जो जैविक पदार्थों को विघटित करते हैं और पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं, वे अम्लीय मिट्टी में कम सक्रिय हो जाते हैं।

मिट्टी की संरचना का खराब होनाः अम्लीय मिट्टी अधिक चिकनी और कठोर हो सकती है, जिससे मिट्टी से जल निकासी और वायु संचार क्रिया में समस्या आती है।

मृदा का pH मान अधिक होने पर मिट्टी का स्वभाव क्षारीय हो जाता हैः

                                                                 

जब मिट्टी का pH मान 7.5 से अधिक हो जाता है, तो यह क्षारीय हो जाती है। इसके मुख्य प्रभाव इस प्रकार हैं:

पोषक तत्वों की अनुपलब्धताः क्षारीय मिट्टी में आयरन, जिंक, मैंगनीज, बोरॉन और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व अघुलनशील रूप में बंध जाते हैं। ये मिट्टी में मौजूद तो होते हैं, लेकिन पौधे इन्हें अवशोषित नहीं कर पाते हैं।

मिट्टी की खराब संरचनाः क्षारीय मिट्टी में सोडियम की मात्रा अधिक हो सकती है, जिससे मिट्टी की संरचना खराब हो जाती है। सोडियम की अधिकता से मृदा सख्त और अनुपयोगी हो जाती है, जिसके चलते जड़ों का विकास रुक जाता है और मृदा की जल निकासी भी प्रभावित होती है।

लवणता में वृद्धिः अक्सर, क्षारीय मिट्टी में लवण (Salts) भी अधिक होते हैं। यह पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाते है और पानी के अवशोषण में बाधा डालते है, जिससे पौधों का विकास मंद पड़ जाता है।

पौधों की वृद्धि में कमीः पोषक तत्वों के असंतुलन और खराब मिट्टी की संरचना के कारण, पौधों की समग्र वृद्धि प्रभावित होती है। इससे पौधों की पत्तियां पीली पड़ सकती हैं, और फसल की उपज कम हो जाती है।

इन तथ्यों पर ध्यान दें:-

यदि मिट्टी का pH अधिक है तो इसके लिए आप

सल्फर 25kg, जिप्सम 100kg का प्रयोग करें और बुवाई के समय आपको बेस्ट रिजल्ट मिलेंगे और pH का स्तर भी कम होगा।

मिट्टी में कार्बन की मात्रा को बढ़ाएं

कैल्शियम मैग्नीशियम पोटेशियम अधिक होने से भी pH मान बढ़ जाता है।

“मृदा का पीएच 7.5 होना चाहिए”

  • अधिक मात्रा में रासायनिक खाद है या फिर खारे पानी के उपयोग करने से भी मिट्टी का पीएच बढ़ता है।
  • यदि मिट्टी का pH मान कम है तो इसके लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं:-
  • मृदा का pH 4 से 5 तक है तो चूने का प्रयोग करें।

चूना का उपयोग क्यों: चूना, जिसे कृषि चूना भी कहा जाता है, मिट्टी की अम्लता को कम करता है और चूना मृदा के पीएच स्तर को भी बढ़ाता है।

चूने का प्रकारः सामान्य कृषि चूना (कैल्शियम कार्बोनेट) या डोलोमाइटिक चूना (कैल्शियम और मैग्नीशियम का मिश्रण) का उपयोग किया जा सकता है।

हालांकि, अधिकतर खेतों में मिट्टी का पीएच मान अधिक ही होता है। इसलिए उसे कम करने के लिए लिमिटेड मात्रा में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा सल्फेट या जिप्सम उपयोग भी कर सकते हैं। उचित फसल चक्र अपनाए और ऑर्गेनिक मैटर को बढ़ाएं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।