गन्ने में गुलाबी चिकटा (मिलीबग) एवं काउन मिलिबग की पहिचान एवं उसका प्रबन्धन      Publish Date : 06/07/2025

गन्ने में गुलाबी चिकटा (मिलीबग) एवं काउन मिलिबग की पहिचान एवं उसका प्रबन्धन

उ.प्र. गन्ना शोध परिषद शाहजहॉपुर द्वारा किसानों को गन्ने के खेत में गुलाबी चिकटा (मिलीबग) व काउन मिलीबग की पहचान व प्रबन्धन हेतु आवश्यक सुझाव-

पहचान

  • मादा कीट का रंग गुलाबी और गोल अथवा चपटे आकार की होती है। यह कीट समुदाय में गन्ने की गाँठों पर पाए जाते हैं और गन्ने के तने से रस चूसते हैं।
  • काउन मिलीबग गन्ने की पत्तियों एवं तने के ऊपर एवं लीफशीथ के अंदर पाए जाते हैं।
  • इसके साथ ही अक्सर पोक्का बोईंग रोग का आपतन भी हो जाता है। कीट एवं रोग का अधिक आपतन होने पर गन्ने की बढ़वार रूक जाती है तथा गन्ने की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं।
  • गन्ने के पौधें के तने पर चिपचिपा मधु स्राव होने के कारण ब्लैक सूटी मोल्ड का प्रभाव भी हो जाता है।
  • जुलाई-अगस्त के महीनों में इसका आपतन अधिक होता है।

प्रबन्धन के उपाय

                                                  

  • गन्ने की लीफशीथ को हटाने के बाद इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस. एल. की 200 मि.ली. अथवा डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. की 1.25 लीटर या मोनोक्रोटोफॉस 36 एसएल की 1500 मिली. मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 500-1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से प्रबन्धन होता है।
  • पोक्का बोईंग का संयुक्त आपतन होने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी का 0.1 प्रतिशत, (400 ग्राम + 400 लीटर पानी में प्रति एकड़) अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराईड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 0.2 प्रतिशत (800 ग्राम + 400 लीटर पानी प्रति एकड़) की दर से घोल बनाकर इसका छिड़काव करने से लाभ प्राप्त होता है।