
खुशी के हार्मोन Publish Date : 24/09/2025
खुशी के हार्मोन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
भगवान ने मनुष्य को अधिक खुश रखने के लिए उसके भीतर चार हार्मोन के स्राव की व्यवस्था की है। यह हार्मोन डोपामाईन, सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन है, जो खुशी के अनुभव का आनंद देते हैं और खुशी के अनुभव का आनंद उसी को हो सकता है जिसे कभी ना कभी ना खुशी या तनाव का अनुभव हुआ हो।
ऐसे अनुभव के लिए विधाता ने शरीर में ऑपरेशन हार्मोन भी बनाया है लेकिन इसकी संख्या एक ही है जिसे कॉर्टिसोल कहते हैं। दुर्भाग्य से आधुनिक भौतिकता प्रधान योग में हमें अनियंत्रित इच्छाओं स्वार्थ पड़ता ईर्षा और परस्पर प्रतिबंध से संबंधित अनेक ऐसी नकारात्मक प्रवृत्तियां घर कर गई हैं जो हमारे अंदर बार-बार कोटेशन उत्पन्न करती है।
यह न केवल हमें तनाव उत्पन्न करता है बल्कि खुशी के हार्मोन के स्त्राव को भी बाधित करता है। सकारात्मक मनोभाव और स्वस्थ जीवन शैली अपना कर हम अपने अंदर खुशी के हार्मोन के स्त्राव को बढ़ा सकते हैं। ऐसे हार्मोन की उत्पत्ति के उपाय अत्यंत सरल हैं, किसी कार्य को पूर्ण करने से जो संतोष मिलता है, उसमें डोपामाईन का स्राव होता है। अतः हमें किसी लक्ष्य की तुलना में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए इससे एक साथ कर का बोझ नहीं पड़ता और बार-बार कार्यकर्ता की संतोषजनक अनुभूति प्राप्त होती है।
हशमुख माहौल में रहना संगीत सुनना, व्यायाम करना, टहलने लोगों के प्रति कृतज्ञ का भाव रखने जैसी आदतें सेरोटोनिन और एंडोकेरिन नामक हारमोंस को सक्रिय करती है। लोगों से जोशपूर्ण ढंग से मिलने हाथ मिलाने या आलिंगन करने जैसे व्यवहारों से ऑक्सीटोसिन में वृद्धि होती है। स्पष्ट है खुशी से संबंधित हार्मोन को सशक्त बनाने के लिए सकारात्मक सोच एवं स्वास्थ्य आदतें अपना कर हम न केवल अपने जीवन में खुशी अनुभव कर सकते हैं बल्कि दूसरों के जीवन में भी सकारात्मक बढ़ा सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।