
ग्रामीण क्षेत्र की समस्या भी समझें विज्ञानी Publish Date : 30/09/2025
ग्रामीण क्षेत्र की समस्या भी समझें विज्ञानी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
उच्च शिक्षां श्रेणी में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित प्रो. डॉ0 देबयान सरकार का मानना है कि ग्रामीण समस्याओं का समाधान केवल लैब में ही काम करने से नहीं निकल सकता। बल्कि इसके लिए विज्ञानियों को ग्रामीण क्षेत्र की समस्या को करीब से समझना होगा, इसके बाद ही वह समस्या का सही समाधान निकाल सकेंगे।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर के रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 देबयान सरकार मूलतः बंगाल के रहने वाले हैं और वह वर्ष 2022 से आईआईटी इंदौर से जुड़े हैं। बंगाल में उन्होंने इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन आफ साइंस से पीएचडी की है। फिर अलग-अलग संस्थानों में अध्यापन कार्य किया। इसके बाद वह आईआईटी इंदौर से जुड़े। यहां वह दस से अधिक प्रोजेक्ट पूरे कर चुके हैं और आईआईटी इंदौर में ही करीब 11 प्रोजेक्ट पर फिलहाल कार्य कर रहे हैं। उनके नाम तीन पेटेंट भी दर्ज किए गए हैं।
डॉ0 सरकार साइंटिफिक आर्गेनिक केमिस्ट हैं। वह सस्टेनेबल केमिस्ट्री में भी काम कर रहे हैं। रूरल डेवलपमेंट मिशन के साथ भी वह काफी समय से जुड़े हुए हैं। अभी तक वह 10 पीएचडी शोधार्थियों को गाइड कर चुके हैं और 15 शोधार्थियों का मार्गदर्शन फिलहाल कर रहे हैं।
डॉ0 देबयान ने सस्टेनेबल केमिकल ट्रांसफारमेशन पर भी काम किया है। वह बताते हैं कि हम दैनिक जीवन में कई रसायनों का उपयोग करते हैं। इनमें कई महंगे भी होते हैं। ये रसायन सामान्य वस्तुओं से लेकर दवाओं में उपयोग होने वाले कुछ भी हो सकते हैं। इन केमिकल में उपयोग होने वाला शुरुआती मैटेरियल ही उत्पाद को महंगा बना देता है। नेचुरल बायोमॉस का उपयोग कर इसकी लागत को कम किया जा सकता है। रसायन शास्त्र की भाषा में इसे एटम इकोनामिक सिन्थेसिस कहा जाता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।