
कृषि और कार्बन उत्सर्जन - एक संतुलन की खोज Publish Date : 23/08/2025
कृषि और कार्बन उत्सर्जन - एक संतुलन की खोज
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 शालिनी गुप्ता
धान की पारंपरिक खेती से मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में सहायक है। IFC और कृषि मंत्रालय ने मिलकर ’क्लाइमेट स्मार्ट राइस इनिशिएटिव’ शुरू किया, जिससे भारत के कई राज्य जुड़ चुके हैं।
प्रमुख बदलाव
- छत्तीसगढ़ और ओडिशा में धान की वैकल्पिक विधियाँ।
- बायोफर्टिलाइजर और जैविक कीटनाशकों का प्रयोग।
- किसानों को कार्बन क्रेडिट के लिए प्रशिक्षित करना।
बजट 2025-26 हरियाली को प्राथमिकता
भारत सरकार ने 2025-26 के बजट में 5,000 करोड़ रुपये हरित ऊर्जा, जल प्रबंधन और कचरा निपटान के लिए आवंटित किए। इसके अलावा की कई पहल और भी की गई हैं-
- राष्ट्रीय हरित कोष की घोषणा।
- पर्यावरणीय मानकों पर खरे उद्योगों को टैक्स छूट।
- ’हरित ग्राम योजना’ के लिए 800 करोड़ रुपये।
नागरिकों की भूमिका ’हरित क्रांति 2.0’
भारत की असली ताकत इसके नागरिक है। भारत में कई राज्यों में 2024-25 में सामुदायिक प्रयासों से जल संरक्षण, वृक्षारोपण, और कचरा प्रबंधन में क्रांति आई।
जनभागीदारी के उदाहरण
राजस्थानः ग्रामीण महिलाओं ने 500 से अधिक जलाशयों की सफाई की।
महाराष्ट्रः युवाओं की टीम पर्यावरण योद्धाओं ने 3 टन प्लास्टिक कचरा हटाया।
उत्तराखंडः छात्रों द्वारा Plant/Birthday ’हर जन्मदिन पर एक पौधा’ मुहिम चलाई गई।
हरित भारत की ओर
विश्व पर्यावरण दिवस को मात्र एक दिवस के रूप में नहीं बल्कि एक चेतना के प्रतीक के तौर पर मनाया जाना चाहिए। भारत ने कई ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन रास्ता अभी लंबा है। जब तक हर नागरिक खुद को इस परिवर्तन का वाहक नहीं मानेगा, तब तक स्थायी बदलाव अधूरा रहेगा। इस वर्ष का थीम ’प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें एक आह्वान है, कि अब समय केवल सोचने का नहीं, बल्कि कार्रवाई का है।
पर्यावरण संरक्षण हेतु एकजुट भारतः ’वन नेशन, वन मिशनः प्लास्टिक प्रदूषण का अंत’ अभियान की शुरुआत
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की तैयारियों के अंतर्गत एक राष्ट्रव्यापी जनजागरूकता अभियान ’वन नेशन, वन मिशनः प्लास्टिक प्रदूषण का अंत’ की शुरुआत की है। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है और ’मिशन लाइफ’(Lifestyle for Environment)’ जैसी भारत की प्रमुख पहल का हिस्सा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने इस अभियान का एक प्री-कैम्पेन वीडियो अपने सोशल मीडिया मंच पर साझा करते हुए, सभी नागरिकों से सामूहिक रूप से जागरूकता से क्रियान्वयन की ओर बढ़ने और सतत जीवनशैली अपनाने की अपील की, जिससे प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त किया जा सके। विश्व पर्यावरण दिवस, जो प्रति वर्ष 5 जून को मनाया जाता है, संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख मंच है जो पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है।
इस वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस थीम ’सिंगल यूज प्लास्टिक को ना कहें’ (Say No to Single Use Plastic) -मिशन लाइफ के संदेश को और अधिक मजबूती प्रदान करता है।
अभियान के प्रमुख फोकस क्षेत्र
- प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर जन-जागरूकता और प्रचार-प्रसार।
- प्लास्टिक कचरे, विशेष रूप से सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग और उत्पादन में कमी।
- सिंगल यूज प्लास्टिक सहित प्लास्टिक कचरे का पृथक्करण, संग्रहण, निपटान और पुनर्चक्रण।
- सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए सतत और पर्यावरण अनुकूल विकल्पों का विकास और प्रोत्साहन।
अभियान की गतिविधियाँ और सहभागिता
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर चलाए जा रहे इस अभियान का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण के खतरों के प्रति जागरूकता फैलाना और पर्यावरण अनुकूल विकल्पों को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। इसका लक्ष्य जन-शिक्षा, व्यवहार में बदलाव और सतत सामग्रियों में नवाचार के जरिए लोगों को पर्यावरण के प्रति अधिक जिम्मेदार जीवनशैली की ओर उन्मुख करना है। यह अभियान केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों, स्थानीय निकायों, शैक्षणिक संस्थानों, उद्योगों, नागरिक समाज और सामुदायिक समूहों की भागीदारी से व्यापक स्तर पर क्रियान्वित किया जाएगा। प्रमुख सहभागिता क्षेत्रों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- जागरूकता और जन संपर्क गतिविधियाँ, जैसे सोशल मीडिया कैंपेन, नुक्कड़ नाटक, जन-प्रतिज्ञाएं, पोस्टर और निबंध प्रतियोगिताएं, मैराथन जैसी गतिविधियाँ।
- समुद्र तटों, पार्को, नदी किनारों, कॉलेज परिसरों, पर्यटन स्थलों, रेलवे स्टेशनों, ग्रामीण क्षेत्रों आदि में सफाई अभियान।
- सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प और सतत जीवनशैली पर कार्यशालाएं और वेबिनार आदि का आयोजन।
- शैक्षणिक गतिविधियाँ जैसे- पुनर्चक्रित प्लास्टिक से कला और शिल्प निर्माण, विद्यालय प्रदर्शनियाँ, हैकाथॉन, क्विज और थीम पर आधारित संवादात्मक खेल आदि।
- सामुदायिक और संस्थागत भागीदारी-जैसे कि आवासीय कल्याण समितियाँ (RWA), नगर निकाय, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहकारी संस्थाओं आदि द्वारा स्थानीय स्तर पर कचरे के पृथक्करण और पुनर्चक्रण की पहल।
सभी सहभागी पक्षों जैसे कि सरकारी मंत्रालयों, राज्य सरकारों, केंद्रशासित प्रदेशों, संबद्ध संस्थानों और निजी संगठनों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपनी गतिविधियों को अभियान की थीम के अनुरूप बनाएं और ’मेरी लाइफ (Meri LIFE) पोर्टल पर अपनी गतिविधियों का विवरण अपलोड करें। इन प्रयासों का उद्देश्य सतत जीवनशैली की दिशा में जन-आंदोलन खड़ा करना है। मंत्रालय ने सभी नागरिकों से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने में योगदान देने की अपील की है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।