
पॉलीनेटर्सः आईसीएआर-डीएफआर द्वारा नई परागण किट Publish Date : 20/08/2025
पॉलीनेटर्सः आईसीएआर-डीएफआर द्वारा नई परागण किट
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
पॉलीनेटर्सः आईसीएआर-डीएफआर की ओर से एक नई परगण किट जारी की गई है, इससे परागण कीटों को मिलेगा नया जीवन जो कि लगभग 35 प्रतिशत तक वैश्विक खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने में योगदान करेगी।
आईसीएआर-डीएफआर के वैज्ञानिकों ने वर्षों तक खेतों में गहन शोध कार्य किया और इस दौरान उन्होंने 600 से अधिक सजावटी पौधों का अध्ययन गहनता के साथ अध्ययन किया और 153 परागण करने वाली कीट प्रजातियों की पसंद-नापसंद को भी बारीकी से समझा। अब इस शोध का परिणाम है एक अनोखा किट, जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस किट में शामिल हैं 20 मौसमी फूलों के बीज, जो परागण करने वाले कीटों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
आईसीएआर-डीएफआर, पुणे के द्वारा भारत का प्रथम परागणक आवास पुनर्जनन किट लॉन्च किया गया है, जो परागण करने वाले कीटों को संरक्षित कर फसलों की पैदावार और जैव विविधता को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान करती है। यह किट किसानों और विशेष रूप से मधुमक्खी पालकों के लिए एक टिकाऊ कृषि की दिशा में एक क्रांतिकारी और महत्वपूर्ण कदम बताई जा रही है।
पुणे की हरी-भरी भूमि पर, जहां फूलों की सुगंध हवा में बिखरी रहती है, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएएआर) के फ्लोरीकल्चर रिसर्च निदेशालय (डीएफआर) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। भारत का पहला परागण करने वाले कीटों के लिए आवास पुनर्जनन किट लॉन्च कर, यह संस्थान न केवल पॉलीनेटर्स- जैसे मधुमक्खियों, तितलियों और पतंगों को बचाने की दिशा में अपना अहम योगदान प्रदान कर रहा है, बल्कि फसलों को भी नई ऊंचाइयों तक लेकर जाने में किसानों की भरपूर सहायता कर रहा है।
प्रकृति के छोटे-छोटे सिपाही हैं यह परागण कीट
परागण कीट, जिन्हें प्रकृति के छोटे-छोटे सिपाही भी कहा जा सकता है, जो कि वैश्विक खाद्य उत्पादन का 35 प्रतिशत तक के हिस्से को संभालते है और प्याज, खीरा, आम, अनार और सीताफल जैसी फसलों की पैदावार इनके बिना अधूरी ही रहती है। लेकिन, वर्तमान समय के बढ़ते शहरीकरण के चलते, इन कीटों के आवास में क्षरण और फूलों की निरंतर कम होती विविधता ने इन पॉलीनेटर्स के जीवन को भी खतरे में डाल दिया है।
वैज्ञानिकों ने किया 600 से अधिक सजावटी पौधों का अध्ययन
पॉलीनेटर्स की इस चुनौती से निपटने के लिए आईसीएआर-डीएफआर के वैज्ञानिकों ने कई वर्षों तक खेतों में शोध कार्य किया और अपने इस शोध के दौरान उन्होनें 600 से भी अधिक सजावटी पौधों का विस्तृत अध्ययन किया और 153 परागण करने वाली कीट प्रजातियों की पसंद-नापसंद को भी बारीकी से समझा। अब इस शोध का परिणाम है यह अनोखा परागण किट, जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
इस किट में शामिल किए गए 20 मौसमी फूलों के बीज, जो परागण करने वाले कीटों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, इसके साथ ही एक द्विभाषी हैंडबुक, जो पर्यावरण-अनुकूल खेती के हुनर को सिखाती है, और एक क्यूआर-कोडेड कार्ड, जो पौधों की देखभाल और परागण कीटों के डेटाबेस तक किसी को भी डिजिटल पहुंच प्रदान करता है।
फसलों की पैदावार और गुणवत्ता भी बढ़ेगी
इन फूलों को खेतों के आसपास स्थापित करने से परागण करने वाले कीटों को भोजन और आवास के लिए एक स्थान प्राप्त होता है, जिससे यह विभिन्न प्रकार की फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में काफी बढ़ोत्तरी करती है। यह किट विशेषरूप से ऐसे किसानों के लिए एक वरदान है, जो परागण कीट पर निर्भर फसलों की खेती करते हैं। इसके साथ ही, यह किट मधुमक्खी पालकों के लिए भी किसी संजीवनी से कम नहीं, क्योंकि यह मधुमक्खियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है और शहद, मोम जैसे उत्पादों का टिकाऊ उत्पादन को भी सुनिश्चित करती है।
फिलहाल यह किट किसानों के लिए दो संस्करणों में उपलब्ध है
इनमें से पहली संस्थागत किट, बड़े क्षेत्रों के लिए उपयोगी है तो दूसरी किसान किट छोटे पैमाने की खेती के लिए कारगर है। यह किट भारत के सतत कृषि, जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिक लचीलापन के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। पुणे के खेतों से शुरू हुआ यह प्रयास अब देश भर के किसानों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन रहा है। ऐसे में यह किट न केवल फसलों, बल्कि प्रकृति के अन्य पॉलीनेटर्स के रूप में उन छोटे-छोटे नायकों को भी नया जीवन प्रदान कर रही है, जो हमारे भोजन की थाली को रंगीन बनाकर हमारे भोजन की विविधता को भी बढ़ाते हैं।
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लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।