
जीवन को आसान बना रहा है एआई Publish Date : 01/08/2025
जीवन को आसान बना रहा है एआई
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भविष्य के सोच से बाहर निकलकर अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है। सुबह उठने के बाद स्मार्टफोन देखने से लेकर मनोरंजन के लिए सुझाव प्राप्त करने तक एआई सबसमें परिवर्तन ला रहा है। यह हमारे रोजमर्रा के जीवन, कार्य-पद्धति और संपर्क के तरीकों को भी प्रभावित कर रहा है। अलार्म सेट करने जैसे कार्यों में वायस असिस्टेंट को एआई की ताकत मिल रही है तो वहीं स्मार्ट डिवाइसेज के जरिये घर के हर काम को यह आसान बना रहा है। हमारे कार्यस्थलों पर एआई करने, रूटीन कार्यों को आसान बनाने और डाटा आधारित निर्णय प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करने लगा है, जिससे मानव क्षमताएं रचनात्मक और रणनीतिक कार्यों के लिए प्रेरित हो रही है।
आटोमेशन को सुव्यवस्थित एआई एड क्रियान्ड हेल्थ के जैसे क्षेत्रों में आज है। यह जांच और उपचार को अधिक सटीक बनाने, विडिक्टिव केयर और व्यक्तिगत उपचार प्लान तैयार करने में भी सहायक बन रहा है।
वहीं शिक्षा में एडाप्टिव लर्निंग प्लेटफार्म किसी छात्र की जरूरत के हिसाब कंटेंट को उपलब्ध कराने लगे हैं, जिससे सीखने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी हुई है। यातायात के क्षेत्र में स्मार्ट नेविगेशन और प्रिडिक्टव एनालिटिक्स के जरिये एआइ एल्गोरिदम ट्रैफिक भीड़ को कम करने और सुरक्षा को पहले से बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।
आनलाइन अनुभव की बात करें तो इंटरनेट मीडिया फोड्स से लेकर ई कामर्स प्लेटफार्म पर एआई यह सुनिश्चित कर रहा है कि हमारी आवश्यकता के अनुरूप ही हमें कंटेंट प्राप्त हो। चैटबाट और वर्चुअल असिस्टेंट के माध्यम से ग्राहकों सेवाओं में सुधार हो रहा है, जिससे संपर्क की प्रक्रिया तेज और प्रभावी बन रही है। हालांकि एआई के उभार के साथ ज्वलंत प्रश्न भी खड़े हो रहे हैं, डाटा प्राइवेसी, निजता, कुछ नौकरियों के खत्म होने और अल्गोरिदम में संभावित पूर्वाग्रह की आशंका की चिंता बड़ी है। एआई सिस्टम पर विश्वास बढ़ाने के लिए यह आवश्यक हो गया है कि इसे अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाया जाए।
कुल मिलाकर एआई का उद्देश्य इंसानों की जगह देना नहीं बल्कि क्षमताओं में वृद्धि करना है। बेहतर निर्णय लेने, समय बचाने और नई संभावनाओं को तलाशने में यह हमारी सहायता कर सकता है, लेकिन एआई की सुविधाओं का पूरा लाभ लेने के लिए एआई साक्षरता, कौशल विकास में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही समावेशी नीतियों की जरूरत है, जी एआई के सार्वभौमिक लाभ को सुनिश्चित कर सके। एआई केवल तकनीक ही नहीं, बल्कि मानवीय क्रांति भी है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।