
अमेरिका भी चाहता है भारतीय बाजार Publish Date : 08/08/2025
अमेरिका भी चाहता है भारतीय बाजार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापारिक समझौता टैरिफ विवादों को सुलझाने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
हाल ही में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉर्वर्ड लटनिक ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आंतरिक व्यापार समझौता इसी महीने पूरा होगा। पहले ऐसे समझौते को पूर्ण होने में दो या तीन साल लग जाते थे। विगत 29 मई को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मैनहटन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत द्वारा विभिन्न देशों के विरुद्ध डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क सहित अन्य शुल्कों को अवैध ठहराए जाने के बीच अमेरिका के साथ भारत की व्यापार वार्ता उचित दिशा में आगे बढ़ती रहेगी।
वस्तुतः इस समय भारत-अमेरिका कारोबार के बढ़ने के बारे में तीन बातें रेखांकित हो रही हैं। एक, भारत और अमेरिका के बीच 25 जून, 2025 तक एक अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा हो सकती है। दो, भारत सरकार अपनी सरकारी खरीद बाजार का एक हिस्सा विदेशी कंपनियों के लिए खोलने जा रही है, जिसमें अमेरिकी कंपनियां भी शामिल होंगी। तीन अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत लाभ का बाजार बना हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी चेतावनी के बाद भी एप्पल ने भारत में आईफोन विस्तार जारी रखने का संकेत दिया है।
गौरतलब है कि विगत 23 मई को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने वॉशिंगटन में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हार्वर्ड लटनिक के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण की वार्ता में कहा कि पारस्परिक लाभ (रेसिप्रोकल) सुनिश्चित करने के लिए अंतरिम व्यापार व्यवस्था को आकार दिए जाने की संभावना है। ऐसे में अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापारिक समझौता टैरिफ विवादों को सुलझाने और द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
इस संभावित अंतरिम व्यापार समझौते के तहत अमेरिका के बाजार में भारतीय वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क को शून्य करवाने के लिए भारत भी अमेरिका की कई वस्तुओं पर शुल्क में राहत दे सकता है। अमेरिका भारत में कृषि उत्पादों का निर्यात करना चाहता है, लेकिन भारत सिर्फ गैर जेनिटिकली मोडिफायड (जीएम) कृषि उत्पादों को ही अपने बाजार में अनुमति देगा। भारत अमेरिका से सभी रोजगारपरक सेक्टर में शून्य शुल्क या अति कम शुल्क चाहता है, ताकि इन सेक्टर का अमेरिका में होने वाला निर्यात बढ़ेगा, जिससे मैन्यूफैक्चरिंग व रोजगार बढ़ोतरी में मदद मिलेगी।
दूसरी तरफ, अमेरिका इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ, वाइन, एथनॉल, कई औद्योगिक व कुछ खाद्य उत्पाद के शुल्क में छूट चाहता है। साथ ही वह भारत के गुणवत्ता नियंत्रण नियम में भी छूट चाहता है। पिछले दिनों अमेरिकी वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट ने भी कहा कि पूरी दुनिया में भारत ऐसे पहले देश के रूप में सामने आया है, जिसके साथ अमेरिका का द्विपक्षीय कारोबार समझौता (बीटीए) प्रारंभिक आकार लेने के काफी करीब है। भारत-अमेरिका के बीच बीटीए को 31 दिसंबर 2025 तक पूर्ण करना सुनिश्चित किया गया है।
गौरतलब है कि विगत 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों देशों ने अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने, टैरिफ को कम करने, अधिक अमेरिकी तेल, गैस और लड़ाकू विमानों की खरीदारी करने और रियायतों पर भी सहमति व्यक्त की।
दोनों देशों ने द्विपक्षीय समझौते के तहत भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के लिए 500 अरब डॉलर के बजट का लक्ष्य निर्धारित किया। साथ ही भारत और अमेरिका भारत मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के निर्माण के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं।
हाल ही में प्रकाशित विदेश व्यापार के नए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका लगातार चौथी बार भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा। साथ ही द्विपक्षीय व्यापार 131.84 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यही नहीं, अमेरिका से भारत में किया गया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) भी अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई पर है।
उम्मीद करें कि संभावित मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के द्विपक्षीय कारोबार के लक्ष्य के मद्देनजर एक मील का पत्थर साबित होगा। इससे देश से निर्यात बढ़ेंगे और बड़े पैमाने पर रोजगार के नए अवसरों का सृजन भी होगा।
लेकिन हमें ट्रंप के बयानों को भी ध्यान में रखना होगा, जो युटर्न लेते रहते हैं। हमें वैश्विक प्रतिस्पर्धा, अनुसंधान व विकास (आरएनडी), कृषि, वित्तीय तथा श्रम सहित अन्य सुधारों के क्रियान्वयन पर भी ध्यान देना होगा। जीएसटी को सरल बनाना होगा। लॉजिस्टिक्स व बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाना होगा। देश को अधिक डिजिटल महारत हासिल करनी होगी।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।