
भारी बारिश से गन्ना होगा हल्का और मिठास भी होगी प्रभावित Publish Date : 13/09/2025
भारी बारिश से गन्ना होगा हल्का और मिठास भी होगी प्रभावित
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
"इस वर्ष सितम्बर माह के दौरान हुई भारी बारिश और तेज हवाओं के चलते गन्ने की फसल हुई है प्रभावित, अतः अब गन्ना विभाग और किसान दोनों ही बारिश के न होने की कर रहे प्रार्थना।"
इस वर्ष सामान्य से अधिक बारिश होने से गन्ना किसान और चीनी उद्योग दोनों ही परेशान हैं। अधिक बारिश और तेज हवाओं के चलते जहाँ एक ओर गन्ने की फसल के गिर जाने से गन्ने का वजन कम होने का खतरा बढ़ गया है, वहीं दूसरी ओर चीनी की रिकवरी पर भी इसका कुप्रभाव पड़ने की सम्भावनाएं जताई जा रही हैं।
इसके सम्बन्ध में गन्ना विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य से अधिक बारिष के होने से गन्ने के उत्पादन और चीनी की रिकवरी पर प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है। इसके साथ ही बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में गन्ने की फसल के पूरी तरह से बर्बाद होने के कारण गन्ने का क्षेत्रफल भी प्रभावित होने जा रहा है। इसके फलस्वरूप गन्ने का वजन कम होने से जहाँ किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा, वहीं चीनी की रिकवरी कम होने से शुगर इंडस्ट्री को भी एक बड़ा झटका लगेगा। इसके साथ ही गन्ने में लाल सड़न (रेड रॉट) और अगोला सड़न (टॉप बोरर) रोग के प्रकोप होने का खतरा काफी हद तक बढ़ गया है।
सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण गन्ने में होने वाले नुकसान-
अत्याधिक जलभराव के होने से गन्ने की जड़ें सड़ जाती हैं और ऐसा होने से गन्ने के पौधों की पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती है।
खेत में अधिक पानी जमाव के चलते मृदा में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे गन्ने का विकास बाधित होता है और उसकी वृद्वि दर भी कम हो जाती है।
अत्याधिक नमी होने के कारण गन्ने में फंगस रोग जैसे कि रेड रॉट एवं स्मट आदि रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है, यह रोग गन्ने की फसल को नष्ट भी कर सकते हैं।
गन्ने के खेत में जल भराव होने से गन्ने में षर्करा की मात्रा (सुक्रोज) का लेवल कम हो सकता है, जिससे चीनी की रिकवरी एवं उसकी गुणवत्ता पर भी कुप्रभाव पड़ता है।
शुगर इंडस्ट्री के दिग्गज कहते हैं-
गन्ने की फसल में पानी के भरने से जब तक यह कटाई की अवस्था में आएगी तब तक गन्ने में सुक्रोज का संकलन नही हो पाएगा। पानी के कारण सुक्रोज का विघटन ग्लूकोज और फ्रक्टोज में हो जाने के कारण चीनी के स्थान पर शीरे की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे गन्ने में चीनी का परता नहीं आता है। इस समस्या के समाधान के लिए किसान अजोक्सीस्टरबिन, डाइफेनाकाजोल (गोडिवा सुपर अथवा टेन्डर), स्ट्रैप्टोसाइक्लिन का पर्णीय छिड़काव कर सकते हैं और यदि खेत में पानी भरा है तो बैन्टोनाइट सल्फर का प्रयोग किया जा सकता है।
- डॉ0 बी. एस. तोमर, मुख्य महाप्रबन्धक गन्ना, बक्सर चीनी मिल।
सामान्य से अधिक बारिश, बाढ़ और तेज हवा से गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुँचा है। खेत में गन्ने के गिर जाने के कारण गन्ने के वजन और चीनी के परता में भी कमी आना स्वाभाविक ही है। ऐसे में अब आगे जितनी भी बारिश होगी वह गन्ने की फसल के लिए हानिकारक ही होगी।
- संजीव कुमार खाटियान, मुख्य महाप्रबन्धक गन्ना, दौराला शुगर मिल।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।