
देश के मंदिरों में प्लास्टिक प्रवेश पर प्रतिबन्ध Publish Date : 27/09/2025
देश के मंदिरों में प्लास्टिक प्रवेश पर प्रतिबन्ध
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
मंदिरों में प्लास्टिक पर निषेध और राम जन्मभूमि मंदिर में प्रकृति संरक्षण का संदेश लोगों को मिलेगी प्रेरणा-
हमारे देश में मंदिर का सेवाभावी रूप केवल पूजा और दान तक ही सीमित नहीं है बल्कि हमारे मंदिर जन कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी सदा से ही सक्रिय रहे हैं और हमारे धार्मिक ग्रंथो में भी वर्षा जल स्रोतों की पूजन पद्धति अद्भुत है।
मंदिर के प्रांगण में उपस्थित पीपल, बरगद, तुलसी और नीम जैसे पर्यावरण अनुकूल वर्षा के प्रति आस्थावान होकर लोग उनकी रक्षा करते हैं। मंदिर के कुएं, बावड़ी और तालाब सदियों से जल संरक्षण का संदेश समाज को देते आ रहे हैं। अभी हाल ही में श्री काशी विश्वनाथ धाम क्षेत्र को तथा शारदीय नवरात्र मेला के शुरू होने से पूर्व मिर्जापुर के माँ विंध्याचल वासिनी मंदिर और मेला क्षेत्र को सिंगल यूज प्लास्टिक प्रयोग से मुक्त घोषित किया गया है।
अब इसी कड़ी में अयोध्या की श्री राम मंदिर निर्माण समिति का यह निर्णय भी एक स्वागत योग्य कदम है कि राम जन्मभूमि परिसर का 70 प्रतिशत भाग हरा भरा बनाया जाएगा। इस योजना के तहत यहां लगभग 29 एकड़ भूमि पर सुधारकर उस पर पौधारोपण किया जाएगा। देश में कई अन्य मन्दिरों में भी पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल की जा रही है।
इस परिप्रेक्ष्य में सिद्ध विनायक मंदिर, मुंबई को जहां पूजा संरक्षण की पहल के लिए जाना जाता है तो वहीं श्री लक्ष्मी नाथ मंदिर झुन्झनू, राजस्थान वर्षा जल संरक्षण का एक अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इस प्रकार की पहलों से न केवल धार्मिक स्थान की स्वच्छता और पवित्रता बढ़ेगी बल्कि साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी महत्वपूर्ण संदेश समाज को जाता है।
इस अभियान में सब की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है और यहां सभी लोगों को अपने शहर और गांव में स्थित मंदिरों में भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना चाहिए, इससे हमारा पर्यावरण तो सुरक्षित होगा ही साथ ही इससे वर्तमान में जारी जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापन के जैसी समस्याओं को भी काबू करने में आसानी होगी।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।