
वर्तमान की आधारशिला ठीक रख के भविष्य का उचित तरीके से निर्माण करें Publish Date : 15/08/2025
वर्तमान की आधारशिला ठीक रख के भविष्य का उचित तरीके से निर्माण करें
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
सामान्य लोग अतीत की गलतियों और भावी आशंकाओं के लिए दुखी रहते हैं, जबकि भूत कभी लौटता नहीं और भविष्य कोई जानता नहीं। इसलिए विद्वान वर्तमान में जीने की प्रेरणा देते हैं। इस सम्बन्ध में दार्शनिक ओशो कहते हैं कि वर्तमान क्षण ही सत्य है और बाकी सब मिथ्या है। भूत और भविष्य दोनों ही दुख देने वाले होते हैं।
मानव के अतिरिक्त अन्य जीवों को इनका संज्ञान भी नहीं होता इसलिए वह दुखी भी नहीं होते है। यह सच है कि अतीत की पीड़ा और उज्जवल भविष्य की चाहत वर्तमान का सुख भी छीन लेती है, पर यह भी सच है कि यही वर्तमान के आधार बनते हैं भूतकाल की त्रुटियां और भविष्य की चुनौतियां वर्तमान को सामान्य का काम करती है यदि ऐसा ना होता तो आज भी हम पाषाण काल में ही जी रहे होते।
विकास की यह अकल्पनीय यात्रा इन्हीं की प्रेरणा से संभव हो सकी है। यह दोनों मनुष्य के सबसे अच्छे गुरु हैं, जो सदा संग्रह कर वर्तमान का निर्धारण करते हैं। इसे शिक्षा ना होना अपने ही दुर्भाग्य को आमंत्रित करता है। हमारे ऋषि मुनियों ने तीनों कालों को हथेली पर रख अवल के सामान देखकर और अनुभव से जांच पर वर्तमान की जो बुनियाद रखी है वह सह अस्तित्व पर केंद्रित होने से समाज के लिए संजीवनी थी। देश काल एवं भेद निरपेक्ष होने से वह आज भी समझ में एकता शक्ति को बढ़ाकर सुख शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।
हालांकि दुर्भाग्य है कि हम देश में भाषा, जाति, पंथ और मजहब के नाम पर निरर्थक भेदभाव बढ़कर संघर्ष को जन्म देते हैं। दूसरी ओर अतीत की युद्ध विभिषिकाओं के परिणाम देख चुकी दुनिया उनसे सीख लिए बिना ही अब तीसरे विश्व युद्ध की ओर अग्रसर है।
यह चिंता का विषय है। वस्तुत जो समाज अतीत की गलतियों से सीख लेकर अपने क्रियाविधियों में परिमार्जन नहीं करता उसका न वर्तमान मंगलकारी होता है न ही भविष्य। इससे अभिप्रेरित होकर अपने लिए सुखद वर्तमान और भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य का निर्माण करें यह जीवन के लिए अच्छा होगा।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।