
अपनी याददाश्त बढ़ाने के लिए इन 6 वैज्ञानिक मंत्र को अपनाएं Publish Date : 11/08/2025
अपनी याददाश्त बढ़ाने के लिए इन 6 वैज्ञानिक मंत्र को अपनाएं
डॉ0 दिव्यांशु सेंगर एवं मुकेश शर्मा
उम्र बढ़ने के साथ ही आपकी याददाश्त कमजोर होने लगती है या आपकी उम्र अधिक नहीं है और इसके बाद भी आपकी याददाश्त कमजोर हो रही है या आप छोटी-छोटी बातें भूल जाते हैं तो नेशनल ज्योग्राफिक की एक नई रिपोर्ट में 6 ऐसी गतिविधियों का खुलासा किया गया है, जिन्हें विज्ञान ने स्मृति बढ़ाने का अचूक उपाय माना है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के अनुसार यह नुस्खे ना तो दवाइयों के भरोसे हैं और ना ही किसी जटिल तकनीक पर आधारित होते है, बल्कि जीवन शैली में आवश्यक किन्तु छोटे-छोटे बदलाव कर आपकी मस्तिष्क शक्ति को नए सिरे से इम्प्रूव कर सकते हैं।
जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि नियमित व्यायाम से लेकर स्लीप कंसोलिडेशन जैसी तकनीकी मस्तिष्क की कोशिकाओं में स्थाई स्मृति संरचना को मजबूत करने में एक अहम भूमिका निभाती है। विशेषज्ञों ने इन रणनीतियों को तीन श्रेणियां में बांटा है।
इनमें से पहली है मस्तिष्क के न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देने वाली
1 व्यायाम है दिमाग के लिए दौड़ती सांसे
नियमित एरोबिक व्यायाम जैसे तेज चलना, साइकलिंग करना या योग आपके मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ावा देता है। इससे हिप्पोकेंपस की ग्रोथ होती है, जो यादों को संरक्षित करने वाली एक मुख्य संरचना होती है। सप्ताह में 150 मिनट का व्यायाम स्मृति को जवान और क्रियाशील बनाए रखती है।
2. माइंडफुलनेस मेडिटेशन
दिन में केवल 10 से 15 मिनट का माइंडफुलनेस मेडिटेशन मस्तिष्क की वर्किंग मेमोरी को बढ़ावा देता है। साथ ही यह ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी बढ़ाता है और अवांछित विचारों के शोर को कम करता है, जिससे आपकी स्मृति की स्पष्टता वापस लौट आती है।
3 स्लीप कंसोलिडेशन
एक अच्छी नींद से जिंदगी रचती बसती है। आपकी यादें रात को 5 से 6 घंटे की गहरी नींद विशेष कर आई एम स्लिप स्मृति के लिए अत्यंत आवश्यक होती है। नींद के दौरान मस्तिष्क दिनभर की जानकारी को रिप्लेस करती है, जिससे अल्पकालिक स्मृति दीर्घकालिक स्मृति में बदलती है।
4 स्मृति महल मेमोरी प्लेस
दिमागी वास्तुकला की लौकिक विधि या स्मृति महल तकनीकी में किसी परिचित स्थान जैसे घर की कल्पना करके वस्तुओं या सूचनाओं को उसके विभिन्न कोनों में कल्पनाशील रूप में रखा जाता है। इस क्रिया से जटिल जानकारी को आसानी से याद रखने में मदद मिलती है।
5 सीखते रहना
इसके विधि के तहत दिमागी कसरत के सवाल जवाब आते हैं। नई भाषा सीखना, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना या पहेलियां हल करना आदि सभी गतिविधियां मस्तिष्क को न्यूरल नेटवर्क में नयापन लाती है। विशेषज्ञ इस ब्रेन क्रॉस ट्रेंनिंग कहते हैं, जो दिमागी ताजगी को बनाए रखती है।
6 एसोसिएटिव लिंकिंग
इसे यादों की चेन रिएक्शन कहा जाता है। यह रणनीति सूचनाओं को कहानियों, चुटकुले या चित्रों से जोड़कर याद रखने पर आधारित होती है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब हम जानकारी को रोचक संदर्भ में बनते हैं तो मस्तिष्क उन्हें अधिक गहराई से संरक्षित करता है।
लेखक: डॉ0 दिव्यांशु सेंगर, प्यारे लाल शर्मां, जिला चिकित्सालय मेरठ मे मेडिकल ऑफिसर हैं।