आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) में कुशलता के लिए आवश्यक मार्ग      Publish Date : 17/06/2025

  आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) में कुशलता के लिए आवश्यक 

                                                                                                                              प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं इं0 कार्तिकेय

आजकल विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स में, भारत के तेज आर्थिक विकास में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की भूमिका के प्रभावी रहने का उल्लेख किया जा रहा है। इसके साथ ही भारत के एआई पेशेवरों की माँग भी देश एवं दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एक प्रकार से इसकी पुष्टी करते हुए कहा है कि अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा काष के अनुसार एआई को अपनाने वाले उद्योग भारत को वर्ष 2028 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सबसे प्रमुख भूमिका निभाने जा रहे हैं। इसी प्रकार केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय की ‘भारत की एआई क्रॉन्ति, विकसित भारत के लिए एक रोडमैप‘’ शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को वर्ष 2047 तक 23-25 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर क अर्थव्यवस्था बनाने में देश के एआई पेशेवरों की भूमिक बेहद अहम होगी।

सरकार का अनुमान है कि इसके लिए को आगामी वर्षं तक तकरीबन 10 लाख एआई पेशेवरां की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त गूगल की ‘एआई अवसर एजेण्ड़ा’ नामक रिपोट में कहा गया है कि इस समय तेजी से बढ़ती अर्थ्ज्ञयवस्था, तकनीकी प्रतिभा औ जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम के चलते भारत, एआई का बेहतर लाभ प्राप्त करने की स्थिति में है। भारत में एआई प्रौद्योगिकी को अनाए जाने के चलते यहां की उत्पादकता में धीरे-धीरे वृद्वि भी हो रही है। उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य, सेवा के साा ही अन्य क्षेत्रों एआई का अधिक उपयोग के कारण भारत को वर्ष 2030 तक 33.8 लाख करोड़ रूपये तक का आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है।

ऐसे में एआई के प्रति एक व्यापक और जिम्मदार दृष्टिकोण भारत में आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति को सम्भव बना सकता है। वहीं ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन के अनुसार, एआई के लिए दुनिया में भारतख् दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। गूगल के सीईओ सुन्दर पिचाई के अनुसार, एआई के क्षेत्र में भारत, दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। वहीं माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के अनुसार भारत की गणित में दक्ष र्न पीढ़ी के लिए एआई के क्षेत्र में अपार सम्भावानएं उपलब्ध हैं।

ठसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत की नई पीढ़ी एआई के क्षेत्र में अपना योगदान निरंतर प्रदान कर रही है। यहाँ यह बात भी महत्वपूर्ण है कि एआई तकनीकी में कुशल कार्यबल के सरल और किफायती रूप में उपलब्ध होने के चलते भारत में बड़ी बहु-राष्ट्रीय कंपनियों का आगमन भी तेजी के साथ बढ़ा है और इसके कारण ही भारत का सेवा निर्यात भी तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसके साथ ही भारत, विदेशी मुद्रा की बड़ी कमाई करने वाली आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया है।

गत दिनों प्रकाशित विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट ‘भविष्य की नौकरियों‘’ में कहा गया है कि एआई के क्षेत्र में वर्ष 2030 तक लगभग 17 करोड़ नौकरियाँ सृजित होंगी, जबकि 9.2 करोड़ परंपरागत नौकयिों के समाप्त होने का अनुमान है। तकनीकी उन्नति, जनसांख्यिकीय बदलाव, भू-आर्थिक तनाव और आर्थिक दबाव के चलते एआई के क्षेत्र में नौकरियों को रफ्तार मिलेगी और दुनियाभर के उद्योगों और व्यवसायों को एक नया रूप मिलेगा। यह रिपोर्ट कती है कि जिन नौकरियों की माँग तेज होगी, उनमें एआई डाटा विशेषज्ञ, मशीन लर्निंग विशेषा और साइबर सुरक्षा प्रबन्धन विशेषज्ञ प्रमुख रूप से ामिल होंगे। उललेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस में पिछले दिनों आयोजित एआई एक्शन शिखर सम्मेलन वर्ष 2025 की सह-अध्यक्षता करते हुए कहा था कि यद्यपि दुनिया में यह आशंका व्याप्त है कि एआई के कारण नौकयिाँ समाप्त होंगी, लेकिन इतिहास गवाह है कि प्रौद्योगिकी के कारण नौकरियाँ कभी समाप्त नहीं होती है, केवल उनकी प्रकृति बदलकर नई नौकरियों का सृजन होता है।

अतः हमें एआई संचालित भविष्य के संदर्भ में अपने लोगों को कुशल बनाते हुए नए काम के तौर-तरीकों के लिए उन्हें तैयार करने में उचित निवेश करने की आवश्यकता है। यह अपने आप में एक अच्छी बात है कि देश एआई मिशन के अन्तर्गत एआई स्कल्ड मैनपॉवर को तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए चालू वर्ष के आम बजट में युवाओं को एआई के क्षेत्र  में कुशल बनाने हेतु सरकार ने भी कुछ प्रभावी प्रावधान किए हैं।

बावजूद इसके, एक सत्य यह भी है कि भारत में उत्पादकता अभी तक उतनी तेजी से नहीं बढ़ी है, जितनी तेजी से विकास करने की महत्वकाँक्षा थी। इसको गति प्रदान करने के लिए ऐसे क्षेत्रों की पहिचान की जानी चाहिए जहाँ सरकार और निजी क्षेत्र एक साथ मिलकर एआई का सदुपायोग कर सकें। यद्यपि देश में भारतजेन, देविका, सूत्र, ऐरावत, सर्वम-1, चित्रलेखा और एवरेस्ट-1 जैसे विभिन्न एआई मॉडल्स कार्यरत हैं, परन्तु इन परिस्थितियों में भारत को शीघ्रता पूर्वक अपना स्वयं का जेनरेटिव एआई-मॉडल विकसित करना होगा। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर विज्ञान, एआई, मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, डाटा विज्ञान, क्लाउड कम्प्यूटिंग और ब्लॉकचेन जैसे सम्बन्धित क्षेत्रों के लिए बड़ी संख्या में दक्ष इंजीनियर्स तैयार करने होंगे जिससे एआई के माध्यम से संचालित नए दौर के नौकरी बाजार की माँगों को पूरा किया जा सके। इसक लिए उच्च शिक्षा, विशेष रूप से इंजीनियरिंग शिक्षा में बड़े बदालव करन की आवश्यकता है।

आशा है कि भारत सरकार विश्व की सबसे अधिक युवा आबादी वाले देश भारत मेंनई पीढ़ी को एआई कौश्ल से सुसज्जित करने के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ेगी, क्योंकि एआई पा्रैद्योगिकी की शक्ति से सम्पन्न इस युवा पीढ़ी के बल पर ही हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक विकसित राष्ट्र बनने के सपने को साकार रूप प्रदान कर सकने में सक्षम होंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।